Rajasthan Geo
बड़ोपल झील देशी व विदेशी पक्षियों की पसंदीदा शरणस्थली बना
बड़ोपल क्षेत्र सूरतगढ़ (सूरतगढ़) और पीलीबंगा (हनुमानगढ़) से सटा हुआ है जो सेम की समस्या से ग्रस्त होने के कारण एक झील के रूप में बनी है। यह क्षेत्र पक्षियों की पसंदीदा सैरगाह बना हुआ है।
बड़ोपल, दौलतांवाली, जाखड़ावाली के आसपास सेम प्रभावित व डिप्रेशन क्षेत्रों में विदेशी व देसी प्रजाति के हजारों पक्षियों ने डेरा जमा लिया है। इनमें वॉटर फ्लैमिंगों (राजहंस) की संख्या अधिक है। इसके अलावा कोमन सेल्डक, स्पूनबिल, झडी सेल्डक, पेंटिग स्टोर्क सहित लगभग 250 प्रजातियां यहां आती है।
सेम क्षेत्र में जिप्सम का नमकीन पानी इन पक्षियों को खूब लुभाता है। यहां इनकी फीडिंग भी हो जाती है और खाने को प्लांट्स व मछली भी मिल जाती है। सेम के ठहरे पानी में पक्षियों के संवर्द्धन तथा प्रजनन के लिए उपयुक्त माहौल मिलने के कारण यह क्षेत्र पक्षियों का पसंदीदा स्थल माना जाता है। फरवरी के अंत में विदेशी पक्षी अपने घर को लौट जाते हैं।
बीकानेर के पक्षी विशेषज्ञ डॉ दाऊल वोहरा ने बताया कि 1980 के दशक में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और कजाकिस्तान के रास्ते भरतपुर घना पक्षी विहार जाने के रास्ते में बड़ोपल झील आती थी। तब पक्षियों ने यहां आना शुरू किया और पिछले साल यह संख्या 250 प्रजातियों तक पहुंच चुकी है।
विदेशी पक्षी जो आकर्षण का केन्द्र हैं-
स्टेपी ईगल:-
खासियतः मध्य एशिया की प्रजाति है। रूस से हर साल बड़ोपल झील आकर लगभग 3 महिने यहां प्रवास करता है।
पीड एवोसेट:-
यह पक्षी यूरोप और मध्य एशिया की प्रजाति है। सर्दी में यह पक्षी चार माह प्रजनन करने के लिए यहां आता है।
बार हेडेड गीज:-
दुनिया में सबसे अधिक ऊंचाई पर उड़ने वाला बार हेडेड गीज भी आता है यहां, जो मुख्यतः यह चीन और मंगोलिया में पाया जाता है। जो माउंट एवरेस्ट को पार कर यहां तक आता है।
प्रमुख तथ्य-
बड़ोपल के आसपास 18 जल भराव वाले क्षेत्र हैं।
इस क्षेत्र में पक्षियों का शिकार कोई नहीं करता, साथ ही मौसम भी उनके अनुकूल रहता है।
30 किमी लंबाई व 20 किमी चौड़ाई में फैलाव।
यहां पर लगभग 100 देशी तथा विदेशी प्रजाति के पक्षियों का बसेरा।
बड़ोपल के आसपास करीब 600 वर्ग किमी क्षेत्र को पक्षी अभयारण्य बनाने का प्रस्ताव तैयार।
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