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कालीबंगा सभ्यता
कालीबंगा सभ्यता |
- यह सभ्यता स्थल वर्तमान हनुमानगढ़ जिले में सरस्वती-दृषद्वती नदियों के तट पर बसा हुआ था, जो 2400-2250 ई. पू. की संस्कृति की उपस्थिति का प्रमाण है।
- कालीबंगा में मुख्य रूप से नगर योजना के दो टीले प्राप्त हुये हैं।
- इनमें पूर्वी टीला नगर टीला है, जहाँ से साधारण बस्ती के साक्ष्य मिले हैं।
- पश्चिमी टीला दुर्ग टीले के रूप में है। दोनों टीलों के चारों ओर भी सुरक्षा प्राचीर बनी हुई थी।
- कालीबंगा से पूर्व-हड़प्पाकालीन, हड़प्पाकालीन और उत्तर हड़प्पाकालीन साक्ष्य मिले है। पूर्व-हड़प्पाकालीन स्थल से जुते हुए खेत के प्रमाण मिले हैं, जो संसार में प्राचीनतम हैं।
- पत्थर के अभाव के कारण दीवारें कच्ची ईंटों से बनती थी और इन्हें मिट्टी से जोड़ा जाता था।
- व्यक्तिगत और सार्वजनिक नालियाँ तथा कूड़ा डालने के मिट्टी के बर्तन नगर की सफाई की असाधारण व्यवस्था के अंग थे।
- वर्तमान में यहाँ घग्घर नदी बहती है, जो प्राचीन काल में सरस्वती के नाम से जानी जाती थी।
- यहाँ से धार्मिक प्रमाण के रूप में अग्निवेदियों के साक्ष्य मिले है।
- यहाँ संभवतः धूप में पकाई गई ईंटों का प्रयोग किया जाता था।
- यहाँ से प्राप्त मिट्टी के बर्तनों और मुहरों पर जो लिपि अंकित पाई गई है, वह सैन्धव लिपि से मिलती-जुलती है, जिसे अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है।
- कालीबंगा से पानी के निकास के लिए लकड़ी व ईंटों की नालियाँ बनी हुई मिली हैं।
- ताम्र से बने कृषि के कई औजार भी यहाँ की आर्थिक उन्नति के परिचायक हैं।
- कालीबंगा की नगर योजना सिन्धु घाटी की नगर योजना के अनुरूप दिखाई देती है।
- कालीबंगा के निवासियों की मृतक के प्रति श्रद्धा तथा धार्मिक भावनाओं को व्यक्त करने वाली तीन समाधियाँ मिली हैं।
- इस विकसित सभ्यता का पतन हो गया, जिसका कारण संभवतः सूखा, नदी मार्ग में परिवर्तन इत्यादि माने जाते हैं।
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