साहित्य के क्षेत्र में पुनर्जागरण

साहित्य के क्षेत्र में पुनर्जागरण

  • विशेषताएं - पुनर्जारण काल से पहले साहित्य का सृजन केवल लैटिन एवं यूनानी भाषा में ही होता रहा था।
  • पुनर्जागरण काल में देशी भाषाओं में साहित्य लिखा गया, जिससे साहित्य का व्यापक प्रसार हुआ।
  • इसमें मानव जीवन को साहित्य की विषय-वस्तु बनाया।
इतालवी साहित्य -
दांते (1265-1321 ई.)
  • जन्मः फ्लोरेंस में (इतालवी कविता के जनक)
  • प्रमुख रचना- डिवाइन कॉमेडी
  • मातृभाषा तुस्कानी में लिखी।
  • काल्पनिक जगत की यात्रा का वर्णन।
  • मृत्यु के बाद आत्मा की स्थिति।
  • मनुष्य को नैतिक एवं संयमी जीवनयापन करने की प्रेरणा दी गई है।

वीतानोआ- प्रेम गीतों का संग्रह
  • इसका शाब्दिक अर्थ - नया जीवन
  • गिरजाघर में एक महिला को देखकर दांते इतना प्रभावित हुआ कि उस महिला, जिसका नाम बीट्रिस था, के सौन्दर्य वर्णन में दांते ने नया कीर्तिमान स्थापित किया।
  • द मोनार्किया (मोनरशिया), द वल्गरी इलोक्योशिया 
  • लैटिन भाषा में
  • प्राचीन रोमन साम्राज्य के आदर्शों का तर्कपूर्ण समर्थन तथा व्यक्तिगत स्वतंत्रता की हिमायत करता है।
  • अधार्मिक विषयों में राजशक्ति ही सर्वोच्च होनी चाहिए 
  • पोप विरोधी होने के कारण इस कृति को 1939 ई. में सार्वजनिक रूप से जलाया गया और 1554 ई. में उसे प्रतिबंन्धित पुस्तकों की श्रेणी में रखा गया।
पैट्रार्क ‘‘मानववाद का पिता’’
  • फ्लोरेन्स निवासी
  • लैटिन एवं यूनानी साहित्य के प्रति उसकी गहरी अभिरूचि थी और इन भाषाओं के पुराने हस्तलिखित ग्रन्थों को खोजने तथा उनका संग्रह किया।
  • पुस्तकालयों की स्थापना की।
  • सिसरो की कृतियों से भारी लगाव (होमर, लिवी)
  • क्लासिकल लैटिन में रचनाएं की।
  • पैट्रार्क इतालव सॉनेट (चौदह पंक्तियों का गीत) के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें सीपिओ (रोम का प्रसिद्ध सेनानायक) के जीवन का अभूतपूर्व विवरण।
  • फेमिलियर लेटर्सः प्राचीन मूर्तिपूजक लेखकों के नाम लिखे।

ज्योवानी बुकासियो (लेटिन गद्य का जनक)
  • पैट्रार्क का शिष्य
  • मातृभाषा में अनेक मनोरंजन कहानियां लिखी
  • डिकामेरन (डेकामेरन)
  1. - सौ कहानियों का संकलन
  2. - तत्कालीन सम्पन्न तथा कुलीन समाज में व्याप्त नैतिक भ्रष्टाचार का विस्तृत चित्रण।
  3. - मध्य यूरोप में फैले भयंकर रोग ब्लैक डैथ का वर्णन
  • जीनियोलॉजी ऑफ द गोड्स
  • ज्ञान मानव को किस प्रकार नैतिक, गुणवान तथा बुद्धिमान बनाता है।
एरिऑस्ट्रो - ओरलेंडो पुरिओसी
टासो - मुक्त जेरूसलम 

फ्रांसीसी साहित्य
रेबेलास 1494-1553 ई.
  • गद्य लेखक, मातृभाषा फ्रेंच में रचना की।
  • उसने धार्मिक कट्टरता एवं अंधविश्वासों के विरोध में आवाज उठाई।
  • वह विख्यात डच विद्वान इरास्मस का प्रशंसक तथा अनुयायी था।
  • अपनी गद्य एवं पद्य रचनाओं में हास्य एवं व्यंग्य मिश्रित शैली का अनुसरा किया।
  • रेबेलास के साहित्य का मूलमंत्र है ‘प्यास’ 
  • बौद्धिक और नैतिक प्यास, अनुभव की प्यास, यथार्थ की प्यास।
  • ‘हीरोइक डीउ्स ऑफ गारगुन्त्वा एण्ड पेन्टाग्रुएल - फ्रेंच भाषा में
मॉन्टेन 1533-92
  • निबन्धकार, सुबोध फ्रेंच में लिखें।
  • मॉन्टेन लेखन और चिन्तन में वाल्तेयर का अग्रगामी था।
  • उसने अपने निबन्धों में मानव जीवन की समस्याओं एवं उनके समाधान के प्रति प्रति गहरी रूचि दिखाई है।
  • मानवतावादी भी था।
  • संसार की महानतम् बात यह है कि मनुष्य इस बात को जान ले कि वह अपनी वास्तविकता के अनुरूप कैसे बनें।
  • वह तत्कालीन सत्ता एवं मध्यकालीन आतंक के विरूद्ध उठ खड़ा हुआ और इस प्रकार उसे प्रथम आधुनिक व्यक्ति की उपाधि अर्जित करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
  • इन निबन्धों के विषय मैत्री, शासनतंत्र, शिक्षा और युद्ध से सम्बन्धित है।
अंग्रेजी साहित्य
  • इंग्लैण्ड में 13वीं सदी सम्पन्न वर्ग - फ्रेंच भाषा और सामान्य लोग सेक्सन भाषा में बोलते थे।
  • अंग्रेजी का उदय जर्मनिक और रोमन्स भाषा से हुआ।
  • 14वीं सदी से साहित्य रचना
  • विजन ऑफ पियर्स प्लोमेन- विलियम लेंगलैण्ड

जाफरे चौसर 1340-1400
  • अंग्रेजी कविता का जनक
  • कैन्टरबरी टैल्स
  • इस रचना पर बुकासियो की डैकेमेरोन का प्रभाव दिखाई देता है।
  • इसमें कैन्टरबरी की यात्रा पर निकले लोगों के वास्तविक गुण-दोषों का वर्णन किया गया है।
  • उसने लम्बी कविता के रूप में ‘सोनेट’ को जन्म दिया।
  • इंग्लैण्ड के मध्यकालीन समाज की झलक
जॉन कोलेट 1466-1519
  • लन्दन स्थित ‘सेंटपाल केथेडल’ का डीन था।
  • संतपाल के विचारों पर आलोचनात्मक व्याख्यान।
  • निजी खर्च से सेंटपाल में एक ग्रामर स्कूल स्थापित किया।
टॉमस मूर 1478-1535 ई.
  • धर्म व विधि शास्त्र का पण्डित
  • उसने ‘यूटोपिया’ नामक ग्रंथ की रचना की।
  • लेटिन भाषा में की, शीघ्र अंग्रेजी भाषा में अनुवाद कर दिया गया।
  • यूटोपिया का अर्थ- कल्पित लोक
  • इसमें उसने इंग्लैण्ड के जनजीवन में व्याप्त सामाजिक बुराइयों और आर्थिक दोषों का निरूपण किया है।
  • उसने प्लेटो का अनुसरण किया।
  • उसने आदर्श समाज और आदर्श राज्य के सिद्धान्तों का वर्णन किया।
  • ईसाई धर्म का कट्टर अनुयायी और चर्च का निष्ठावान पुत्र था।
  • हैनरी अष्टम के हाथों उसे प्राण गंवाने पड़े।
एडमण्ड स्पेन्सर 1552-99
  • ‘फेयरी क्वीन’ की रचना की।
  • इसमें राजकुमार आर्थर की अच्छाइयों का वर्णन किया।
  • मध्ययुग के टूर्नामेंटों और तमाशों का वर्णन हैं। मानवीय मूल्यों को महत्व दिया।
फ्रांसिस बेकन 1561-1626 
  • इस युग के सर्वोत्तम निबंधकार।
  • ‘द ऐडवान्समेन्ट ऑफ लर्निंग’ (विद्या की उन्नति)
  • ‘द न्यू अटलाण्टिस’ में बेकन ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि स्कूलों और विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में विज्ञान को सम्मिलित किया जाना चाहिए।
  • उसने तर्क, प्रमाण पर जोर दिया।
  • बहुत सूक्ष्म विषयों पर अपने विचार प्रकट किए।
  • उसके लेखों की शैली काव्यात्मक है।
  • उनमें मानवीयता कूट-कूट कर भरी हुई है।
  • इतिहासकार बेन फिंगर के मत में ‘बेकन ने मनुष्य का ध्यान व्यर्थ के धार्मिक विचारों से हटा दिया और उसे प्रकृति के अध्ययन एवं मानव हित में लगाया।’

विलियम शेक्सपियर 1564-1616
  • पुनर्जागरण को इंग्लैण्ड की सबसे बड़ी देन शेक्सपियर है।
  • वह अपने युग का महान कवि एवं नाटककार था।
  • उसके नाटकों में मानव के सांसारिक जीवन की वास्तविक अनुभूतियों का बड़ा सहज, स्वाभाविक, जीवन्त एवं हृदयस्पर्शी चित्रण हुआ है।
  • हर श्रेणी के नाटक में उसने पूर्ण दक्षता का परिचय दिया।
  • दुःखान्त नाटक- आथेलियो, मैकबेथ, हेमलेट
  • ऐतिहासिक नाटक- हैनरी चतुर्थ, रिचार्ड द्वितीय
  • सुखान्त नाटक- द मेरी वाईवस ऑफ विण्डसर, ट्वेल्थ नाइट, द टेम्पेस्ट
  • शेक्सपियर की विशेषता यह है कि उसकी रचनाओं में जीते-जागते मानवीय गुणों की तस्वीर है। 
  • मैकबेथ में उसने कहा है कि ‘एक बुरे से बुरे व्यक्ति में भी कुछ न कुछ मानवीय करुणा का अंश विद्यमान है।’
  • उसने दुःखान्त और सुखान्त दोनों ही प्रकार के नाटक लिखें।
  1. मर्चेन्ट ऑफ वेनिस
  2. रोमियो जूलियट, दि कॉमेडी ऑफ एरर्स
  3. जूलियस सीजर, ऐज यू लाइक इट, एंटोनी एण्ड क्लियोपेट्रा
  4. कैथोलिक युग के प्रति श्रद्धा

अन्य भाषाओं का साहित्य
टेसिडेरियस इरैस्मस 1466-1536 ई.
  • मानववादियों का राजा
  • हॉलैण्डवासी बाइबिल का शुद्ध अनुवाद किया।
  • अपने युग का प्रमुख मानववादी तथा साहित्यकार था।
  • जन्म 1466 ई. में एमस्टरडम में
  • इन द प्रेज ऑफ फॉली (मूर्खत्व की प्रशंसा) प्रसिद्ध रचना है।
  • इसमें धार्मिक जीवन के खोखलेपन, जनसाधारण के अंधविश्वासों धनलोलुप शासकों, धर्मशास्त्रियों के अज्ञान, शिक्षा पद्धति की अपूर्णता तथा युद्ध की क्रूरता पर उसने गम्भीरता के साथ व्यंग्य किया।
  • उसकी यह पुस्तक दुनिया में सबसे अधिक बिकने वाली पुस्तक थी। ‘लूथर के क्रोध की तुलना में इरैस्मस के मजकिया कथनों ने पोप को अधिक नुकसान पहुंचाया।
  • जॉन मिल्टन ‘कैम्ब्रिज में प्रेत्यक व्यक्ति पर इस पुस्तक का अध्ययन करता है।’
  • इंग्लैण्ड के जॉन कोलेट, थामसमूर मित्र थे।

स्पेन ‘स्पेनिश भाषा’
सरवेन्टीज 1547-1616
  • स्पेन का महान लेखक था।
  • ‘डान क्विकजोट’ उस युग के सामन्ती जीवन पर व्यंग्य
  • मेरी वास्तविक इच्छा मानवजाति को शूरवीरता की झूठी और मूर्खतापूर्ण कहानियों से अवगत कराना है।
  • इस रचना का नायक डान कियोते अपने आपको नाइट (सरदार) समझता है और दुनिया को सुधारने की कोशिश् में दुर्गति का शिकार बनता है।
  • ‘हर कुत्ते का अपना दिन आता है।’
  • खीर का प्रमाण खाने में है।
  • एक से पंखों के पक्षी एक साथ रहते है।
  • लोपेडी वेगे - स्पेन के रंगमंच को जन्म दिया
  • कैल्डेन
पुर्तगाल
  • केमोन्स ने वास्को-डी-गामा की खोज पर ‘लूसियाड’ नामक महाकाव्य की रचना की।
जर्मनी
  • रूडोल्फ एग्रीकोला
  • कोनार्ड केल्टस
  • रियूकलीना - लेटिन, ग्रीक, हिब्रू भाषा का विद्वान
मार्टिन लूथर
  • बाइबिल का अनुवाद जर्मन में 
राजनीतिक साहित्य 
  • मैकियावेली 1469-1527 ई.
  • फ्लोरेन्स निवासी, शासकों का सचिव रहा
  • द प्रिन्स
  • चिन्तन धर्म से परे, उसका विश्वास था कि धर्म ने राज्यों को निर्बल बनाया है।
  • पोप और ईसाई पादरियों ने मैकियावली की कटु आलोचना की 
  • पुतले जलाए और पुस्तकों पर प्रतिबन्ध लगाया।
  • वह शैतान का अवतार समझा जाने लगा।
  • उसने राजनीति के कुछ ऐसे सिद्धांत प्रतिपादित किये, जिनके कारण उसे ‘आधुनिक चाणक्य’ कहा जाता है।

मार्सिग्लियो 1275-1343 ई.
  • फ्रांस निवासी।
  • कृति ‘डिफेण्डर ऑफ पीस’ में पोप के राजनीतिक हस्तक्षेप को अनुचित बताया।
  • उसने उस दस्तावेज की भी आलोचना की, जिसमें कान्टेस्टाइन ने पोप सिल्वेस्टर को राजनीतिक शक्ति प्रदान की।
  • वह मानता था कि राज्य की शक्ति का स्रोत वहां के निवासी है वह जन सत्ता का पहला समर्थक था।
हॉब्स, इंग्लैण्ड
  • भौतिकवादी दर्शन का प्रतिपादक
  • लेवियाथा


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