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ज्ञानपीठ पुरस्कार
ज्ञानपीठ पुरस्कार
- अमिताव घोष
- साहित्यकार अमिताव घोष को वर्ष 2018 के लिए 54वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजा गया है। देश का सर्वोच्च सम्माान प्राप्त करने वाले वे पहले अंग्रेजी भाषा के लेखक है।
- भारतीय साहित्य में दिया जाने वाला ज्ञानपीठ पुरस्कार सर्वोच्च पुरस्कार है। भारतीय ज्ञानपीठ के संस्थापक श्री साहू शांति प्रसाद जैन के 50वें जन्म दिवस के अवसर पर 22 मई 1961 को उनके परिवार के सदस्यों के मन में इस पुरस्कार से संबधित यह विचार आया और 1965 में पहले ज्ञानपीठ पुरस्कार का निर्णय लिया गया। पुरस्कार स्वरूप 11 लाख रुपये की धनराशि, प्रशस्तिपत्र और वाग्देवी की कांस्य प्रतिमा दी जाती है।
- भारत का कोई भी नागरिक जो आठवीं अनुसूची में बताई गई 22 भाषाओं में से किसी भाषा में लिखता हो इस पुरस्कार के योग्य है।
- भारतीय ज्ञानपीठ की संस्थापक अध्यक्ष श्रीमती रमा जैन ने 16 सितंबर 1961 को न्यास की एक गोष्ठी में इस पुरस्कार का प्रस्ताव रखा।
- सबसे पहले बार यह पुरस्कार 1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरुप को प्रदान किया गया था।
- प्रारम्भ में 1 लाख रूपये की धनराशि इस पुरस्कार के रूप में प्रदान की जाती थी।
- वर्ष 2005 में यह राशि बढकर सात लाख रूपये कर दी गयी। अब इस पुरस्कार के रूप में ग्यारह लाख रूपये की धनराशि प्रदान की जाती है।
- हिन्दी साहित्यकार कुंवर नारायण पहले व्यक्ति थे जिन्हें सात लाख रुपए का ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ था। वर्ष 1982 तक यह पुरस्कार लेखक की एकल कृति के लिये दिया जाता था। लेकिन इसके बाद से यह लेखक के भारतीय साहित्य में संपूर्ण योगदान के लिये दिया जाने लगा।
- ज्ञानपीठ पुरस्कार में प्रतीक स्वरूप दी जाने वाली वाग्देवी का कांस्य प्रतिमा मूलतः धार, मालवा के सरस्वती मंदिर में स्थित प्रतिमा के जैसी दिखाई देती है।
- 2017 में कृष्णा सोबती को भारतीय साहित्य के सर्वोच्च सम्मान "ज्ञानपीठ पुरस्कार" से सम्मानित किया गया है।
- ज्ञानपीठ के निदेशक लीलाधर मंडलोई ने बताया कि प्रो. नामवर सिंह की अध्यक्षता में हुई प्रवर परिषद की बैठक में वर्ष 2017 का 53वां ज्ञानपीठ पुरस्कार हिंदी साहित्य की सशक्त हस्ताक्षर कृष्णा सोबती को देने का निर्णय किया गया। यह पुरस्कार साहित्य के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रदान किया जाएगा।
इसके पहले मिल चुके हैं ये सम्मान -
- कृष्णा सोबती को उनके उपन्यास ‘जिंदगीनामा’ के लिए वर्ष 1980 का साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था। उन्हें 1996 में अकादमी के उच्चतम सम्मान ‘साहित्य अकादमी फैलोशिप’ से नवाजा गया था. इसके अलावा कृष्णा सोबती को पद्मभूषण, व्यास सम्मान, शलाका सम्मान से भी नवाजा जा चुका है।
- कृष्णा सोबती के कालजयी उपन्यासों ‘सूरजमुखी अंधेरे के’, ‘दिलोदानिश’, ‘ज़िन्दगीनामा’, ‘ऐ लड़की’, ‘समय सरगम’, ‘मित्रो मरजानी’, ‘जैनी मेहरबान सिंह’, ‘हम हशमत’, ‘बादलों के घेरे’ ने कथा साहित्य को अप्रतिम ताजगी और स्फूर्ति प्रदान की है। हाल में प्रकाशित ‘बुद्ध का कमंडल लद्दाख’ और ‘गुजरात पाकिस्तान से गुजरात हिंदुस्तान’ भी उनके लेखन के उत्कृष्ट उदाहरण है।
ज्ञानपीठ से सम्मानित होने वालीं हिंदी की 11वीं रचनाकार
- 18 फरवरी 1924 को गुजरात (वर्तमान पाकिस्तान) में जन्मी सोबती साहसपूर्ण रचनात्मक अभिव्यक्ति के लिए जानी जाती है। उनके रचनाकर्म में निर्भिकता, खुलापन और भाषागत प्रयोगशीलता स्पष्ट परिलक्षित होती है।
- 1950 में कहानी ‘लामा’ से साहित्यिक सफर शुरू करने वाली सोबती स्त्री की आजादी और न्याय की पक्षधर है। उन्होंने समय और समाज को केंद्र में रखकर अपनी रचनाओं में एक युग को जिया है।
- गौरतलब है कि पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार 1965 में मलयालम के लेखक जी शंकर कुरूप को प्रदान किया गया था।
- सुमित्रानंदन पंत ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित होने वाले हिंदी के पहले रचनाकार थे। कृष्णा सोबती ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित होने वाली हिन्दी की 11वीं रचनाकार हैं। इससे पहले हिन्दी के 10 लेखकों को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिल चुका है। इनमें पंत, दिनकर, अज्ञेय और महादेवी वर्मा शामिल हैं।
- ज्ञानपीठ पुरस्कार 2017
- हिन्दी की प्रसिद्ध रचनाकार कृष्णा सोबती को वर्ष 2017 का ज्ञानपीठ पुरस्कार
- कृष्णा सोबती के प्रमुख उपन्यासों में ‘मित्रो मरजानी’ सबसे चर्चित उपन्यास है।
वर्ष 1965 से अब तक ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेताओं की सूची:-
क्रमांक
|
वर्ष
|
ज्ञानपीठ पुरस्कार से
सम्मानित साहित्यकार
|
1
|
2017
|
कृष्णा सोबती
|
2
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2016
|
शंख घोष (बांग्ला)
|
3
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2015
|
रघुवीर चौधरी (गुजराती)
|
4
|
2014
|
भालचन्द्र नेमाड़े
(मराठी) एवं रघुवीर चौधरी (गुजराती)
|
5
|
2013
|
केदारनाथ सिंह (हिन्दी)
|
6
|
2012
|
रावुरी भारद्वाज
(तेलुगू)
|
7
|
2011
|
प्रतिभा राय (ओड़िया)
|
8
|
2010
|
चन्द्रशेखर कम्बार
(कन्नड)
|
9
|
2009
|
अमरकान्त व श्रीलाल
शुक्ल (हिन्दी)
|
10
|
2008
|
अखलाक मुहम्मद खान
शहरयार (उर्दू)
|
11
|
2007
|
ओ.एन.वी. कुरुप
(मलयालम)
|
12
|
2006
|
रवीन्द्र केलकर
(कोंकणी) एवं सत्यव्रत शास्त्री (संस्कृत)
|
13
|
2005
|
कुँवर नारायण (हिन्दी)
|
14
|
2004
|
रहमान राही (कश्मीरी)
|
15
|
2003
|
विंदा करंदीकर (मराठी)
|
16
|
2002
|
दण्डपाणी जयकान्तन
(तमिल)
|
17
|
2001
|
राजेन्द्र केशवलाल शाह
(गुजराती)
|
18
|
2000
|
इंदिरा गोस्वामी
(असमिया)
|
19
|
1999
|
निर्मल वर्मा (हिन्दी)
एवं गुरदयाल सिंह (पंजाबी)
|
20
|
1998
|
गिरीश कर्नाड (कन्नड़)
|
21
|
1997
|
अली सरदार जाफरी
(उर्दू)
|
22
|
1996
|
महाश्वेता देवी
(बांग्ला)
|
23
|
1995
|
एम.टी. वासुदेव नायर
(मलयालम)
|
24
|
1994
|
यू.आर. अनंतमूर्ति
(कन्नड़)
|
25
|
1993
|
सीताकांत महापात्र
(ओड़िया)
|
26
|
1992
|
नरेश मेहता (हिन्दी)
|
27
|
1991
|
सुभाष मुखोपाध्याय
(बांग्ला)
|
28
|
1990
|
वी.के.गोकक (कन्नड़)
|
29
|
1989
|
कुर्तुल एन. हैदर
(उर्दू)
|
30
|
1988
|
डॉ. सी नारायण रेड्डी
(तेलुगु)
|
31
|
1987
|
विष्णु वामन शिरवाडकर
कुसुमाग्रज (मराठी)
|
32
|
1986
|
सच्चिदानंद राउतराय
(ओड़िया)
|
33
|
1985
|
पन्नालाल पटेल
(गुजराती)
|
34
|
1984
|
तक्षी शिवशंकरा पिल्लई
(मलयालम)
|
35
|
1983
|
मस्ती वेंकटेश अयंगर
(कन्नड़)
|
36
|
1982
|
महादेवी वर्मा (हिन्दी)
|
37
|
1981
|
अमृता प्रीतम (पंजाबी)
|
38
|
1980
|
एस.के. पोट्टेकट (मलयालम)
|
39
|
1979
|
बिरेन्द्र कुमार
भट्टाचार्य (असमिया)
|
40
|
1978
|
एच. एस. अज्ञेय
(हिन्दी)
|
41
|
1977
|
के. शिवराम कारंत
(कन्नड़)
|
42
|
1976
|
आशापूर्णा देवी
(बांग्ला)
|
43
|
1975
|
पी.वी. अकिलानंदम
(तमिल)
|
44
|
1974
|
विष्णु सखा खांडेकर
(मराठी)
|
45
|
1973
|
दत्तात्रेय रामचंद्र
बेन्द्रे (कन्नड़) एवं गोपीनाथ महान्ती (ओड़िया)
|
46
|
1972
|
रामधारी सिंह दिनकर
(हिन्दी)
|
47
|
1971
|
विष्णु डे (बांग्ला)
|
48
|
1970
|
विश्वनाथ सत्यनारायण (तेलुगु)
|
49
|
1969
|
फ़िराक गोरखपुरी
(उर्दू)
|
50
|
1968
|
सुमित्रानंदन पंत
(हिन्दी)
|
51
|
1967
|
के.वी. पुत्तपा (कन्नड़)
एवं उमाशंकर जोशी (गुजराती)
|
52
|
1966
|
ताराशंकर बंधोपाध्याय
(बांग्ला)
|
53
|
1965
|
जी शंकर कुरुप (मलयालम)
|
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