Indian History
हड़प्पाकालीन नगर योजना का संक्षेप में वर्णन कीजिए? Harappa
उन चार हड़प्पाई बस्तियों के नाम बताइये जो आधुनिक भारत में स्थित नहीं है?
आधुनिक भारत में हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, चन्हुदड़ो, सुत्कांगेण्डोर नामक हड़प्पा बस्तियां स्थित नहीं हैं, ये अब पाकिस्तान में अवस्थित है।
सिंधु घाटी में शहरों के उदय के क्या कारण थे?
सैंधव सभ्यता प्रथम नगरीय सभ्यता थी। इस सभ्यता में नगरीय तत्वों के उदय के मुख्य कारणों में हम कृषि अधिशेष, उद्योग-धन्धों की प्रधानता एवं आंतरिक और विदेशी व्यापार की वृद्धि को मान सकते हैं। कृषि अधिशेष से नगरों में रहने वाले लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति हुई। यह सभ्यता एक शांतिप्रिय सभ्यता थी, जिसके कारण उद्योग-धंधों एवं व्यापार-वाणिज्य में वृद्धि हुई, जिससे इस सभ्यता ने एक नगरीय रूप धारण कर लिया। इस सभ्यता का नगर-नियोजन भी अद्भुत विशेषता को समाहित किए हुए हैं।
हड़प्पाकालीन नगर योजना का संक्षेप में वर्णन कीजिए?
हड़प्पाकालीन नगरों का निर्माण एक निश्चित योजना के अनुसार किया गया हैं। प्रत्येक नगर के पश्चिम में ऊंचाई पर बसा एक ‘गढ़’ (दुर्ग) मिलता है और इसके पूर्व में अपेक्षाकृत निम्नतल पर बसा ‘नगरभाग’। इसके चारों और ईंटों से निर्मित मोटी दीवार बनी मिलती हैं जिसमें बुर्जे होती थी। प्रत्येक नगर में दुर्ग के बाहर निचले स्तर पर शहर बसा था जहां सामान्य लोग रहते थे। इस भाग में उत्तर-दक्षिण तथा पूर्व से पश्चिम की ओर जाने वाली चौड़ी-चौड़ी सड़के जो एक-दूसरे को समकोण पर काटती थी तथा नगर को कई चौकोर खण्ड़ों में विभाजित करती थी।
आधुनिक भारत में हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, चन्हुदड़ो, सुत्कांगेण्डोर नामक हड़प्पा बस्तियां स्थित नहीं हैं, ये अब पाकिस्तान में अवस्थित है।
सिंधु घाटी में शहरों के उदय के क्या कारण थे?
सैंधव सभ्यता प्रथम नगरीय सभ्यता थी। इस सभ्यता में नगरीय तत्वों के उदय के मुख्य कारणों में हम कृषि अधिशेष, उद्योग-धन्धों की प्रधानता एवं आंतरिक और विदेशी व्यापार की वृद्धि को मान सकते हैं। कृषि अधिशेष से नगरों में रहने वाले लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति हुई। यह सभ्यता एक शांतिप्रिय सभ्यता थी, जिसके कारण उद्योग-धंधों एवं व्यापार-वाणिज्य में वृद्धि हुई, जिससे इस सभ्यता ने एक नगरीय रूप धारण कर लिया। इस सभ्यता का नगर-नियोजन भी अद्भुत विशेषता को समाहित किए हुए हैं।
हड़प्पाकालीन नगर योजना का संक्षेप में वर्णन कीजिए?
हड़प्पाकालीन नगरों का निर्माण एक निश्चित योजना के अनुसार किया गया हैं। प्रत्येक नगर के पश्चिम में ऊंचाई पर बसा एक ‘गढ़’ (दुर्ग) मिलता है और इसके पूर्व में अपेक्षाकृत निम्नतल पर बसा ‘नगरभाग’। इसके चारों और ईंटों से निर्मित मोटी दीवार बनी मिलती हैं जिसमें बुर्जे होती थी। प्रत्येक नगर में दुर्ग के बाहर निचले स्तर पर शहर बसा था जहां सामान्य लोग रहते थे। इस भाग में उत्तर-दक्षिण तथा पूर्व से पश्चिम की ओर जाने वाली चौड़ी-चौड़ी सड़के जो एक-दूसरे को समकोण पर काटती थी तथा नगर को कई चौकोर खण्ड़ों में विभाजित करती थी।
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