राजस्थान में संस्कृत शिक्षा के क्षेत्र में होते सतत प्रयास #Rajasthan

स्वतंत्रता आंदोलन के बाद भारत में राजस्थान ऎसा सर्वप्रथम प्रदेश था, जहां संस्कृत शिक्षा के उत्तम संचालन हेतु 1958 में संस्कृत शिक्षा निदेशालय बनाया गया। सुख्यात विद्वान् के. माधवकृष्ण शर्मा इस निदेशालय के प्रथम निदेशक बने। निदेशालय तब से अद्यावधि संस्कृत भाषा के प्रोन्नयन, प्रसार एवं इस भाषा के विद्वानों के सम्मान के लिए विगत 60 वर्षों से निरंतर कार्य कर रहा है। निदेशालय ने प्रदेश में संस्कृत भाषा के अध्ययन-अध्यापन तथा आम लोगों को संस्कृत से जोडने में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहण किया है। 
जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर में पहली बार योग अध्ययन केंद्र खोला गया है। योग शिक्षा ग्रहण करने वाले युवाओं में कौशल विकास को बढ़ाने के लिए सरकारी स्तर पर यह प्रथम केंद्र है।

संस्कृत शिक्षण प्रकोष्ठ का गठन-

संस्कृत शिक्षा मंत्री महोदय के निर्देशानुसार संस्कृत माध्यम से पठन-पाठन में गुणवत्ता बढ़ाने के लिए संस्कृत-प्रशिक्षण-प्रकोष्ठ का गठन सत्र 2014-15 में किया गया। प्रकोष्ठ द्वारा 2 प्रशिक्षण-कार्यशालाओं को आयोजन किया गया है। प्रकोष्ठ के अब तक हुए मुख्य आयोजन निम्न हैं-
1. सत्र 2015-16 में हुए राज्य स्तरीय शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम में 100 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
2. शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम सत्र 2014-15, 2015-16 एवं 2016-17 में 7 आवासीय कार्यक्रमों में 299 प्रतिभागियों ने तथा 22 दिवसात्मक शिविरों में 465 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। 
3. शैक्षणिक सत्र 2014-15 एवं 2015-16 के अंतर्गत कंप्यूटर, वैदिक गणित और ज्योतिष के प्रति रुचि उत्पन्न करने के लिए 85 ग्रीष्मकालीन संस्कृत अभिरुचि वर्ग प्रदेश भर में आयोजित किए गए। 
4. शैक्षणिक सत्र 2014-15 से जुलाई मास में समस्त विद्यालय-महाविद्यालयों में संस्कृत-संभाषण-कौशल बढ़ाने हेतु शिविरों का आयोजन किया गया। 
विभाग के प्रयास से वर्ष 2017-18 के लिए एस.एस.ए तथा रमसा के माध्यम से विभागीय शिक्षकों के प्रशिक्षण हेतु 15 लाख 3 हजार रुपए प्राप्त हुए हैं। 

‘श्रावणी’ का लोकार्पण-

विभाग प्रतिवर्ष राज्य स्तरीय संस्कृत दिवस समारोह के अवसर पर ‘श्रावणी’ नामक संस्कृत पत्रिका का प्रकाशन नियमित रूप से कर रहा है। यह पत्रिका पूरे प्रदेश में संस्कृत साहित्य पर लिखे शोधपरक लेख, तथा विभाग की अनेक जानकारियों से युक्त है। पत्रिका को दिए संदेश में मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे एवं संस्कृत शिक्षा मंत्री श्रीमती किरण माहेश्वरी ने विभाग के माध्यम से संस्कृत के विकास के लिए सरकार के दृढ़ संकल्प को दोहराया है। 

पाठ्यक्रम निर्माण, पुस्तक निःशुल्क वितरण-

विभाग द्वारा संस्कृत भाषा की कक्षा 1 के लिए नवीन पाठ्यक्रम एवं पाठ्यपुस्तक का निर्माण किया गया है। कक्षा 2 से 8 तक की पाठ्यपुस्तकों की समीक्षा एवं पुनर्लेखन किया गया है। समस्त पुस्तकें राजस्थान राज्य पाठ्यपुस्तक मंडल, जयपुर द्वारा मुद्रित करवाकर संस्कृत विद्यालयों में अध्ययनरत छात्रों को निःशुल्क वितरित की गई है। 

विद्यालय एकीकरण-

राज्य सरकार के शिक्षा में गुणवत्ता बढ़ाने के लिए किए जा रहे प्रयासों के क्रम में संस्कृत शिक्षा विभाग के अधीन संचालित राजकीय संस्कृत विद्यालयों का एकीकरण कर कुल एकीकृत विद्यालय 330, जिनमें 338 विद्यालय समाहित किए गए हैं। 

संस्कृत दिवस समारोह 

राजस्थान सरकार के निर्देशानुसार विभाग द्वारा प्रतिवर्ष श्रावणी पूर्णिमा के अवसर पर राज्य स्तरीय संस्कृत दिवस समारोह भव्य स्वरूप में मनाया जा रहा है। समारोह मेें प्रदेश भर के संस्कृत विद्वानों को भिन्न-भिन्न श्रेणियों में सम्मानित किया जा रहा है। 1 लाख रुपए के सर्वोच्च ‘संस्कृत साधना शिखर सम्मान’ के अतिरिक्त 51 हजार रुपए के ‘संस्कृत साधना सम्मान,  31 हजार रुपए के ‘विद्वत्सम्मान’ एवं 21 हजार रुपए के ‘संस्कृत युवा-प्रतिभा पुरस्कार’ विद्वानों को दिए गए हैं। सरकार द्वारा चार वर्षों में 60 से अधिक विद्वानों का योग्यता के आधार पर उच्च स्तरीय समिति द्वारा चयन कर उन्हें राज्य स्तर पर सम्मानित किया गया है।

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