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Showing posts from December, 2017

1857 का स्वाधीनता संग्राम

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1857 के स्वाधीनता संग्राम का आरंभ 10 मई को मेरठ, उत्तर प्रदेश में हुआ। अगले दिन विद्रोही सैनिक दिल्ली पहुंचे और उन्होंने अंग्रेजों के पेंशनभोगी अंतिम मुगल सम्राट बहादुरशाह द्वितीय ‘जफर’ को विद्रोह का नेतृत्व प्रदान करने के लिए राजी कर लिया।  सैनिकों के साथ दिल्ली की जनता भी विद्रोह में शामिल हो गई और तेजी से विद्रोह पूरे भारत में फैल गया। सैन्य विद्रोह के रूप में आरंभ हुए इस विद्रोह में भारत की जनता, कृषक, मजदूर, जनजातियां, शिल्पी तथा बहुत से रजवाड़े शामिल हो गये। मेरठ विद्रोह से पहले भी सैनिकों की कुछ विद्रोही घटनाएं हो चुकी थीं।  इसमें बुरहानपुर की 19वीं नेटिव इन्फैन्ट्री, 34वीं नेटिव इन्फैन्ट्री तथा 7वीं अवध रेजीमेंट प्रमुख हैं। 34वीं नेटिव इन्फैन्ट्री के मंगल पांडे ने अपने सार्जेंट मेजर को गोली मार दी, फलतः 29 मार्च को उसे फांसी दे दी गई और विद्रोही टुकड़ी भंग कर दी गई। 1857 के विद्रोह के कारण  1857 का विद्रोह एक सैनिक के रूप में आरंभ हुआ और शीघ्र ही इसने जनांदोलन का रूप ले लिया तथा यह भारत के कोने-कोने में फैल गया। आखिर वे कौन से कारण थे जिनकी वजह ...

कांग्रेस के महत्त्वपूर्ण अधिवेशन

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कांग्रेस की स्थापना एक सेवानिवृत्त अंग्रेज अधिकारी ए.ओ. ह्यूम ने 1885 में की।  कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन बंबई के गोकुलदास तेजपाल स्कूल में हुआ, जिसकी अध्यक्षता व्योमेशचंद्र बनर्जी ने की तथा इसमें 72 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। दादाभाई नौरोजी, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, रोमेश चंद्र दत्त, महादेव गोविन्द रानाडे, बाल गंगाधर तिलक, शिशिर कुमार घोष, बदरुद्दीन तैय्यबजी, फिरोजशाह मेहता, मोतीलाल घोष, मदन मोहन मालवीय, जी. सुब्रह्मण्यम अय्यर, सी. विजयराघवाचारी तथा दिनशा ई. वाचा आदि कांग्रेस के प्रारम्भिक नेताओं में से थे। सुरेन्द्र नाथ बनर्जी द्वारा स्थापित ‘इंडियन एसोसिएशन’ को कांग्रेस की ‘पूर्वगामी’ संस्था माना जाता है। कांग्रेस के प्रथम यूरोपीय अध्यक्ष जॉर्ज यूल थे। कांग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्ष श्रीमती एनी बेसेन्ट तथा प्रथम भारतीय महिला अध्यक्ष श्रीमती सरोजिनी नायडू बनी थी। 1887 ई. के मद्रास अधिवेशन में सर्वप्रथम देशी भाषाओं में भाषण दिया गया। 1888 ई. के इलाहाबाद अधिवेशन में प्रथम बार कांग्रेस के संविधान का निर्माण हुआ। 1889 ई. में बम्बई अधिवेशन में मताधिकार की आयु 21 वर्ष कर सार्...

राजस्थान की 6 ऐतिहासिक बावड़ियों पर जारी हुआ डाक टिकट, जानिए... Rajasthan ki Bawadiya

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29 दिसम्बर 2017 को नई दिल्ली के कॉन्सिट्यूशन क्लब में केन्द्र सरकार द्वारा राजस्थान की छः ऐतिहासिक बावड़ियों सहित देश की 16 प्राचीन बावड़ियों पर डाक टिकट जारी किए। राजस्थान की इन 6 ऐतिहासिक बावड़ियों के नाम इस प्रकार हैं- दौसा जिले के आभानेरी की प्रसिद्ध चांद बावड़ी बूंदी जिले की रानी जी की बावड़ी एवं नागर-सागर कुण्ड अलवर जिले की नीमराना बावड़ी जोधपुर की तूर जी का झालरा और  जयपुर की पन्ना मियां की बावड़ी आदि को शामिल किया हैं। देश की अन्य बावड़ियां जिन पर डाक टिकट जारी हुआ - कर्नाटक से हम्पी की पुष्करिणी बावड़ी व मुस्किन भानवी बावड़ी लक्कुंडी गुजरात की रानी जी की बावड़ी, पाटण दादा हरीर बावड़ी, अहमदाबाद, अडालज बावड़ी, सूर्य कुंड मोढेरा शाही बावड़ी लखनऊ,  हरियाणा की गौस अली शाह बावड़ी फारुख नगर,  दिल्ली की अग्रसेन की बावड़ी, राजों की बावड़ी आदि शामिल हैं। 1990 ई. में बूंदी के महाकवि सूर्य मल्ल मिश्रण पर पहली बार जयपुर में डाक टिकट जारी किया था। 

ट्रांसपोर्ट वाउचर योजना Transport voucher scheme

राज्य सरकार द्वारा 6 से 14 आयु वर्ग के बालक-बालिकाओं को प्रारंभिक शिक्षा हेतु निःशुल्क परिवहन सुविधा उपलब्ध कराने के लिए ट्रांसपोर्ट वाउचर योजना 2017-18 का संचालन किया जा रहा है। इसमें ग्रामीण क्षेत्र के राजकीय विद्यालयो में पढ़ रहे कक्षा 1 से 8 तक के उन सभी छात्रों को इस योजना का लाभ मिलेगा जिनके निवास स्थान से एक किलोमीटर पर राजकीय प्राथमिक और दो किलोमीटर की दूरी तक कोई राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय नहीं है। कम आबादी वाले क्षेत्रों, ढाणियों जहां पर विद्यालय संचालन संभव नहीं है, वहां निवास करने वाले 6 से 14 आयुवर्ग के सभी बालक-बालिकाओं को ट्रांसपोर्ट वाउचर योजना से लाभान्वित किया जायेगा। इसके अंतर्गत कक्षा 1 से 5 तक विद्यालय से एक किलोमीटर से अधिक की दूरी पर छात्रों को प्रति उपस्थिति दिवस 10 रुपये तथा कक्षा 6 से 8 तक दो किलोमीटर से अधिक की दूरी पर 15 रुपये प्रति उपस्थिति दिवस ट्रांसपोर्ट वाउचर से लाभान्वित किया जाएगा। ट्रांसपोर्ट वाउचर योजना शुरू करने के बाद वर्तमान में संचालित किसी भी विद्यालय को बंद या निकट के विद्यालय में समन्वयीकरण नहीं किया जाए। ट्रांसपोर्ट वाउचर योजन...

DSSSB में 9523 शिक्षक के पद के लिए ऑनलाइन आवेदन 5 जनवरी 2018 से DSSSB Recruitment 2017

दिल्ली अधीनस्थ कर्मचारी चयन बोर्ड 9523 पदों को भरने के लिए DSSSB भर्ती 2017 का आयोजन करेगा। उम्मीदवार 5 जनवरी से 31 जनवरी 2018 तक डीएसएसएसबी शिक्षक के पद के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। परीक्षा के सभी चरणों का उत्तीर्ण करने वाले उम्मीदवारों को अंततः टीजीटी, पीजीटी के पद के लिए चुना जाएगा सहायक शिक्षक डाक डीएसएसएसबी परीक्षा तिथियाँ 2017 डीएसएसएसबी ने टीजीटी, पीजीटी और जेई पद के लिए आवेदन पत्र की घोषणा की है। इन पदों के लिए आवेदन पत्र जमा करने की आखिरी तारीख 31 जनवरी 2018 है। तिथियां ऑनलाइन पंजीकरण की शुरूआत- 5 जनवरी 2018 आवेदन पत्र अंतिम तिथि- 31 जनवरी 2018 तक   जल्द ही अधिसूचना जारी करने के लिए प्रवेश पत्र जारी करना परीक्षा शुरू करने के लिए जल्द ही अधिसूचित किया जाएगा डीएसएसएसबी वेतन 2017 भारत सरकार डीएसएसएसबी 2017 के जरिए पेश की गई कई पदों में शामिल होने के उम्मीदवारों के लिए एक शानदार वेतन प्रदान करती है। वेतन विभिन्न पदों के लिए अलग है। प्रतिष्ठित सरकारी संगठन में शामिल होने के लिए सभी उम्मीदवारों को मौका देने के लिए हर साल डीएसएसएसबी ऑनलाइन परीक्षा आयोजित ...

राजा राममोहन राय और ब्रह्म समाज

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राजा राममोहन राय  19वीं शताब्दी के सांस्कृतिक जागरण के अग्रगामी थे। उन्हें आधुनिक भारत के निर्माता के रूप में जाना जाता है। पट्टाभिसीता रमैय्या ने लिखा ‘अद्वितीय व्यक्तित्व के धनी राजाराम मोहन राय को भारतीय राष्ट्रवाद का अग्रदूत और जनक कहा जाता है।’ उनकी मान्यता थी कि भारत का जितना जल्दी आधुनिकीकरण होगा भारतीयों के लिए उतना ही हितकर होगा। भारतीय समाज की जड़ों में व्याप्त रूढ़ियों और कुरीतियों का उन्होंने खुला विरोध किया। जन्मः 22 मई, 1772 ई. को, बंगाल के हुगली जिले में स्थित राधानगर में हुआ। राजा राम कई भाषाओं के ज्ञाता थे जिनमें प्रमुख थी- अरबी, फारसी, संस्कृत जैसी प्राच्य भाषायें तथा अंग्रेजी, फ्रांसीसी, लैटिन, यूनानी और हिब्रू जैसी पाश्चात्य भाषायें। पिता - रमाकांत के घर हुआ। वे रूढ़िवादी ब्रह्मण थे। ‘राम’ की उपाधि इन्हें पिता से प्राप्त हुई थी। बचपन से ही उनको मूर्तिपूजा में विश्वास नहीं रहा। उन्होंने 1803 ई. में फारसी भाषा में ‘तूहफात-उल-मुवाहेदिन’ नामक पुस्तक की रचना की, जिसमें उन्होंने एकेश्वरवाद पर बल दिया। 1820 में उनकी ‘प्रीसेप्ट्स ऑफ जीसस’ पुस्तक प्रकाशित हु...

डलहौजी की राज्य हड़प नीति या व्यपगत नीति

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ब्रिटिश सार्वभौमिकता की स्थापना के लिए युद्ध के अलावा कुछ ऐसे उपायों का सहारा लिय गया, जिनके बल पर कई भारतीय राज्यों को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया गया। डलहौजी के इसी उपाय को व्यपगत सिद्धांत के नाम से जाना जाता है।  यह गोद-निषेध सिद्धांत के नाम से भी जाना जाता है। डलहौजी ने ब्रिटिश सत्ता का विस्तार तीन प्रकार से किया। 1. युद्ध अभियान करना। 2. बुरे शासन एवं भ्रष्टाचार के नाम पर प्रदेशों को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लेना। 3. गोद-निषेध द्वारा राज्यों का विलीनीकरण। डलहौजी के अनुसार भारत में तीन प्रकार की रियासतें थीं 1. वे रियासतें जो कभी-भी अंग्रेजों के अधीन नही और न ही अंग्रेजों को कर देती थीं। 2. वे भारतीय रियासतें जो मुगल सम्राट अथवा पेशवा के बजाये अंग्रेजों के अधीन हो गई थीं। 3. वे रियासतें जो अंग्रेजो ने सनदों द्वारा स्थापित की थीं गोदप्रथा   किसी सत्ताधारी शासक के पुत्र नहीं होता था तो वह हिन्दू विधि अनुसार अपने निकट संबंधी के पुत्र  को गोद लेकर दत्तक पुत्र बना लिया करता था। पिता की मृत्यु के बाद दत्तक पुत्र को वे सभी अधिकार प्राप्त ...

बलबन का राजत्व सिद्धांत

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बलबन दिल्ली सल्तनत का ऐसा पहला शासक था जिसने सुल्तान के पद और अधिकारों के बारे में विस्तृत रूप में विचार प्रकट किए। उसने सुल्तान की प्रतिष्ठा को स्थापित करने के लिए ‘रक्त एवं लौह की नीति’ अपनाई। बलबन के राजत्व सिद्धांत की दो मुख्य विशेषताएं थीं- 1. सुल्तान का पद ईश्वर के द्वारा प्रदान किया हुआ होता है और उसके आदेशों का उल्लंघन ईश्वर के आदेशों का उल्लंघन है। 2. सुल्तान का निरंकुश होना आवश्यक है।  बलबन के अनुसार ‘सुल्तान पृथ्वी पर ईश्वर का प्रतिनिधि (नियामत-ए-खुदाई) है और उसका स्थान केवल पैगम्बर के पश्चात् है। सुल्तान को कार्य करने की प्रेरणा और शक्ति ईश्वर से प्राप्त होती है। इस कारण जनसाधारण या सरदारों को उसके कार्यों की आलोचना करने का अधिकार नहीं है।’ बलबन अपने को ‘फिरदौसी के शाहनामा’ में वर्णित ‘अफरासियाब वंशज’ तथा शासन को ईरानी आदर्श के रूप में सुव्यवस्थित किया। उसने पुत्र बुगरा खां से कहा था कि, ‘सुल्तान का पद निरंकुशता का सजीव प्रतीक है।’ बलबन अपने अधिकारियों से यह आशा करता था कि वे ईमानदार, न्यायप्रिय और धर्मपरायण हों। इसी कारण बलबन न केवल सुल्तान अपितु सम्प...

लौह- इस्पात और वायुयान उद्योग

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लौह- इस्पात द्वितीय पंचवर्षीय योजना काल 1956-61 में सार्वजनिक क्षेत्र के तीन प्रमुख लौह-इस्पात कारखाने स्थापित किये गये है- हिन्दुस्तान स्टील लि. भिलाई (दुर्ग जिला, छत्तीसगढ) हिन्दुस्तान स्टील लि. राउरकेला (सुन्दरगढ़, उडीसा) हिन्दुस्तान स्टील लि. दुर्गापुर (वर्धमान, प. बंगाल) तृतीय पंचवर्षीय योजना काल (1961-66) में झारखण्ड के बोकारो नामक स्थान पर एक नये कारखाने की आधारशिला रखी जिसमें चतुर्थ पंचवर्षीय योजना में उत्पादन प्रारम्भ हुआ। आंध्रप्रदेश के विशाखापटनम इस्पात संयंत्र देश का पहला ऐसा समन्वित इस्पात कारखाना है, जिसने ISO प्रमाण-पत्र प्राप्त किया है। कर्नाटक के बेलारी- विजयनगर इस्पात परियोजना  तमिलनाडु के सलेम - सलेम  देश में टाटा आयरन एण्ड स्टील कम्पनी  वायुयान उद्योगः- देश में वायुयान निर्माण का प्रथम कारखाना 1940 में बंगलुरू में ‘हिन्दुस्तान एयर क्राफ्ट कम्पनी के नाम से स्थापित किया गया। इस समय इसे ‘हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड’  (HAL)   के नाम से जाना जाता है। HAL की प्रमुख इकाइयांः नासिक शाखा जहां विमान बनते है। कोरापुट शाखा...

राजस्थान की जलवायु

किसी बड़े क्षेत्र में दीर्घावधि की औसत मौसमी दशाओं को जलवायु कहते हैं। भारत में इसका निर्माण 35-50 वर्ष क आंकड़ों के आधार पर किया जाता है। राजस्थान का सर्वाधिक उष्ण व सर्वाधिक शीत जिला चूरू है। राजस्थान का सर्वाधिक उष्ण स्थान फलौदी (जोधपुर) है। राजस्थान का सर्वाधिक शीत स्थान माउण्ट आबू , सिरोही में है। राजस्थान का सर्वाधिक वर्षा (आर्द्रता) वाला स्थान माउण्ट आबू है। राजस्थान का सर्वाधिक वर्षा वाला जिला झालावाड़ है। राजस्थान का सबसे कम वर्षा वाला जिला जैसलमेर है। राजस्थान में सर्वाधिक विषमता (वर्षा की) बाड़मेर व न्यूनतम डूंगरपुर है। राजस्थान में सर्वाधिक वार्षिक तापान्तर चूरू में पाया जाता है। राजस्थान में न्यूनतम वार्षिक तापान्तर डूंगरपुर में जबकि सर्वाधिक दैनिक तापान्तर जैसलमेर का व न्यूनतम दैनिक तापान्तर बांसवाड़ा का है। वार्षिक मौसमी दशाओं के आधार पर राजस्थान की जलवायु को तीन ऋतुओं के अंतर्गत पर राजस्थान की जलवायु को तीन ऋतुओं के अंतर्गत रखा जा सकता है। ग्रीष्म ऋतु - मार्च से जून तक रहती है तथा सामान्य रूप से तापमान जून माह में 40-50 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। वर्षा ऋत...

आम्र बौछार

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आम्र वृष्टि:- ग्रीष्म ऋतु के अंत में केरल तथा कर्नाटक के तटीय भागों में मानसून पूर्व की हल्की वर्षा सामान्य बात हे। इनका स्थानीय नाम ‘आम्र वृष्टि’ आम्र बौछार है। आम के फलों को शीघ्र पकने में सहायक होने के कारण ही इसे यह नाम दिया जाता है। काल बैसाखी:-  पश्चिम बंगाल, बांग्लादेश तथा असम में मई माह अर्थात् बैसाख मास में सायंकालीन तड़ित-झंझा का आना सामान्य बात है। इस दौरान पवनें अत्यंत तीव्र गति से गर्जन के साथ बहती हैं, जो अपने साथ वर्षा की तेज बौछारें भी लाती है।  इस क्षेत्र में पेड़ों, फसलों, झोपड़ियों इत्यादि को बहुत नुकसान होता है। इनके कुख्यात स्वरूप के कारण ही इन्हें ‘काल बैसाखी’ या ‘बैसाख मास का काल’ नाम दिया गया है। लू:-  अत्यंत ही शुष्क तथा गम पवनें उत्तर-पश्चिम भारत तथा गंगा के मैदान में, जो दोपहर के बाद मई तथा जूल माह में चला करती हैं। इसका स्थानीय नाम लूू है। जब इनका प्रभाव बढ़ता है, तो भीषण गमी्र पड़ने लगती है। लू की चपेट में आये वयक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। मानसून का फटना:-  जून के प्रारंभ में जब दक्षिण-पश्चिम मानसूनी हवायें बड़ी...

अलनीनो क्या है? भारतीय मानसून पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है?

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अलनीनो एक अजीबो-गरीब समुद्री तथा जलवायुविक घटना है जो कुछ अंतराल पर दक्षिण प्रशांत महासागर में पेरू तट पर प्रकट होता है। यह सामान्यतः क्रिसमस के आसपास गर्म समुद्री जलधारा के रूप में प्रकट होता है। खास बात यह है कि यह क्षेत्र अटाकामा के ठण्डी समुद्री जलधारा का क्षेत्र है, जहां यह धारा दक्षिण से उत्तर की ओर प्रवाहित होती है, जबकि अलनीनो धारा गर्म होती है और इसकी प्रवाह दिशा उल्टी अर्थात् उत्तर से दक्षिण की ओर होती है। अलनीनो वर्ष में दक्षिणी अमेरिका के पश्चिमी भाग, दक्षिणी प्रशांत महासागर और ऑस्ट्रेलिया में कई असामान्य जलवायविक घटनाएं देखी जाती हैं। जलवायु वैज्ञानिकों का मानना है कि एलनिनों का प्रभाव भारत के दक्षिणी-पश्चिमी मानसून पर भी पड़ता है। ऐसा देखा गया है कि अलनीनो वर्ष में दक्षिणी-पश्चिमी मानसून कमजोर पड़ जाता है, जिससे देश में कई क्षेत्रों में सूखे की आशंका बढ़ जाती है। पिछले दस वर्षों से वैज्ञानिक अलनीनो के प्रभाव को निश्चित रूप से जानने के लिए लंबी अवधि की परियोजनाएं चला रहे थे, जिसका कार्यकाल दिसम्बर 1995 में समाप्त हुआ। इनके निष्कर्षों के अनुसार...

हिमालय का भौगोलिक वर्गीकरण करें?

हिमालय पर्वत कई पर्वत श्रेणियों से मिलकर बना है जो एक-दूसरे के समानान्तर फैली हुई हैं। हिमालय को चार भौगोलिक भागों में वर्गीकृत किया जाता है, जो निम्न प्रकार से है- वृहत् हिमालय:- यह हिमालय की सबसे उत्तरी श्रेणी है। इसे हिमाद्रि, महान हिमालय, मुख्य हिमालय अथवा बर्फीला हिमालय भी कहा जाता है। इसका विस्तार नंगा पर्वत से नामचा बर्वा तक एक पर्वतीय दीवार के रूप में है। इसकी लंबाई 2500 किमी. औसत चौड़ाई 25 किमी. एवं औसत ऊंचाई 6,000 मीटर है। विश्व की 75 प्रतिशत ऊंची चोटियां हिमालय के इसी भाग में पाई जाती हैं। मुख्य चोटियां हैं - माउण्ट एवरेस्ट (8850 मीटर), नन्दादेवी (7818 मीटर), नंगा पर्वत (8126 मीटर), कंचनजंघा (8598 मीटर), मकालू (8481 मीटर), अन्नपूर्णा (8078 मीटर), मनसालू (8156 मीटर) तथा धौलागिरि (8172 मीटर)। इस श्रेणी का ढाल सिन्धु और सांग्पो की संकरी घाटियों की ओर साधारण है, किंतु दक्षिण में यह तीव्र है। इस श्रेणी के मध्यवर्ती भाग से गंगा, यमुना और उनकी सहायक नदियां निकलती हैं। मध्य हिमालय:- यह श्रृंखला वृहत् हिमालय के दक्षिण में उसी के समानान्तर फैली हुई है। इस श्रेणी की औसत ऊंचाई 1...

सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में पूछे गये भूगोल के प्रश्न

इंसेप्टीसोल यह संयुक्त राष्ट्र कृषि विभाग द्वारा वर्गीकृत मिट्टी का एक प्रकार है, जिसकी मृदा परिच्छेदिका अविकसित होती है। इसमें क्ले, लोहा, एल्यूमीनियम और अन्य जैविक पदार्थों की उपस्थिति पायी जाती है, इसका रंग भूरा होता है। रेगर यह भारत के दक्कन क्षेत्र में पायी जाने वाली ज्वालामुखी निर्मित काली मिट्टी है। विशेष आर्थिक जोन ये ऐसे भौगोलिक क्षेत्र होते हैं, जिन्हें देश के अन्य आर्थिक कानूनों की अपेक्षा अधिक सरल व एकरूप कानूनों को लागू कर विदेशी निवेश को आकर्षित करने के उद्देश्य से विकसित किया गया है। विशेष आर्थिक क्षेत्रों को मुक्त व्यापार क्षेत्र, निर्यात संवर्धन क्षेत्र, मुक्त क्षेत्र, इंडस्ट्रियल स्टेट, अरबन इंटरप्राइज जोन और मुक्त बंदरगाह आदि में विभाजित किया जाता है। जारवा यह अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में पायी जाने वाली निग्रॉयड प्रजाति की जनजाति है। यह घुमक्कड जनजाति है, जो मुख्यतः सुअर, छिपकली, मछलियों कका तीर और कमान से शिकार कर अपना जीवनयापन करती है। आमतौर पर ये 40-50 के झुण्ड़ों में घूमते रहते हैं। ऐसा माना जाता है कि अंडमान निकोबार में पायी जाने वाली जारवा व अन...

ओपिनियन पोल Opinion Poll, एक्जिट पोल और स्नैप पोल Snap Poll के आरे में क्या जानते हैं?

ओपिनियन पेाल Opinion Poll -  जब चुनावों से पूर्व या चुनावों के दौरान संचार माध्यम विभिन्न लोगों की राय जानकारी किसी दल या प्रत्याशी की जीत-हार का दावा करता है, तो इसे ‘ओपिनियन पोल’ कहते हैं। इसमें मतदाताओं के बीच राय-शुमारी की जाती है। एक्जिट पोल Exit Poll-  निकासी मतदान वह प्रक्रिया हे जिसके अन्तर्गत मतदान केन्द्र से मत देकर बाहर निकलते मतदाताओं से पूछा जाता है कि उन्होंने किस दल या प्रत्याशी को वोट दिए एवं इसी आधार पर किसी प्रत्याशी या दल की चुनावों में जीत-हार का पता लगाया जाता है। भारत में ‘ओपिनियन पोल’ एवं ‘एक्जिट पोल जैसे साधनों का प्रचलन पिछले कुद चुनावों से बढ़ा है। स्नैप पोल Snap Poll-  यह तत्काल चुनाव से संबंधित व्यवस्था है। राष्ट्रपति या राज्यपाल द्वारा संसद या राज्य विधानमंडलों को भंग कर त्वरित रूप से नया चुनाव करा लेना ही स्नैप पोल कहलाता है। अध्यादेश Ordinance जब संसद या राज्य विधानमंडल सत्र में न हो एवं कोई आवश्यक समस्या उत्पन्न हो जाये, तो इससे निपटने के लिए राष्ट्रपति एवं राज्यपाल को क्रमशः धारा 123 एवं 213 के अन्तर्गत अध्यादेश जारी कर...

गणपूर्ति Quorrum:

निम्न के बारे में संक्षिप्त टिप्पणी लिखें - अ. व्हिपःWhip-  ‘व्हिप’ शब्द का आशय ‘लगाम’, ‘कोड़ा’ या ‘फटकार’, ‘सावधान’ या सचेत करना है। जब संसद के दोनों सदनों मे मतदान का समय आता है, तो प्रत्येक दल अपने सदस्यों को मतदान में भाग लेने के लिए ‘व्हिप’ जारी करता है। प्रत्येक दल का एक सचेतक होता है, जो दल में ‘व्हिप’ के माध्यम से अनुशासन बनाये रखता है। ब. गणपूर्ति Quorrum: गणपूर्ति संसद के दोनों सदनों की न्यूनतम संख्या से सम्बन्धित है। दोनों सदनों में इसके लिए न्यूनतम 1/10 सदस्यों की संख्या निश्चित की गयी है। यदि 1/10 सदस्य नहीं पूरे होते, तो संसद के किसी भी सदन की बैठक नहीं हो सकती। स. अभिभाषण Address: अभिभाषण से आशय राष्ट्रपति या राज्यपाल के अभिभाषण से है। चुनाव के तुरन्त बाद संसद के संयुक्त सत्र को राष्ट्रपति द्वारा या दोनों सदनों की प्रथम बैठक के दौरान राष्ट्रपति द्वारा संयुक्त सदन को सम्बोधित करना ही अभिभाषण कहलाता है। राज्यों में राज्यपाल भी चुनाव के तुरन्त बाद या प्रथम वर्ष की संयुक्त बैठक के दौरान राज्य विधानमंडल में इसी तरह का अभिभाषण करता है। द. प्रत्यर्पण Extradition:...

तारांकित प्रश्न और अतारांकित प्रश्न के महत्त्व को रेखांकित करें? Tarankit Prashan

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तारांकित प्रश्न Starred Question: तारांकित प्रश्न वह प्रश्न होता है, जिसका उत्तर मंत्रियों को मौखिक रूप से देना पड़ता है। चूंकि इसमें तारांक लगा होता है, इसलिए इसे तारांकित प्रश्न कहते हैं।  इसका उल्लेख कार्य संचालन नियम 36 में किया गया है। इसमें मंत्रियों से पूरक एवं अनुपूरक  प्रश्न  भी पूछे जाते हैं। अतारांकित प्रश्न Unstarred Question: चूंकि इस प्रकार के प्रश्न में तारांक नहीं लगा होता है, इसलिए इसे अतारांकित प्रश्न कहते हें। इसका उत्तर लिखित रूप में देना पड़ता है। इसका उल्लेख लोक कार्य संचालन नियम 39 में है। इसमें अनुपूरक प्रश्न नहीं पूछे जाते हैं। कटौती प्रस्ताव कितने तरह के होते है? इन्हें कब पेश किया जाता है? कटौती प्रस्ताव Cut Motion यह ऐसा प्रस्ताव है, जिसके द्वारा सदन के सदस्य सरकार के किसी विभाग की धनराशि में कटौती की मांग करते हैं।  कटौती प्रस्ताव के तीन प्रकार हैं- नीतिगत कटौतीः इसमें सरकार के सिद्धांतों या नीतियों से असहमति व्यक्त की जाती है। अर्थगत कटौतीः किसी खास मद में मांगी गयी राशि में कुछ कटौती से ऐसा प्रस्ताव संबंधित होता है...