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Showing posts from November, 2017

बिटकॉइन bitcoin

बिटकॉइन क्या होती है? बिटकॉइन एक आभासी मुद्रा है यानि झूठी मुद्रा। वर्तमान समय में वैश्विक वित्तीय लेन-देन और भुगतान के रूप में बिटकॉइन चर्चित हुआ है, लेकिन क्रिप्टो करेंसी का नियमित करने के लिए कोई दिशा-निर्देश न होने से यह काफी जोखिमपूर्ण मुद्रा बनी हुई है। बेशक अभी यह वैध मुद्रा नहीं है, लेकिन रिजर्व बैंक ने इसे अवैध घोषित नहीं किया है। बिटकॉइन एक नई इनोवेटिव टेक्नोलॉजी है जि‍सका इस्तेमाल ग्लोबल पेमेंट के लिए किया जा सकता है। बिटकॉइन एक नई इनोवेटिव डिजीटल टेक्नोलॉजी या वर्चुअल करंसी है। इसको 2008-2009 में सतोषी नाकामोतो नामक एक सॉफ्टवेयर डेवलपर ने प्रचलन में लाया था। कम्प्यूटर नेटवर्कों के जरिए इस मुद्रा से बिना किसी मध्‍यस्‍था के ट्रांजेक्‍शन किया जा सकता है। वहीं, इस डिजिटल करंसी को डिजिटल वॉलेट में रखा जाता है। बिटकॉइन को क्रिप्टोकरेंसी भी कहा जाता है। बिटकॉइन का इस्तेमाल फेमा कानून का उल्लंघन प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बिटकॉइन का इस्तेमाल करने वाले के दो ठिकानों पर छापे मारे है। आजकल यह ब्‍लैक मनी, हवाला और आतंकी गतिविधियों में ज्‍यादा इस्‍तेमाल किए जाने की वजह से सुर्खियो...

उदयपुर को मिला पर्यटकों का सबसे पसंदीदा छुट्टी बिताने वाला स्थल का राष्ट्रीय अवॉर्ड tourist destination

झीलों की नगरी के नाम से विश्व प्रसिद्ध उदयपुर को पर्यटकों का सबसे पसंदीदा छुट्टी बिताने वाला स्थल होने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर अवॉर्ड  प्राप्त हुआ है।  नई दिल्ली के ऎरो सिटी में कोंडे नस्ट ट्रेवलर रीडर्स ट्रेवल अवार्ड द्वारा आयोजित समारोह में उदयपुर को 'फेवराइट लेजर डेस्टिनेशन इन इंडिया' का अवॉर्ड प्रदान किया।  दुनिया भर में पूर्व का वेनिस और झीलों की खूबसूरत शहर के रूप में विख्यात उदयपुर में हर वर्ष देश-विदेश के सैलानी बड़ी संख्या में भ्रमण के लिए आते हैं। पर्यटकों का पसंदीदा अवकाश स्थल होने के साथ-साथ उदयपुर डेस्टिनेशन मैरिज शादी ब्याह के लिए भी मशहूर हो रहा है। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों उदयपुर को 'बेस्ट मैरिज डेस्टिनेशन' का अवॉर्ड भी दिया गया था।

समझों मेहनतकश दिव्यांगजन का सच Divyangajan

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जिस पर निगाहें मेहरबान हो जाये इनकी, समझों खुदा मिल गया। पर इन तक पहुंचना की राहें पता नहीं, वरना तो हर विकलांग तर जाये।। यह कथन समाज सेवी संस्थाओं पर बिल्कुल सटीक बैठता है। खुद संघर्ष करके यदि सफलता मिल जाये तो उसका श्रेय लेने की कोशिश हर किसी को रहती है। यही हाल है इन समाज सेवी संस्थाओं का। पहले से ही विकलांग और ऊपर छोटा-सा धंधा खोलने के लिए एक प्राइवेट कम्पनी से लिया लोन। दोनों ही किस्मत के मारे मनीष सिंह राजपूत के जीवन में बड़ा रोड़ा बन रहे हैं। पिता असफल व्यवसायी और भाई आरक्षण व सरकार की बदलती नीतियों का मारा। फिर भी जितनी कमाई उसी में प्रसन्न रहने वाला, कभी किसी गरीब का हक नहीं मारा और न ही जरूरत मंद को निराश लौटाया।  कभी सिगरेट, गुटखा की थड़ी करने वाले इस विकलांग में हुनर की कमी नहीं है। यह मोबाइल रिपयरिंग का मास्टर है, पर बाधा है निरंतर आने वाले पेशाब। यह कोई जन्मजात बीमारी नहीं है बल्कि मकान गिरने से रीढ़ की हड्ड़ी में आई चोट से है, जिसमें इसका नीचला हिस्सा सुन्न और पैर कमजोर हो गये। शुरू से ही खूब इलाज करवाया पर कोई संतोषजनक परिणाम नहीं मिले, अब बस दिन काट रहा है। इस...

धूल यानि डस्ट एलर्जी

हमारे एक मित्र को छींक आई एक नहीं पूरी 3-4 वो भी लगातार और उनका बहम सीधा धूल यानि डस्ट पर गई। हो न हो यह आपके बाहर जाने का नतीजा है और श्रीमती जी की जान को आफत बन आई। धूल से छींक यानि डस्ट एलर्जी, बड़ी विचित्र बात है। अक्सर बड़े लोगों के मुंह से सुना जाता है यार इस डस्ट से मुझे बड़ी एजर्ली है। जरासी धूल नाकों में क्या गई, बस जुकाम व छींके आना शुरू। इसे कौन सच मानेगा कि हम बचपन में धूल में खेल कर बड़े हुए हैं। उठते धूल यानि हम जब जगते थे तो घर के आंगन में मां झाडू लगा रही होती थी। सांय गोधूलि की बेला में गांवों जानवरों की आवाजाही में धूल। बस बचपन ऐसे ही गुजरा था। कभी डस्ट एलर्जी नहीं हुई। गांव में हमारे घर के पीछे रास्ते में एक बबूल का बड़ा पेड़ था। गर्मियों के दिनों में उस पेड़ के नीचे बड़ी ठण्ड रहा करती थी। उसके नीचे रतीली मिट्टी काफी ठण्डी रहा करती थी। बस क्या गर्मी में लू के थपेड़ों से बचने के खातिर हम उस पेड़ की छांव में उस ठण्डी मिट्टी से खेला करते थे। हमने कभी नहीं सोचा कि धूल से एलर्जी होती है। दोस्तों हम उस मिट्टी से कभी बीमार नहीं हुए यहां तक कि खेल-खेल में मिट्टी एक-दूसरे के ऊप...

भारतीय संस्कृति के परिप्रेक्ष्य में हाकिंग का दावा Stephen Hawking

भारतीय संस्कृति के परिप्रेक्ष्य में हाकिंग  का  दावा बड़ी न्यूज थी वह क्योंकि उसे विश्व सबसे प्रसिद्ध भौतिक वैज्ञानिक स्टीफन हाकिंग ने बड़े दावे के साथ कहा कि मानव सभ्यता को 100 सालों में धरती को छोड़ना पड़ेगा। इसे पश्चिमी देशों ने कितना सही अर्थों में लिया ये तो उनके आधुनिक तकनीक से पता चल जाता है। वो आज मंगल ग्रह और चंद्रमा पर बस्तियां काटने की तैयारी में हैं और हमारा देश शांत होकर उनके तमाशा देख रहा है। वैसे यह सत्य भी है क्योंकि भारतीय जनमानस ने मिस्टर हाकिंग की बातों को गंभीरता पूर्ण तरीके से नहीं लिया। इसे भारतीय जनमानस ने पूरी तरह नकार दिया क्योंकि भारतीय शास्त्रों में कहीं पर भी इस प्रकार का लिखा हुआ नहीं है कि मानव को धरती से पलायन करना होगा। यह दावा किसी भारतीय का नहीं है जिस पर हम यकीन न करें, क्योंकि यह भारतीय मानसिकता बन गई है कि यदि कोई भारतीय ऐसी भविष्यवाणी करता है तो वह रूढ़िवादी मानसिकता से ग्रस्त माना जाता और हम उसे नकार देते यह दावा एक बहुत ही नामी वैज्ञानिक का है, तो अधिक यकीन करने वाला है। ऐसा दावा करने वाला स्वयं पूर्णतः भौतिकता के सहारे पर जीवित है और व...

‘धन के निष्कासन’ सिद्धांत की व्याख्या कीजिये? Expulsion of money

19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में प्रादुर्भूत इस प्रक्रिया का अर्थ था, भारत से सम्पत्ति का ब्रिटेन में भेजना, जो राष्ट्रीय धन का एक हिस्सा था। दूसरे शब्दों में, कुल वार्षिक उत्पादन ब्रिटेन को निर्यात किया जा रहा था, जिसके बदले में भारत को कोई आर्थिक लाभ नहीं प्राप्त हो रहा था। दादाभाई नौरोजी द्वारा प्रतिपादित इस सिद्धांत के अनुसार, भारत की अत्यधिक निर्धनता इंग्लैण्ड में भारतीय सम्पत्ति के पलायन का परिणाम थी। अंग्रेजों द्वारा भारत के शोषण के तीन चरणों - वाणिज्यिक (1757-1813), औद्योगिक एवं पूंजीवादी शोषण (1813-1858) तथा वित्तीय साम्राज्यवाद (1858 के बाद) ने भारत को एक कृषि उपनिवेश में परिणत कर दिया। अब बंगाल में सैन्य विजय से प्राप्त लाभांश को बंगाल से ही माल खरीदकर निर्यात किया जाने लगा था। भारतीय निर्यात के भावी खरीददार भारत सचिव से काउंसिल बिल खरीदते थे, जिसके बदले पाउंड दिया जाता था। फिर इन बिल को भारत सरकार के राजस्व की राशि से रुपयों में बदल दिया जाता था और यह रुपया निर्यात के लिए भारतीय माल खरीदने के काम आता था। इस प्रकार भारत में रहने वाले अंग्रेज अधिकारी और व्यापारी रुपयों में मि...

अलाउद्दीन खिलजी की मूल्य नियंत्रण प्रणाली का विश्लेषण कीजिए? Alauddin

अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली सल्तनत का ही नहीं, बल्कि मध्यकालीन भारतीय शासकों में एक योग्य शासक था। वह एक प्रतिभा सम्पन्न एवं दूरदर्शी शासक था। उसने अनेक आर्थिक सुधार भी किये। अलाउद्दीन के आर्थिक सुधारों में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण स्थान उसकी मूल्य निर्धारण योजना अथवा बाजार नियंत्रण की नीति को दिया जाता है। अलाउद्दीन खिलजी की साम्राज्यवादी विस्तार नीति और मंगोल आक्रमणों ने उसके लिए विशाल सेना रखना अनिवार्य कर दिया था। इस पर काफी खर्च आता था। सेना पर होने वाले खर्च में कमी लाने के उद्देश्य से अलाउद्दीन ने सैनिकों का वेतन निर्धारित कर दिया था। अतः यह आवश्यक था कि सैनिकों को इस सीमित वेतन में ही दैनिक आवश्यकताओं की वस्तुएं उपलब्ध कराई जा सकें। अतः वस्तुओं का मूल्य निर्धारित करना आवश्यक हो गया। खिलजी ने बाजार नियंत्रण व्यवस्था को कार्यान्वित करने के लिए एक नये विभाग का गठन किया, जिसे ‘दिवान-ए-रियासत’ नाम दिय गया। इसका प्रधान ‘सदर-ए-रियासत’ कहा जाता था। इस विभाग के अधीन प्रत्येक बाजार के लिए निरीक्षक नियुक्त किया गया। इसे ‘शहना’ कहते थे, जो योजना लागू करने के लिए उत्तररदायी था। गुप्तचर अथव...

मुद्रा

मुद्रा का विकास आखेट युग में मुद्रा- मनुष्य की आवश्यकता भोजन तक सीमित अतः मनुष्य जंगली पशुओं का शिकार कर अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति किया करते थे। खाले, चमड़ा ही मुद्रा के रूप में प्रयोग। पशुपालन के युग में मुद्रा- पशु विनिमय का माध्यम बना। कृषि युग में मुद्रा- वस्तुएं विनिमय के माध्यम के रूप में प्रयोग। यूरोप में बादाम, स्विटजरलैण्ड में अण्ड़े, मैक्सिको में नमक, मेरीलैण्ड में मक्का, सुमात्रा में नमक आदि वस्तुएं विनिमय का माध्यम रही। औद्योगिक युग में मुद्रा- धातुओं का मुद्रा के रूप में चलन जपान में लौहे की, रोम में तांबे की , यूनान में सीसे की मुद्रा, मैक्सिको में रांगा की मुद्राएं प्रयोग। विश्व के प्राचीन ग्रन्थ ऋग्वेद में सोने, चांदी की मुद्राओं का वर्णन मिलता है, जिनमें निष्क, शतमान, हिरण्यपिण्ड प्रमुख थी। आधुनिक युग में पत्र एवं साख मुद्रा- वर्तमान युग में मुद्रा तथा साख मुद्रा का प्रचलन। आरम्भिक अवस्था में पत्र मुद्रा प्रतिनिधि पत्र मुद्रा के रूप में चलन में रही, जिसका निर्गमन विभिन्न बैंकों के माध्यम से होता था। परन्तु मुद्रा की असीमित पूर्ति ...

राजस्थान कॉन्स्टेबल भर्ती के ऑनलाइन आवेदन करने की अंतिम तिथि 30 नवम्बर तक Rajasthan Constable recruitment

जयपुर, 21 नवम्बर। पुलिस विभाग द्वारा कॉन्स्टेबल भर्ती-2017 हेतु ऑनलाईन आवेदन पत्र प्राप्त करने की अन्तिम तिथि अब 30 नवम्बर .2017 को रात्रि 12 बजे तक बढाई जाती है। अतिरिक्त महानिदेशक मुख्यालय श्री जंगा श्रीनिवास राव ने मंगलवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि महानिदेशक पुलिस राजस्थान जयपुर द्वारा 18 अक्टूबर 2017 की विज्ञप्ति के अनुसार कॉन्स्टेबल भर्ती-2017 हेतु ऑनलाईन आवेदन पत्र आमन्ति्रत किये गये थे। उन्होंने बताया कि पूर्व में जारी विज्ञप्ति के अनुसार कॉन्स्टेबल भर्ती-2017 के ऑनलाईन आवेदन करने की अंतिम दिनांक 21 नवम्बर .2017 तक तय की गई थी, लेकिन अब कॉन्स्टेबल भर्ती-2017 के ऑनलाईन आवेदन पत्र 30 नवम्बर 17 तक भरे जा सकेंगे। उन्होंने बताया कि उक्त क्रम में आवेदन पत्र (ऑनलाईन) राजकॉम इनफो सर्विसेज लिमिटेड द्वारा संचालित समस्त ई-मित्र कियोस्क, जन सुविधा केन्द्र (कॉमन सर्विस सेन्टर) एवं विभाग की वैबसाईट पर दिनांक 30-11-2017 तक भरे जा सकते हैं। आवेदन की शेष शर्तें विज्ञप्ति में दर्शाये अनुसार यथावत रहेंगी।

प्रकाश तंतु Optical Fibre

प्रकाश तंतु (Optical Fibre) कांच (सिलिका) या प्लास्टिक से निर्मित अत्यधिक पतली बेलनाकार खोखली नलिकांए होती हैं, जो प्रकाश के पूर्ण आंतरिक परावर्तन के सिद्धांत पर कार्य करती हैं। इनमें प्रकाश ऊर्जा का किसी प्रकार का क्षय नहीं होता है। प्रकाश तंतु अतिसूक्ष्म और अतिशुद्ध कांच के रेशे होते हैं। इसके अंतर्गत प्रकाश तरंगों के माध्यम से संदेशों का संचरण होता है। भारत में 1980 के दशक से इसका प्रयोग हो रहा है और वर्तमान में इसका विकास बहुत तीव्रता से हुआ है क्योंकि इसकी निम्न विशेषताएं होती है- इसके माध्यम से संचार की गति बहुत तीव्र होती है। इसकी क्षमता बहुत अधिक होती है। इस पर मौसम की प्रतिकूलता का प्रभाव नहीं पडता है। इसलिए यह बहुत विश्व सनीय और त्रुटि मुक्त होते है। ये बहुत पतले और हल्के होते हैं, इसलिए इनके संचालन में बहुत कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है। ये मुख्यतः सिलिकॉन ऑक्साइड से बनाये जाते हैं जो बालू से प्राप्त होता है। इसलिए इनके बनाने में लागत खर्च कम आती है। सन् 2000 से भारत में निजी सेवा की कंपनियों को प्रकाश तंतु का जाल बिछाने की जिम्...

उपसर्ग Upasarg

उपसर्ग की परिभाषा- उपसर्गः-  वे शब्दांश जो किसी मूल शब्द के पूर्व में लगकर नये शब्द का निर्माण करते हैं अर्थात् नये अर्थ का बोध कराते हैं, उन्हें उपसर्ग कहते हैं। उसके अर्थ में कोई विशेषता या परिवर्तन ला देते हैं या उसके अर्थ को पूर्णतया बदल देते हैं, उपसर्ग कहलाते हैं। उनका अपना स्वतंत्र अर्थ नहीं होता, मूल शब्द के साथ जुड़कर ये नया अर्थ देते हैं। इन उपसर्गों का स्वतंत्र प्रयोग नहीं होता। जैसे - ‘हार’ एक शब्द है, इसके साथ शब्दांश प्रयुक्त होने पर कई नए शब्द बनते हैं यथा - आहार, उपहार, प्रहार, विहार, परिहार, प्रतिहार, संहार आदि। अतः हार शब्द के साथ प्रयुक्त क्रमशः आ, उप, प्र, वि, परि, प्रति सम् शब्दांश उपसर्ग की श्रेणी में आते हैं। - नए शब्द निर्माण में महत्त्वपूर्ण  - जब किसी मूल शब्द के साथ कोई उपसर्ग जुड़ता है तो उनमें सन्धि नियम भी लागू होता है। प्रकारः हिन्दी उपसर्ग तीन प्रकार के होते हैं - अ. संस्कृत के उपसर्ग ब. हिन्दी के उपसर्ग  स. विदेशी उपसर्ग अ. संस्कृत के उपसर्ग - संस्कृत के उपसर्ग की संख्या 22 होती है। ये उपसर्ग हिन्दी में भी प्रयुक्त होते...

अधिसूचना का प्रारूप

राजस्थान प्रशासनिक सेवा में मुख्य परीक्षा में चतुर्थ पेपर में हिन्दी के अंतर्गत पूछे जाने वाली अधिसूचना जोकि लगभग 10 अंकों का होता है  अधिसूचना Notification किसी भी सरकारी राजपत्रित अधिकारी की नियुक्ति, पदोन्नति, अवकाश-प्राप्ति, त्याग-पत्र तथा सरकारी नियमों, आदेशों व आज्ञाओं की राज्य सरकार द्वारा की गई घोषणाओं को अधिसूचना कहते हैं। अधिसूचनाएं किसी व्यक्ति विशेष से सम्बन्धित भी हो सकती हैं किन्तु इनका सम्बन्ध सामान्य जनता से होता है इसलिए इन्हें  राजकीय राज पत्र में अनिवार्यतः प्रकाशित किया जाता है तथा आवश्यक होन पर समाचार पत्र में भी प्रकाशित कराया जाता है। अधिसूचना किसी अधिनियम के अन्तर्गत जारी की जाती है तथा अन्य पुरुष शैली में लिखी जाती है। जैसे-                     राजस्थान सरकार                     ऊर्जा विभाग क्रमांकः ऊवि/2010-11/101 जयपुर, दिनांक: 19 नवंबर, 2010                       ...

अशोक ने कौनसे लेख में अपने समकालीन यूनानी शासकों का उल्लेख किया है, जहां उसके धर्ममहापात्र भेजे गए थे?

अशोक के 13वें एवं दूसरे शिलालेख के अनुसार उसका निम्न विदेशी शासकों से सम्बन्ध बताया गया है- मिस्र का तुरमय सीरियाई शासक अन्तियोक मेसीडोनियन राजा अन्तिकिन एपिरस का मग तथा सीरिन  का अलिकसुन्दर  दक्षिणी सीमा पर स्थित राज्य चोल, पांड्य, सतियपुत्त, केरलपुत्त एवं ताम्रपर्णि (लंका) बताये गये हैं। सिंहली अनुश्रुतियों में दीपवंश एवं महावंश के अनुसार अशोक के राज्यकाल में पाटलिपुत्र में बौद्ध धर्म की तृतीय संगीति हुई। इसकी अध्यक्षता मोग्गलिपुत्ततिस्स नामक प्रसिद्ध बौद्ध भिक्षु ने की थी। बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए भेजे गये भिक्षु जिनके नाम महावंश में इस प्रकार है- धर्म प्रचारक देश मज्झन्तिक कश्मीर तथा कन्धार महारक्षित         यवन देश मज्झिम हिमालय देश धर्मरक्षित         अपरान्तक महाधर्म रक्षित महाराष्ट्र महादेव         महिषमण्डल (मैसूर) रक्षित बनवासी (उत्तरी कन्नड़) सोन तथा उत्तर         सुवर्णभूमि महेन्द्र तथा संघमित्रा लंका लंका में बौद्धधर्म प्रचारकों को विशेष स...

शुंग राजवंश

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मौर्योत्तर भारत शुंग राजवंश :184 ई.पू. - 72 ई.पू. पुष्यमित्र द्वारा अन्तिम मौर्य सम्राट का वध कर सिंहासन प्राप्त करने का विवरण मिलता है - हर्षचरित में शुंग इतिहास के साधन साहित्य - पुराण:- पुराणों में मत्स्य, वायु तथा ब्रह्माण्ड विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। हर्षचरित - इसकी रचना महाकवि बाणभट्ट ने की थी। पुष्यमित्र ने अंतिम मौर्य शासक बृहद्रथ की सेना निरीक्षण के बहाने बुलाकर हत्या कर दी और सिंहासन पर अधिकार कर लिया। इसमें उसे ‘अनार्य; तथा ‘निम्न उत्पत्ति’ का बताता है। पतंजलि का महाभाष्य   पतंजलि पुष्यमित्र शुंग के पुरोहित थे। उनके ‘महाभाष्य’  में यवन आक्रमण की चर्चा हुई है, जिसमें बताया गया हैं कि यवनों ने साकेत तथा माध्यमिका को रौंद डाला था। गार्गी संहिता एक ज्योतिष ग्रंथ, इसके युग-पुराण खण्ड में यवन आक्रमण का उल्लेख मिलता है।  यवन आक्रांता साकेत, पंचाल, मथुरा को जीतते हुए कुसुमध्वज (पाटलिपुत्र) के निकट तक जा पहुंचे। मालविकाग्निमित्र यह महाकवि कालिदास का नाटक है। इससे शुंगकालीन राजनैतिक गतिविधियों का ज्ञान प्राप्त होता है।  पुष्यमित...

प्राचीन भारत का इतिहास

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प्राचीन भारत का इतिहास हड़प्पा सभ्यता के किस स्थल से ताँबे के रथ की खोज हुई थी? -दैमाबाद में भगवान बुद्ध में कौनसी चार घटनाएं थी जो उनमें वैराग्य भाव जगाने का कारण बनी? -वृद्ध व्यक्ति, रोगी व्यक्ति, मृतक, संन्यासी महावीर ने ‘जैन संघ’ की स्थापना कहाँ की थी? -पावापुरी किस बौद्ध संगीति में बौद्ध धर्म के ग्रंथों में संस्कृत का प्रयोग प्रारम्भ हुआ? -चतुर्थ ‘राजगृह’ में महावीर स्वामी ने सर्वाधिक निवास किस ऋतु में किया? -वर्षा ऋतु जैन धर्म के पहले तीर्थंकर के रूप में किसे जाना जाता है? -ऋषभदेव को महावीर के निर्वाण के बाद जैन संघ का अगला अध्यक्ष कौन बना? -सुधर्मन किस शासक के काल में चतुर्थ बौद्ध संगीति का आयोजन कश्मीर के कुण्डलवन में हुआ था? -कनिष्क आदि जैन ग्रंथों की भाषा क्या थी? -प्राकृत भाषा जैन धर्म के पाँचों व्रतों में से सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण व्रत कौन-सा है? -अहिंसा सबसे पहले चारों आश्रमों के विषय में जानकारी कहाँ से मिलती है? -जाबालोपनिषद से वेदान्त किसे कहा गया है? -उपनिषदों को महात्मा बुद्ध द्वारा दिये गये प्रथम उपदेश को क्या कहा जाता है? -धर्मचक्र प्रवर्तन सम्राट अशोक की वह कौन-सी...

‘वीवीपीएटी’ (VVPAT: Voter-Verified Paper Audit Trial) प्रणाली

वीवीपीएटी प्रणालीः भारतीय मतदाताओं को मिला एक और अधिकार 8 अक्टूबर, 2013 को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका पर सुनवाई करते हुए मतदाताओं को एक और अधिकार मिल गया है। इस अधिकार के अंतर्गत अब मतदाता ईवीएम में अपना मत देने के बाद यह जान सकेंगे कि उनका मत उनके दिए अनुसार ही पड़ा है अथवा नहीं। सर्वोच्च न्यायालय ने इस संदर्भ में निर्वाचन आयोग को निर्देशित किया है कि वह आगामी आम चुनावों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए देश भर में चरणबद्ध रूप से ‘वीवीपीएटी’ (VVPAT: Voter-Verified Paper Audit Trial) प्रणाली लागू करे। वीवीपीएटी प्रणाली के तहत ईवीएम के साथ एक विशेष प्रकार की प्रिंटर यूनिट जोड़ी जाती है जिसमें मतदाता द्वारा मत देने के बाद दिए गए मत का सीरियल नंबर, प्रत्याशी का नाम और चुनाव चिह्न प्रिंट हो जाता है, जिसे मतदाता पारदर्शी विंडो के माध्यम से देख सकता है, हालांकि मतदान की गोपनीयता बनाए रखने के लिए मतदाता को वह प्रिंट प्राप्त नहीं होता। किसी विसंगति की स्थिति में इलेक्ट्रॉनिक रूप से पड़े मतों और उनके प्रिंटों का मिलान किया जा सकता है। केन्द्रीय विधि ...

मैं ही था दोषी

स्व दोष मैं ही था दोषी, पुराकाल से अद्यतक, आमजन हूं राष्ट्र का, हरदेश काल में। मैंने ही चुना उसे,  कभी राजतंत्र में, अब लोकतंत्र में। मिथ्यक है यह भम्र, कि कोई हितैषी जन का है। सोचता हूं कि हर युग में, शोषण आमजन का,

आंग्ल-मैसूर युद्ध

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आंग्ल-मैसूर युद्ध  मैसूर में वडियार वंश का शासन था, चिक्का कृष्णराज शासक था। दो भाइयों, देवराज ‘मुख्य सेनापति’ तथा नंदराज (नंजाराज ‘राजस्व तथा वित्त के अधीक्षक’) ने राज्य की समस्त शक्ति अपने हाथ में केन्द्रित कर ली। हैदरअली का जन्म 1721 में मैसूर प्रांत के कोलार में। पिता फतेह मुहम्मद उच्च कोटि के सेनानायक थे। 1749 ई. में हैदरअली ने अपना सैनिक जीवन नंदराज के संरक्षण में शुरू किया। डिंडिगुल में हैदरअली ने फ्रांसीसियों के सहयोग से 1755 ई. में एक शस्त्रागार स्थापित किया तथा अपनी सेना को प्रशिक्षण दिलवाया। धीरे-धीरे हैदरअली की शक्ति बढ़ती गई और वह मैसूर का सेनापति हो गया।  1761 में उसने राज्य की समस्त शक्ति अपने हाथ में केन्द्रित कर ली। प्रथम आंग्ल-मैसूर युद्ध, 1767-69 ई. युद्ध के कारण -  1. अंग्रेज और हैदरअली दोनों ही अपने प्रभाव क्षेत्र में वृद्धि के लिए प्रयासरत थे, हैदरअली की बढ़ती हुई शक्ति अंग्रेजों के लिए खतरे का संकेत थी। 2. हैदरअली के विरूद्ध अंग्रेजों ने षड्यंत्र रचे थे, अतः वह उनसे खिन्न था। 3. हैदरअली अंग्रेजों के कट्टर शत्रु फ्रांसीसिय...

बक्सर युद्ध के परिणामों को लिखिए?

23 अक्टूबर, 1764 ई. को अवध के नवाब शुजाउद्दौला मुगल सम्राट शाहआलम तथा बंगाल के नवाब मीरकासिम की सम्मिलित सेना और अंग्रेजों के मध्य युद्ध हुआ। इस युद्ध में अंग्रेजों की जीत हुई। इस युद्ध के परिणाम प्लासी के युद्ध से अधिक निर्णायक और महत्त्वपूर्ण थे।  इसके परिणाम निम्नलिखित थे- इस युद्ध के पश्चात् बंगाल पर ईस्ट इण्डिया कम्पनी का पूर्णतः अधिकार हो गया। अवध को बाहरी आक्रमण से रक्षा के लिए कम्पनी ने सैनिक सहायता तो दी, परन्तु इन सैनिकों का व्यय नवाब को देना पड़ा। 1765 ई. की सन्धि के अनुसार अवध के नवाब को हर्जाने के रूप में कम्पनी को 50 लाख रुपए देने पड़े। अब कम्पनी की हैसियत भारत में व्यापारिक नहीं, बल्कि शासिका की हो गई। कम्पनी को बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा की राजस्व वसूली का अधिकार मिला। मुगल सम्राट शाहआलम कम्पनी के संरक्षण में इलाहाबाद में रहने लगा। मीरकासिम की स्थिति दयनीय हो गई और वह दिल्ली में जा छुपा। इस प्रकार इस युद्ध के फलस्वरूप मुगल सम्राट और अवध के नवाब कम्पनी की दया पर निर्भर हो गए।

व्यक्तित्व

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एक व्यक्ति के आंतरिक गुणों और बाह्य स्वरूप के मिश्रित रूप को व्यक्तित्व कहते है। एक व्यक्ति के व्यक्तित्व पर जन्मजात गुणों और वातावरण दोनों का प्रभाव पड़ता है। एक व्यक्ति के व्यक्तित्व को आनुवंशिकी कारक की अपेक्षा वातावरणीय कारक अधिक प्रभावित करते हैं। एक व्यक्ति के व्यक्तित्व को बाह्य गुणों की अपेक्षा आंतरिक गुण अधिक प्रभावित करते हैं। परिभाषाएं- वुडवर्थ - ‘व्यक्ति के व्यवहार के समूचा गुण (समग्र विशेषता) उसका व्यक्तित्व है।’ आलपोर्ट - व्यक्तित्व व्यक्ति मे उन मनोशारीरिक गुणों का गत्यात्मक संगठन हैं जो उसके वातावरण के साथ अद्वितीय समायोजन को निश्चित करता है। मन - व्यक्तित्व की परिभाषा उस अतिविशेषतापूर्ण संगठन के रूप में की जा सकती हैं, जिसमें व्यक्ति की संरचना, व्यवहार के ढंग, रूचियां, अभिवृत्तियां, क्षमताएं, योग्यताएं और रूझान सम्मिलित है। गिलफोर्ड - व्यक्तित्व गुणों का समन्वित रूप है। वैलेनटीन - व्यक्तित्व जन्मजात और अर्जित प्रवृत्तियों का योग है। बिग एवं हण्ट - व्यक्तित्व व्यवहार प्रवृत्तियों का एक समग्र रूप हैं, जो व्यक्ति के सामाजिक समायोजन में अभिव्यक्त होता ह...

बुद्धि का मापन और बुद्धिलब्धि

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सबसे पहला बुद्धि परीक्षण 1905 ई. मे अल्फ्रेड बिने ने साइमन की मदद से फ्रांस में बनाया। इस बुद्धि परीक्षण में 30 प्रश्न थे जोकि 3 से 14 वर्ष तक के बालकों के लिए उपयुक्त थे। यह एक शाब्दिक बुद्धि परीक्षण था। यह एक व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण था। इस बुद्धि परीक्षण का नाम बिने-साइमन बुद्धि परीक्षण था। सर्वप्रथम इस परीक्षण में 1908 में संशोधन हुआ और इस संशोधन में मानसिक आयु की अवधारणा को बुद्धि परीक्षण में शामिल किया गया। इस परीक्षण में दूसरा संशोधन 1911 में हुआ और प्रश्नों की संख्या बढ़ाकर 54 कर दी गई। 1916 में अमरीका की स्टैनफोर्ड वि वि में प्रोफेसर टर्मन की अध्यक्षता वाली कमेटी ने इस परीक्षण में संशोधन किया और प्रश्नों की संख्या 90 कर दी गई। इस परीक्षण  में 1911 के परीक्षण से मात्र 19 प्रश्न शामिल किये गये जो कि इस सम्पूर्ण प्रश्नों का 1/3 हिस्सा था। 1916 में इस परीक्षण का नाम बदलकर स्टैनफोर्ड-बिने बुद्धि परीक्षण या टरमन का बुद्धि परीक्षण कर दिया गया। अमेरिका में बिने साइमन परीक्षण का प्रचार गोहार्ड ने किया।   टरमन ने मैरिल के साथ मिलकर एक संशोधन और किया जिसका ...