इस मासूम की भी क्या ज़िन्दगी है ?
नंदनी
असहाय पिता देवीसिंह
जयपुर। कभी अपने पिता की दुलारी हुआ करती थी, पर काल के चक्र ने उस पिता को इतना असहाय बना दिया कि अब वह कभी वह अपनी इस मनोविकार से पीड़ित बेटी को कभी दुलार न कर पायेगा। इस लड़की का नाम नंदनी है इसके पिता एयरटेल कम्पनी में सुपरवाइजर की पोस्ट पर राजस्थान के दौसा जिले में कार्यरत थे, सब कुछ अच्छा चल रहा था किन्तु एक दिन ऐसा आया कि वह अपने पिता को हमेषा के लिए बिस्तरों में लेटा देखती है।
यह मनोरोगी लड़की उस असहाय पिता के अकेली नहीं बल्कि उससे तीन और बड़ी बहनें है साथ ही एक भाई जो सबसे छोटा है। परिवार में अपने बड़े भाई सुरेष सिंह का साथ होने से उनके इलाज में लगभग 15 लाख रुपये खर्च कर दिये जो एक किसान मात्र है।
कहते है जब भाग्य रूठता है तो कोई सहायक नहीं बनता है। मैंने मीडिया को सहयोगी के रूप में देखा पर वह क्यूं करता है यह समझ नहीं आता। कई समाचार पत्रों ने विमंदित लड़कियों की सहायता की पर अभी तक नंदनी इस सहयोग से कहीं दूर है।
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