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Showing posts from June, 2018

मनसबदारी व्यवस्था

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मनसबदार मुगलों की सेवा में आने वाले नौकरशाह ‘मनसबदार’ कहलाए। ‘मनसबदार’ शब्द का प्रयोग ऐसे व्यक्तियों के लिए होता था, जिन्हें कोई मनसब यानी कोई सरकारी हैसियत अथवा पद मिलता था।  यह मुग़लों द्वारा चलाई गई श्रेणी व्यवस्था थी, जिसके जरिए 1. पद, 2. वेतन एवं 3. सैन्य उत्तरदायित्व, निर्धारित किए जाते थे। पद और वेतन का निर्धारण जात की संख्या पर निर्भर था। जात की संख्या जितनी अधिक होती थी, दरबार में अभिजात की प्रतिष्ठा उतनी ही बढ़ जाती थी और उसका वेतन भी उतना ही अधिक होता था। जो सैन्य उत्तरदायित्व मनसबदारों को सौंपे जाते थे उन्हीं के अनुसार उन्हें घुड़सवार रखने पड़ते थे। मनसबदार अपने सवारों को निरीक्षण के लिए लाते थे। वे अपने सैनिकों के घोड़ों को दगवाते थे एवं सैनिकों का पंजीकरण करवाते थे। इन कार्यवाहियों के बाद ही उन्हें सैनिकों को वेतन देने के लिए धन मिलता था।  मनसबदार अपना वेतन राजस्व एकत्रित करने वाली भूमि के रूप में पाते थे, जिन्हें जागीर कहते थे और जो तकरीबन ‘इक्ताओं’ के समान थीं। परंतु मनसबदार, मुक्तियों से भिन्न, अपने जागीरों पर नहीं रहते थे और न ही उन पर प्रशासन कर...

राजस्थान में 1857 की क्रांति प्रमुख घटनाएं

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1857 की क्रांति प्रारम्भ होने के समय राजपूताना में नसीराबाद, नीमच, देवली, ब्यावर, एरिनपुरा एवं खेरवाड़ा में सैनिक छावनियां थी। मेरठ में हुए विद्रोह (10 मई,1857) की सूचना राजस्थान के AGG (एजेन्ट टू गवर्नर जनरल) जार्ज पैट्रिक लॉरेन्स को 19 मई, 1857 को मिली। ए.जी.जी. के सामने उस समय अजमेर की सुरक्षा की समस्या सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण थी, क्योंकि अजमेर शहर में भारी मात्रा में गोला बारूद एवं सरकारी खजाना था। यदि यह सब विद्रोहियों के हाथ में पड़ जाता तो उनकी स्थिति अत्यन्त सुदृढ़ हो जाती। अजमेर स्थित भारतीय सैनिकों की दो कम्पनियां हाल ही में मेरठ से आयी थी और ए.जी.जी. ने सोचा कि सम्भव है यह इन्फेन्ट्री (15वीं बंगाल नेटिव इन्फेन्ट्री) मेरठ से विद्रोह की भावना लेकर आयी हो, अतः इस इन्फेन्ट्री को नसीराबाद भेज दिया तथा ब्यावर से दो मेर रेजीमेन्ट बुला ली गई। राजस्थान में क्रांति की शुरुआत नसीराबाद से हुई, जिसके निम्न कारण थे - ए.जी.जी. ने 15वीं बंगाल इन्फेन्ट्री जो अजमेर में थी, उसे अविश्वास के कारण नसीराबाद में भेज दिया था। इस अविश्वास के चलते उनमें असंतोष पनपा। मेरठ में हुए विद्रोह की ...

राजस्थान में समाचार पत्र

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राजस्थान में समाचार पत्रों का विकास समाचार पत्रों का मुख्य उद्देश्य - राजस्थान की जनता में राजनीतिक चेतना जाग्रत करना था, साथ ही विभिन्न राज्यों में होने वाले आन्दोलनों के प्रति राजस्थान की जनता का ध्यान आकर्षित करनाथा। राजस्थान में समाचार पत्र - राजस्थान में सबसे पहले ईसाई मिशनरियों ने 1864 ई. में ब्यावर में ‘लिथो प्रेस’ की स्थापना की।

आरएएस परीक्षा का सिलेबस

राजस्थान राज्य एवं अधीनस्थ सेवाएँ संयुक्त प्रतियोगी (प्रारम्भिक) परीक्षा, 2018:- परीक्षा योजना एवं पाठ्यक्रम:- प्रारम्भिक परीक्षा में नीचे विनिर्दिष्ट विषय पर एक प्रश्न-पत्र होगा, जो वस्तुनिष्ठ प्रकार का होगा और अधिकतम 200 अंको का होगा। परीक्षा का उद्देश्य केवल स्क्रीनिंग परीक्षण करना है। प्रश्नपत्र का स्तरमान स्नातक डिग्री स्तर का होगा।

मूल अधिकार किस देश से लिये गए हैं

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भारतीय संविधान के निर्माण के लिए हमारे संविधान निर्माताओं ने 10 देशों के संविधान के अध्ययन कर उनमें से प्रमुख तत्वों को लेकर बनाया है। भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। भारत के संविधान के निर्माण में निम्नलिखित प्रमुख देशों के संविधान से सहायता ली गई है। संयुक्त राज्य अमेरिका - मौलिक अधिकार, न्यायिक पुनरावलोकन, संविधान की सर्वाेच्चता, न्यायपालिका की स्वतंत्रता, निर्वाचित राष्ट्रपति एवं उस पर महाभियोग, उपराष्ट्रपति, उच्चतम एवं उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को हटाने की विधि एवं वित्तीय आपात, न्यायपालिका की स्वतंत्रता ब्रिटेन - संसदात्मक शासन प्रणाली, एकल नागरिकता एवं विधि निर्माण प्रक्रिया, विधि का शासन, मंत्रिमंडल प्रणाली, परमाधिकार लेख, संसदीय विशेषाधिकार और द्विसदनवाद आयरलैंड - नीति निर्देशक सिद्धांत, राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल की व्यवस्था, राष्ट्रपति द्वारा राज्य सभा में साहित्य, कला, विज्ञान तथा समाज-सेवा इत्यादि के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त व्यक्तियों का मनोनयन ऑस्ट्रेलिया - प्रस्तावना की भाषा, समवर्ती सूची का प्रावधान, केंद्र एवं राज्यों के बीच संबं...

साहित्य के क्षेत्र में पुनर्जागरण

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विशेषताएं - पुनर्जारण काल से पहले साहित्य का सृजन केवल लैटिन एवं यूनानी भाषा में ही होता रहा था। पुनर्जागरण काल में देशी भाषाओं में साहित्य लिखा गया, जिससे साहित्य का व्यापक प्रसार हुआ। इसमें मानव जीवन को साहित्य की विषय-वस्तु बनाया। इतालवी साहित्य - दांते (1265-1321 ई.) जन्मः फ्लोरेंस में (इतालवी कविता के जनक) प्रमुख रचना- डिवाइन कॉमेडी मातृभाषा तुस्कानी में लिखी। काल्पनिक जगत की यात्रा का वर्णन। मृत्यु के बाद आत्मा की स्थिति। मनुष्य को नैतिक एवं संयमी जीवनयापन करने की प्रेरणा दी गई है। वीतानोआ- प्रेम गीतों का संग्रह इसका शाब्दिक अर्थ - नया जीवन गिरजाघर में एक महिला को देखकर दांते इतना प्रभावित हुआ कि उस महिला, जिसका नाम बीट्रिस था, के सौन्दर्य वर्णन में दांते ने नया कीर्तिमान स्थापित किया। द मोनार्किया (मोनरशिया), द वल्गरी इलोक्योशिया  लैटिन भाषा में प्राचीन रोमन साम्राज्य के आदर्शों का तर्कपूर्ण समर्थन तथा व्यक्तिगत स्वतंत्रता की हिमायत करता है। अधार्मिक विषयों में राजशक्ति ही सर्वोच्च होनी चाहिए  पोप विरोधी होने के कारण इस कृति को 1939 ई. में ...