1857 का स्वाधीनता संग्राम
1857 के स्वाधीनता संग्राम का आरंभ 10 मई को मेरठ, उत्तर प्रदेश में हुआ। अगले दिन विद्रोही सैनिक दिल्ली पहुंचे और उन्होंने अंग्रेजों के पेंशनभोगी अंतिम मुगल सम्राट बहादुरशाह द्वितीय ‘जफर’ को विद्रोह का नेतृत्व प्रदान करने के लिए राजी कर लिया। सैनिकों के साथ दिल्ली की जनता भी विद्रोह में शामिल हो गई और तेजी से विद्रोह पूरे भारत में फैल गया। सैन्य विद्रोह के रूप में आरंभ हुए इस विद्रोह में भारत की जनता, कृषक, मजदूर, जनजातियां, शिल्पी तथा बहुत से रजवाड़े शामिल हो गये। मेरठ विद्रोह से पहले भी सैनिकों की कुछ विद्रोही घटनाएं हो चुकी थीं। इसमें बुरहानपुर की 19वीं नेटिव इन्फैन्ट्री, 34वीं नेटिव इन्फैन्ट्री तथा 7वीं अवध रेजीमेंट प्रमुख हैं। 34वीं नेटिव इन्फैन्ट्री के मंगल पांडे ने अपने सार्जेंट मेजर को गोली मार दी, फलतः 29 मार्च को उसे फांसी दे दी गई और विद्रोही टुकड़ी भंग कर दी गई। 1857 के विद्रोह के कारण 1857 का विद्रोह एक सैनिक के रूप में आरंभ हुआ और शीघ्र ही इसने जनांदोलन का रूप ले लिया तथा यह भारत के कोने-कोने में फैल गया। आखिर वे कौन से कारण थे जिनकी वजह ...