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Showing posts from April, 2017

कहानी : वो अग्निकांड...

मैंने अवबोध मस्तिष्क से कुछ यादें संभाली थी कि मेरे परिवार के सदस्य एवं कुछ मजदूर गेहूं के खेत में लगभग फाल्गुन या चैत्र मास के आसपास लावणी कर रहे थें, कि अचानक किसी ने गांव की ओर उठते हुए धुंए को देखकर चीखते हुए पुकारा- अरे! गांव में धुंआ उठ रही है, जाणे तो कोईके आग्य लग गी... किसी ने कहा तथा गांव की ओर देखा तो आग की लपटें देखकर सब स्तब्ध हो गये। किसी को कोई सुध बुध न रही। सभी गांव की ओर दौड चले। अरे! चंदन या कुत्ता रोटी का नातना लेकर भाग रहा है या पेसू रोटी खुसका ला... हडबडाहट में मेरे किसी चाचा ने कहा, ओर वे भी गांव की ओर भाग गये। सबकी दांतली तथा पांत, जो अधूरी थी, छुट गई। हम बालक थे, जो अवबोध थे। आग के खतरों से इतने वाकिफ नही थे, इसलिए हम बेखबर ही रहना चाहते थे, लेकिन किसी बडे आदमी को पास न पाकर हम भी गांव की ओर चल दिये थे। मैं चिन्तामग्न हो गांव की ओर जा रहा था, अवबोध मन में क्या हलचल चल रही थी, कुछ ज्ञात नही थी। नन्हें कदम गांव की ओर दोपहर में धीमें-धीमें बढ रहे थें। हममें कोई तेज दौड रहा था, तो कोई अपनी मस्ती में चल रहा था। किसी को कोई शरारत सूझी भी तो किसी ने उसका...

भारत रत्न पुरस्कार

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भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है भारत रत्न पुरस्कार। इस अलंकरण से भारत के उन नागरिकों  को सम्मानित किया जाता है जो देश के विभिन्न क्षेत्रों (कला, साहित्य,विज्ञान, समाजसेवा, वैज्ञानिक, उद्योगपति और खेल आदि) को उनकी असाधारण सेवा के लिए प्रदान किया जाता है। इस पुरस्कार की स्थापना 2 जनवरी 1954 में की गई और प्रथम राष्ट्रपति श्री राजेन्द्र प्रसाद द्वारा घोषित किया गया था। पदक इस पदक का प्रारंभिक डिजाइन 35 मिमि गोलाकार स्वर्ण मैडल था। जिसमें सामने सूर्य बना था, ऊपर हिन्दी में भारत रत्न लिखा था और नीचे पुष्प हार था। पीछे की ऒर राष्ट्रीय चिह्न और मोटो था। बाद में इस पदक के डिज़ाइन को बदल कर तांबे के बने पीपल के पत्ते पर प्लेटिनम का चमकता सूर्य बना दिया गया। जिसके नीचे चाँदी में लिखा रहता है "भारत रत्न" और यह सफ़ेद फीते के साथ गले में पहना जाता है। उल्लेखनीय योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले सम्मानों में भारत रत्न के पश्चात् क्रमशः पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री हैं। शुरू में इस सम्मान को 'मरणोपरांत' नहीं दिया जाता था, किंतु 1955 के बाद यह नि...

दान की सार्थकता

दान मानवीय संवेदनाओं का वह रूप है जो किसी अक्षम या गरीब व्यक्ति को सामाजिक सहयोग देने के लिए आर्थिक या आवश्यक वस्तुओं का वितरण है। दान की सार्थक महत्ता किस रूप में सफल हो सकती है? इस तथ्य को ध्यान में रखकर कोई भी व्यक्ति कभी दान नहीं देता है। वर्तमान में किये जाने वाले दान सिर्फ एक पक्षीय होते हैं। जो भी व्यक्ति दान देता है वह या तो गरीब को या फिर किसी संस्था को दान देती है। दान करने की महत्ता प्राचीनकाल से चली आ रही है और यह कोई एक देश के मानवों की उपज नहीं बल्कि सम्पूर्ण मानवीय समुदाय में समान रूप से लागू है। यह पुण्य कार्य मानव के धर्म से प्रेरित होकर नहीं बल्कि एक आत्मिक प्रेरणात्मक है। प्रत्येक व्यक्ति दान करने के महत्व को ही अन्तर्मन में रखता है और दान करता है। इस तथ्य से सर्वथा अनभिज्ञ रहते हैं कि जो धन या अन्य पदार्थ दान में दिया जा रहा है वह कहां से आया है तथा उसे किस प्रकार और किस रूप में प्राप्त किया है? यह सत्य है कि दानी व्यक्ति दान देकर सर्वथा अपना मनोयोग पूरा कर लेते हैं और अपने जीवन में दान पक्ष की ओर से निश्चयंत हो जाते है। इससे वे कर्म के एक पक्ष को ...

राजस्थान सरकार की अनठी पहल: विधवा महिलाओं की स्नातक बेटियों के विवाह पर मिलेगी 40,000 तक की आर्थिक सहायता

राजस्थान सरकार की अनूठी पहल: विधवा महिलाओं की स्नातक बेटियों के विवाह पर मिलेगी 40,000 तक की आर्थिक सहायता जयपुर। राजस्थान के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. अरूण चतुर्वेदी ने बताया कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा संचालित सहयोग एवं उपहार योजना के अंतर्गत 1 अप्रेल, 2017 से विधवा की स्नातक पुत्री के विवाह पर सरकार द्वारा 40 हजार रुपये की र्आथिक सहायता प्रदान की जाएगी। डॉ. चतुर्वेदी ने बताया कि पूर्व में 20 हजार रुपये की सहायता दी जाती थी। मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे के वर्ष 2017-18 की बजट घोषणा को लागू करते हुए सहायता राशि को दुगुनी किया गया है। इसी प्रकार विधवा की 18 वर्ष से अधिक आयु की पुत्री के विवाह पर 10 से बढ़ाकर 20 हजार एवं दसवीं पास कन्या के विवाह पर 20 से बढ़ाकर 30 हजार रुपये की र्आथिक सहायता प्रदान की जायेगी। यह राशि 1 अप्रेल, 2017 के पश्चात होने वाले विवाहों पर देय होगी।

दिवांशु: सभ्यता निर्माता

दिवांशु: सभ्यता निर्माता दिवांशु से तात्पर्य हैं कि दिवा यानि सूर्य और (जिसे इंग्लिश में Sun भी कहा जाता है और विभिन्न सभ्यताओं तथा धर्मों में अनेक नाम) अंशु यानि किरणें अर्थात् सूर्य की किरणें। जिस प्रकार सूर्य की किरणें सम्पूर्ण सृष्टि को जीवन दान प्रदान कर मानव विकास के पथ को और बढाती है उसी प्रकार इस ब्लाॅग का उद्देश्य महत्वाकांक्षा हीन होकर सभी धर्मों एवं विचारधाराओं का ध्यान रखते हुए विश्व सृष्टि को सुख समृद्धि का संदेश देना है, क्योंकि कोई भी धर्म, विचारधारा समय और परिस्थितियों के अनुसार जन्म लेती है। वर्तमान विश्व में कई असमानताएं देखने के मिलती हैं। जहां भारत जैसा देश आतंकवाद की मार झेल रहा हैं, सीरिया जैसे देश आईएसआईएस के आतंक से पीड़ित हैं। विश्व के कई बडे मंचों से विभिन्न देशों के द्वारा आतंकवाद पर एक जुट होकर लडनें का आवाहन तो होता है, किंतु मंचों से दूर होते ही वे किये वादों को भूल जाते है। मानव ही क्या प्रकृति का जीव भी एक अच्छे जीवन की चाह लिए जीता है हम तो मानव है। वर्तमान विश्व में आतंक बडा मुद्दा है। आखिर जिस मानव को हर धर्म ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति मानता हैं व...