चटगांव विद्रोह

चटगांव विद्रोह
चटगांव विद्रोह


  • ‘युगांतर’ गुट सुभाष के साथ हो गया और ‘अनुशीलन’ गुट जे.एम. सेनगुप्त के साथ। जनवरी 1924 में गोपीनाथ साहा ने टेगार्ट ‘कलकत्ता पुलिस कमिश्नर’ की हत्या का प्रयास किया, लेकिन गलती से एक अंग्रेज डे मारा गया।
  • नये विद्रोही संगठनों में सबसे सक्रिय था चटगांव क्रांतिकारियों का गुट, जिसके नेता थे सूर्यसेन।
  • सूर्यसेन ने असहयोग आन्दोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी और वे चटगांव के राष्ट्रीय विद्यालय में शिक्षक के रूप में काम कर रहे थें। उन्हें लोग प्यार से ‘मास्टर दा’ कहते थे।
  • 1929 में सूर्यसेन चटगांव जिला कांग्रेस कमेटी के सचिव थे। वे रवींद्रनाथ ठाकुर और काजी नजरूल इस्लाम के बहुत बडे प्रशंसक थे।
  • युवा क्रांतिकारियों में अनन्त सिंह, गणेश घोष और लोकीनाथ बाउल थे। इन क्रांतिकारी युवकों ने जनता को यह जताने के लिए कि सशस्त्र विद्रोह से अंग्रेजी साम्राज्यवाद को उखाड फेंका जा सकता है।
  • इस प्रस्तावित कार्यवाई में चटगांव के दो शस्त्रागारों पर कब्जा कर हथियारों को लूटना नगर की टेलीफोन और टेलीग्राफ संचार व्यवस्था को नष्ट करना और चटगांव और बंगाल के बीच रेल संपर्क को भंग करना शामिल था।
  • 18 अप्रैल 1930 को रात के दस बजे इस योजना पर अमल होना था। गणेश घोष के नेतृत्व में छः क्रांतिकारियों ने पुलिस शस्त्रागार पर कब्जा कर लिया। ये लोग नारा लगा रहे थे- इंकलाब जिन्दाबाद, साम्राज्यवाद मुर्दाबाद और गांधीजी का राज कायम हो गया।’
  • दूसरी ओर, लोकीनाथ बाउल के नेतृत्व में दस युवा क्रांतिकारियों ने सैनिक शस्त्रागार पर कब्जा कर लिया। हथियार तो मिल गये, पर ये लोग गोला-बारूद पाने में असफल रहें। यह कार्यवाई ‘इंडियन रिपब्लिकन आर्मी, चटगांव शाखा’ के नाम तले की गई थी और इसमें 65 क्रांतिकारी शामिल थे।
  • सूर्यसेन ने इंडियन रिपब्लिकन आर्मी की स्थापना की।
  • क्रांतिकारी नवयुवकों ने सूर्यसेन को सैनिक सलामी दी। ‘वंदेमातरम्’ और ‘इंकलाब जिंदाबाद’ के नारों के बीच सूर्यसेन ने तिरंगा फहराया और एक कामचलाउ क्रांतिकारी सरकार के गठन की घोषणा की।
  • 16 फरवरी 1933 को सूर्यसेन गिरफ्तार कर लिए गए और 12 जनवरी 1934 को उन्हें फांसी पर लटका दिया गया।
  • 1933 में देशद्रोह के आरोप में जवाहर लाल नेहरू को गिरफ्तार कर लिया। बंगाल में नए आतंकवादी आंदोलन की विशेषता इसमें बडें पैमाने पर युवतियों की भागीदारी थी। सूर्यसेन के नेतृत्व में ये क्रांतिकारी महिलाऐं क्रांतिकारियों को शरण देने, संदेश पहुंचाने और हथियारों की रक्षा करने का काम करती थी।
  • प्रीतिलता वाडेदार ने पहाडतली ‘चटगांव’ में रेलवे इंस्टीटयूट पर छापा मारा और इसी दौरान मारी गई, जबकि कल्पना दत्त ‘अब जोशी’ को सूर्यसेन के साथ गिरफ्तार कर लिया गया था।
  • दिसंबर 1931 में कोमिल्ला की दो स्कूली छात्राओं- शांतिघोष और सुनीति चौधरी ने एक जिलाधिकारी को गोली मारकर हत्या कर दी।
  • फरवरी 1932 में बीनादास ने दीक्षांत समारोह में उपाधि ग्रहण करने के समय बहुत नजदीक से गवर्नर पर गोली चलाई।
  • चटगांव आई.आर.ए. में अनेक मुसलमान थे, जैसे- सत्तार, मीर अहमद, फकीर अहमद मियां, तुनू मियां।


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