औद्योगिक क्रांति

 
इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रांति

  • ‘औद्योगिक क्रांति’ शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम फ्रांसीसी नेता ब्लांक ने 1833 ई. में किया था, बाद में टॉयनबी द्वारा प्रयोग किए जाने पर यह शब्द लोकप्रिय हो गया।
  • ए. ब्रिनी की पुस्तक ‘ए एकोनोमिक हिस्ट्री ऑफ यूरोप’
  • मौरिश डोब ‘स्टड़ीज इन द डिवेलपमेंट ऑफ कैपिटलिज्म’ 
  • श्रीमती एल.सी.नोल्स ने 6 बड़ें परिवर्तनों में वर्गीकृत किया हैं-

  1. इंजीनियरिंग का विकास
  2. लोहे का निर्माण में क्रांति
  3. वस्त्रोद्योग में भाप व जल-शक्ति का उपयोग
  4. रसायन उद्योग का विकास 
  5. कोयले की खानों का विकास
  6. परिवहन के साधनों का विकास

  • इन परिवर्तनों को औद्योगिक क्रांति की संज्ञा दी।
  • इतिहासकार जी. डब्ल्यू. साउथगेट के शब्दों में ‘औद्योगिक क्रांति औद्योगिक प्रणाली में परिवर्तन थी, जिससे हस्तशिल्प के स्थान पर शक्ति संचालित यंत्रों से काम लिया जाने लगा तथा औद्योगिक संगठन में भी परिवर्तन हुआ। घरों में उद्योग चलाने की अपेक्षा कारखानों में काम होने लगा।’
  • एन्साइक्लोपीड़िया ऑफ सोशल सांइसेज के अनुसार ‘वह आर्थिक और टेक्नोलॉजिकल विकास, जो 18वीं शताब्दी में अधिक सशक्त और तीव्र हो गया था, जिसके फलस्वरूप आधुनिक उद्योगवाद का जन्म हुआ, को औद्योगिक क्रांति कहा जाता है।’
  • अर्नोल्ड टॉयनबी ने अपनी पुस्तक ‘लेक्चर्स ऑन इण्डस्ट्रियल रिवोल्यूशन’ में यह स्पष्ट किया है कि औद्योगिक क्रांति कोई आकस्मिक घटना नहीं हैं, वरन् विकास की सतत् प्रक्रिया है। 
औद्योगिक क्रांति की दो प्रावस्थाएं मान सकते हैं-
  1. प्रथम, 1750 से 1850 ई. तक रही और
  2. द्वितीय 1850 से लगातार आज भी निर्बाध रूप से जारी है।

औद्योगिक क्रांति का आरम्भ -

  • औद्योगिक क्रांति की शुरूआत 18वीं सदी के उत्तरार्द्ध में सर्वप्रथम इंग्लैण्ड में हुई।
  • हॉलैण्ड यूरोपीय देशों में एक ऐसा देश था, जहां औद्योगिक क्रांति के लिए आवश्यक परिस्थितियां विद्यमान थी। हॉलैण्ड के पास पूंजी भी थी परन्तु वह औद्योगिक देश न होकर व्यापारी देश था। 
  • हॉलैण्ड में लोहे और कोयले का अभाव रहा। वह फ्रांस की विस्तारवादी नीति का शिकार हुआ।
इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रांति के आरम्भ होने के कारण निम्नलिखित थे -

  1. लोहे एवं कोयले की खानें पास-पास होना के कारण पक्के लोहे का निर्माण अधिक सुविधा से होने लगा जो मशीनों के निर्माण के लिए आवश्यक था।
  2. इंग्लैण्ड का विस्तृत औपनिवेशिक साम्राज्य- 18वीं सदी के अन्त तक इंग्लैण्ड ने विस्तृत औपनिवेशिक साम्राज्य स्थापित कर लिया था। उपनिवेशों से उसको कच्चा माल एवं नवीन बाजार उपलब्ध हुए।
  3. मांग के अनुरूप उत्पादन - इंग्लैण्ड उन चीजों का उत्पादक था, जिनकी बड़ी मात्रा में जरूरत रहती थी।
  4. इंग्लैण्ड का मुक्त समाज- इंग्लैण्ड में कृषि-दासता तथा श्रेणी व्यवस्था अन्य देशों की अपेक्षा पहले ही समाप्त हो चुकी थी। उसके अपेक्षाकृत मुक्त समाज में व्यक्तिगत स्वतंत्रता की भावना को बल मिला।
  5. अर्द्धकुशल कारीगरों की उपलब्धता- लम्बे अरसे तक इंग्लैण्ड के पास बड़ी संख्या में अर्द्धकुशल कारीगर रहे। जब इंग्लैण्ड में सामन्ती व्यवस्था भंग हुई तोवे कस्बों में जा बसे। जब औद्योगिक क्रांति हुई तो ये लोग नई मशीनों पर काम करने के लिए उपलब्ध हो गये।
  6. फ्रांसीसी क्रांति एवं युद्ध- फ्रांसीसी क्रांति एवं नेपोलियन के युद्धों ने भी इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रांति के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। युद्ध समाप्ति के बाद इंग्लैण्ड में बेकारी बढ़ गई। इसे दूर करने का एकमात्र उपाय था- उद्योग-धन्धें का विकास
  7. इंग्लैण्ड में शांति एवं व्यवस्था- 1688 ई. में ‘शानदार क्रांति’ के पश्चात् इंग्लैण्ड में संविधान जिन सुदृढ़ सिद्धान्तों पर आधारित किया गया उनसे आंतरिक शांति बनी रही। इंग्लैण्ड के प्रधानमंत्री वालपोल की कुशल नीति से राजनीति एवं वित्तीय स्थायित्व बढ़ा।
  8. जब यूरोप के अन्य देश गृहयुद्धों में तथा बाहरी आक्रमणों से आतंकित रहें, ब्रिटेन को राजनीतिक स्थिरता एवं शांति में व्यापार तथा उद्योगों के विकास का अवसार मिल गया।
  9. पूंजी की उपलब्धता- इंग्लैण्ड के पास बड़े-बड़े कारखानों में लगाने के लिए पूंजी थी। वाणिज्यवाद के परिणामस्वरूप प्रचुर मात्रा में धन इंग्लैण्ड में जमा हो गया था। भारत की लूट ने इंग्लैण्ड की औद्योगिक क्रांति के लिए प्रमुख रूप से उत्प्रेरक का कार्य किया।
  10. व्यापारी वर्ग का प्रभावी होना- इंग्लैण्ड का नव-धनाढ़य वर्ग कुलीनवर्ग नहीं था, अपितु सौदागरों एवं व्यापारियों का वर्ग था, जो अपनी पूंजी को उद्योगों एवं वैज्ञानिक अनुसांधानों में लगाने के लिए तत्पर था। यह नवोदित वर्ग नई उत्पादन विधियों को अपनाने में संकोच नहीं करता था।
  11. बैंकिंग- इंग्लैण्ड में 18वीं शताब्दी के आरम्भ में बैंकों की स्थापना हो चुकी थी। बैंकिंग प्रणाली के विकास से इंग्लैण्ड के उद्योगपरियों को ऋण प्राप्त करने तथा पूंजी जमा करने की सुविधा मिल गई। 
  12. इंग्लैण्ड की अनुकूल भौगोलिक स्थिति- व्यापारिक दृष्टि से इंग्लैण्ड की भौगोलिक स्थिति का विशेष महत्त्व रहा है। एक तरफ तो वह शेष संसार से पृथक रहा और दूसरी ओर संसार के निकट सम्पर्क में भी। इंग्लैण्ड चारों ओर से समुद्र से सुरक्षित रहा।
  13. कृषि क्रांति- इंग्लैण्ड में कृषि क्रांति का आरम्भ औद्योगिक क्रांति से पूर्व ही हो चुका था। कृषि में हुए परिवर्तनों का परिणाम अधिक उत्पादन के रूप में सामने आया।
  14. वैज्ञानिक आविष्कारों को प्रोत्साहन
  15. काली मृत्यु- 

औद्योगिक क्रांति की वैज्ञानिक एवं तकनीकी पृष्ठभूमि-


  • कृषि के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन-
  • वार्कशायर के जेथ्रोटल ने बीज बोने के लिए ‘ड्रिल’ नामक एक यंत्र बनाया, जिससे उचित परिणाम में निश्चित कतारों में बीज बोये जा सकते थे। 
  • आर्थर यंग - नई खेती के तरीकें, ‘एनल्स ऑफ एग्रीकल्चर’ पत्रिका निकाली।

वस्त्र उद्योग में यंत्रों का प्रयोग-


  • औद्योगिक क्रांति की शुरूआत मुख्यतः वस्त्र उद्योग से हुई।
  • 1733 ई. में जॉन के नामक बुनकर ने ‘फ्लाइंग शटल’ का आविष्कर किया।
  • 1764 ई. में जेम्स हारग्रीव्स ने ‘स्पिनिंग जेनी’ का आविष्कार किया। इससे एक साथ सूत के 8 धागे जा सकते थे।
  • 1769 ई. में रिचर्ड आर्कराइट ने स्पिनिंग जेनी में सुधार करके जल शक्ति से चलने वाला ‘वाटर-फ्रेम’ नामक सूत कातने की मशीन थी, जो हाथ से न चलकर जलशक्ति द्वारा चलती थी।
  • कुछ विद्वानों के अनुसार औद्योगिक क्रांति की शुरूआत वस्तुतः 1769 ई. से हुई। 
  • इतिहासकार फिशर के अनुसार आर्कराइट के आविष्कार ने महान् वस्त्र उद्योगों की नींव डाली और कारखाना व्यवस्था को जन्म दिया।


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