Indian History
राष्ट्रकूट राजवंश
- दन्तिदुर्ग के एलोरा तथा सामन्तगढ के ताम्रपत्र लेख।
- गोविन्द तृतीय के राधनपुर तथा बडौदा के लेख।
- अमोघवर्ष प्रथम का संजन अभिलेख ।
- इन्द्र तृतीय का कमलपुर अभिलेख
- गोविन्द चतुर्थ के काम्बे तथा संगनी के लेख।
- कृष्ण तृतीय के कोल्हापुर, देवली तथा कर्नाट के लेख।
- राष्ट्रकूट काल में कन्नड तथा संस्कृत भाषा में अनेक ग्रंथों की रचना हुई थी।
- जिनसेन का आदिपुराण, महावीराचार्य का गणितसार संग्रहण, अमोघवर्ष का कविराज मार्ग आदि उल्लेखनीय है।
उत्पत्ति तथा मूलस्थान
- अल्तेकर, नीलकण्ठ शास्त्री, एच.सी.राय, ए.के. मजूमदार आदि विद्वानों का विचार है कि राष्ट्रकूट शब्द किसी जाति का सूचक न होकर पद का सूचक है। वस्तुतः राष्ट्रकूट पहले प्रशासनिक अधिकारी थे।
- प्राचीनकाल के अभिलेखों में राष्ट्रकूट नामक पदाधिकारियों का उल्लेख मिलता है।
- अशोक के लेखों में ‘रठिक’ नामक पदाधिकारियों का उल्लेख है।
- सातवाहन युगीन नानाघाट के लेख में महारठी त्रनकयिरों का उल्लेख है। हाथीगुम्फा लेखों में ‘रठिक’ नामक पदाधिकारियों का उल्लेख है।
- राष्ट्रकूट मूलतः लट्टलूर ‘महाराष्ट्र के उस्मानाबाद’ के निवासी थें। उनकी मातृभाषा कन्नड थी।
मान्यखेट का राष्ट्रकूट वंश
- स्थापनाः दन्तिदुर्ग ‘महाराजाधिराज परमेश्वर परमभट्टारक’
- दन्तिदुर्ग इन्द्र की भवनागा नामक चालुक्य राज्यकन्या से जन्मा था।
- दन्तिदुर्ग ने बादामी के चालुक्य विक्रमादित्य द्वितीय के सामन्त के रूप में अपना जीवन प्रारंभ किया। दन्तिदुर्ग ने अपने स्वामी की आज्ञा से गुजरात के चालुक्य राजा जनाश्रय पुलकेशिन की ओर से अरबों से युद्ध किया तथा उन्हें पराजित किया।
- उसकी सफलता पर विक्रमादित्य ने उसे ‘पृथ्वीवल्लभ’ तथा ‘खडवालोक’ की उपाधि से सम्मानित किया।
- उज्जैन में ‘हिरण्य-गर्भदान’ नामक यज्ञ किया। जिसमें प्रतिहार राजा ने द्वारपाल का काम किया।
- चालुक्य कीर्तिवर्मा द्वितीय को पराजित किया। दन्तिदुर्ग ब्राह्मण धर्मावलम्बी था।
कृष्ण प्रथम
- दन्तिदुर्ग का चाचा।
- राजाधिराज परमेश्वर की उपाधि धारण की।
- चालुक्यों का पूरी तरह विनाश किया। सणफुल्ल नामक व्यक्ति को अपना सामन्त बनाया जो शिलाहार वंश का संस्थापक था।
- उसने गंगों की राजधानी मान्यपुर के ऊपर अधिकार किया।
- वेंगी के चालुक्य राज्य पर अधिकार किया।
- उसने एलोरा के प्रसिद्ध कैलाश मन्दिर का निर्माण करवाया था।
गोविन्द तृतीय 773-80
- कृष्ण प्रथम के दो पुत्र- गोविन्द द्वितीय तथा ध्रुव।
- गोविन्द द्वितीय ने अपने छोटे भाई ध्रुव को नासिक का राज्यपाल नियुक्त किया।
ध्रुव ‘धारावर्ष’ 780-93
- राजा बनने पर ध्रुव ने निरूपम, कालिवल्लभ, श्रीवल्लभ तथा धारावर्श की उपाधि ग्रहण की।
- उत्तर भारत की राजनीति में भाग लिया तथा कन्नौज पर अधिकार किया। वत्सराज तथा धर्मपाल को पराजित किया।
गोविन्द तृतीय 793-814
- प्रतिहार नरेश नागभट्ट द्वितीय को पराजित किया।
किस राजवंश के समय कन्हेरी विश्वविद्यालय प्रसिद्ध हुआ?
अ. राष्ट्रकूट
ब. चोल
स. चालुक्य
द. पल्लव
उत्तर— अ
दक्षिण भारत के किस राजवंश ने राज्य को राष्ट्र, कोट्टम तथा ग्राम में विभाजित किए?
अ. चोल
ब. पल्लव
स. राष्ट्रकूट
द. चालुक्य
उत्तर— ब
महाबलीपुरम् के प्रसिद्ध मंदिर का निर्माण किस शासक के शासन में हुआ?
अ. पल्लव
ब. चोल
स. चालुक्य
द. काकतीय
उत्तर— अ
किस चोल शासक ने पल्लवों को हराकर कांची पर अधिकार कर लिया?
अ. परान्तक प्रथम
ब. आदित्य प्रथम
स. विजयालय
द. राजेन्द्र चोल प्रथम
उत्तर— ब
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