HomeHindi Kavita उपेक्षित श्रम Yuva byDivanshuGS -October 14, 2017 0 वह हताश निराश क्यूं, शायद उसका श्रम उपेक्षित, देख रहा था वह मौन भाव से, उपेक्षित शारीरिक श्रम से, वह हताश था, ज्ञात उसे अतीत था, एक वही था जिसने, आधुनिकता की ईबारत लिखी, कभी अभिमान नही किया, अपने विकास परऔर आज वक्त का फेर, देख रहा था वह, शायद तभी मौन था, कहते है जब शक्ति का शौर्य हावी था युवा पर, शक्ति को तब साध्य किया। बौद्धिकवर्ग था संधान किया, वंश वह क्षत्रिय था सिर्फ बातें शौर्य की कर, उत्तेजित युवा को कर साधते थे अपना मंतव्य, जो वक्त के संग न ढ़ला सका, उपेक्षित हीन वह रहा, दया, धर्म, विश्वास से, वह जी गया सदियों से, जब-जब आवाज उठाई उस अधिकारी वर्ग ने, शक्ति संग मिलशक्ति के समक्ष टूट गया, खोता नहीं वह परिजनों को, बस खोता था तो श्रम से अर्जित धन Tags: Hindi Kavita laghu_sansad_ka_sach Facebook Twitter