Geography
भारत में नदी घाटी परियोजनाएं
- बहुउद्देश्यीय नदी घाटी परियोजनाओं को स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने ‘आधुनिक भारत के मंदिर’ की उपमा दी थी।
- भारत में नदी घाटी क्षेत्रों के सर्वांगीण विकास के लिए नदियों पर बहुद्देश्यीय योजनाएं स्थापित करने का निश्चय किया गया।
- इन परियोजनाओं द्वारा सिंचाई, विद्युत उत्पादन, बाढ़ नियंत्रण, मिट्टी के कटाव की रोकथाम, घेरलू एवं औद्योगिक उपयोग हेतु जल प्राप्ति, कृत्रिम जलाशयों में मत्स्य पालन, वनों में वृद्धि, जल परिवहन का विकास तथा पर्यटकों के आकर्षण केन्द्र का निर्माण आदि उद्देश्यों की पूर्ति होती है।
देश के विभिन्न नदी घाटी परियोजनाएं इस प्रकार हैः-
दामोदर घाटी परियोजना -
- अमेरिका की टेनेसी घाटी परियोजना के आधार पर 1948 में दामोदर घाटी निगम की स्थापना की गयी। दामोदर की सहायक प्रमुख नदियां बराकर, बोकारो व कोनार है।
- इस परियोजना के अन्तर्गत दामोदर व उसकी सहायक नदियों पर कुल आठ बांध बनाये गये हैं, जिसमें तिलैया, कोनार, मैथान व पंचेत पहाड़ी पर बनाये गये बांध मुख्य है।
- बोकारो, दुर्गापुर तथा चन्द्रपुरा में विद्युत गृहों का निर्माण किया गया है, जिससे 1077 मेगावाट तापीय तथा 104 मेगावाट जलविद्युत पैदा की जाती है।
भाखड़ा नांगल परियोजना -
- यह देश की सबसे बड़ी बहुउद्देश्यीय परियोजना है। 1963 में सतलज नदी पर पंजाब में भाखड़ा कन्दरा के पास अम्बाला से लगभग 80 किलोमीटर उत्तर में भाखड़ा बांध का निर्माण किया गया। यह बांध 518 मीटर लम्बा तथा 226 मीटर ऊंचा है।
- सीमेन्ट तथा कंकरीट से निर्मित विश्व के सीधे बांधों में यह सबसे बड़ा (यह संसार का सबसे ऊंचा गुरूत्वीय बांध) है।
- इस बांध के पीछे निर्मित गोविन्दसागर जलाशय 88 किमी लम्बा तथा 8 किमी चौड़ा है, जिसमें 114 करोड़ घनमीटर जल संचित हो सकता है।
- इस पर गंगुवाल तथा कोटला नामक विद्युत गृह बनाये गये हैं।
- इस परियोजना से 1204 मेगावाट विद्युत उत्पन्न होती है। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य सिंचाई एवं जलविद्युत उत्पादन करना है। यह परियोजना केन्द्र सरकार व पंजाब, हरियाणा तथा राजस्थान सरकार का संयुक्त उपक्रम है।
कोसी परियोजना -
- कोसी नदी (उद्गम- तिब्बत का पठार से) पर सन् 1954 में बिहार व नेपाल सरकार के समझौते के अन्तर्गत बनायी गयी कोसी परियोजना का उद्देश्य सिंचाई और विद्युत ऊर्जा की सुविधाएं प्राप्त करना, बाढ़ पर नियंत्रण करना, मिट्टी के कटाव को रोकना, दलदली भूमि का पुनरुद्वार, मत्स्य पालन तथा नौकारोहण की सुविधा उपलब्ध कराना है।
हीराकुण्ड बांध परियोजना-
- उड़ीसा राज्य में संबलपुर के निकट महानदी पर हीराकुंड बांध परियोजना का निर्माण किया गया है।
- यह संसार का सबसे लम्बा (4801 मीटर) बांध है। इसकी ऊंचाई नदी तल से 61 मीटर है।
- हीराकुंड से 22.5 किमी नीचे स्थित चिपलिया नामक स्थान पर दूसरा बिजली घर है।
- इस परियोजना से डेल्टाई क्षेत्रों में सिंचाई, नौका संचालन, बाढ़ नियंत्रण तथा विद्युत की प्राप्ति हो रही है।
रिहन्द बांध परियोजना -
- मुख्य उद्देश्य उत्तर प्रदेश के दक्षिण-पूर्वी ज़िलों में औद्योगिक दृष्टि से पिछड़े हुए इलाकों में बिजली पहुंचाना है।
- यह सोन की सहायक रिहन्द नदी पर बनायी गयी है।
- इस बांध से 130 वर्ग किमी क्षेत्र पर विस्तृत गोविन्द वल्लभ पंत सागर (जलाशय) है।
- बांध से नीचे ओबरा में 300 मेगावाट क्षमता का विद्युतघर स्थापित किया गया है।
नागार्जुन सागर परियोजना-
- यह सिंचाई परियोजना 1956 में शुरू की गई।
- यह आन्ध्रप्रदेश में कृष्णा नदी पर नालगोंडा जिले के नदीकुंड गांव के निकट स्थित है। यहां 1425 मीटर लंबा और 125 मीटर ऊंचा ऋजु गुरुत्व बांध बनाया गया है।
मयूराक्षी परियोजना -
- यह पश्चिम बंगाल की सिंचाई प्रमुख योजना है।
- पश्चिम बंगाल के मेसजोर नामक स्थान पर मयूराक्षी नदी पर एक बांध बनाया गया है। इसे ‘कनाडा बांध’ भी कहते हैं।
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