History
भारत में शिक्षा का विकास
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- प्राचीनकाल में गुरुकुलों, आश्रमों तथा बौद्ध मठों में शिक्षा ग्रहण करने की व्यवस्था होती थी।
- ईस्ट इंडिया कंपनी 1765 ई. से भारत में राज्य कर रही थी परंतु उसने भारतीय शिक्षा का भार निजी हाथों में ही रहने दिया।
- ईस्ट इंडिया कंपनी एक विशुद्ध व्यापारिक कंपनी थी। उसका उद्देश्य व्यापार करके केवल अधिक से अधिक लाभ कमाना था तथा देश में शिक्षा को प्रोत्साहित करने में उसकी कोई रुचि नहीं थी।
- प्रारंभ में शिक्षा के प्रोत्साहन एवं विकास हेतु जो भी प्रयास किये गये, वे व्यक्तिगत स्तर पर ही किये गये थे।
- भारत में शिक्षा के प्रसार करने का मुख्य कार्य ईसाई मिशनरियों द्वारा शुरू किया गया। मिशनरियों का मुख्य उद्देश्य भारत में ईसाई धर्म का प्रचार करना था।
- ईसाई मिशनरियों ने भारत में शिक्षा के प्रचार के लिए सीरामपुर, बंगाल को अपना केन्द्र बनाया।
- सीरामपुर के मिशनरियों ने 1818 में ‘बैपटिस्ट मिशन कॉलेज’ की स्थापना की।
- ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा भारत में शिक्षा के क्षेत्र में प्रयास 1813 ई. में किया गया।
- 1813 के चार्टर अधिनियम द्वारा गवर्नर जनरल को यह अधिकार दिया गया कि वह एक लाख रुपया प्रतिवर्ष विद्वान भारतीयों के प्रोत्साहन तथा साहित्य के सुधार और पुनरुत्थान के लिए खर्च करे।
- नई शिक्षा-पद्धति का उद्देश्य था अंग्रेजी भाषा के माध्यम से पाश्चात्य शिक्षा व ज्ञान का प्रसार करना।
- जे.ई.डी. बेथून ने 1849 ई. में भारतीय बालिकाओं के लिए विद्यालय स्थापित किया।
- लॉर्ड डलहौजी ने इस विद्यालय को अपने हाथ में लेकर ‘बेथून महाविद्यालय’ को भारतीय महिला शिक्षा का प्रमुख केन्द्र बना दिया।
- 1781 में गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स ने फारसी भाषा के अध्ययन के लिए कलकत्ता मदरसा की स्थापना की। इसका उद्देश्य, मुस्लिम कानूनों तथा इससे संबंधित अन्य विषयों की शिक्षा देना था।
- 1791 में बनारस के ब्रिटिश रेजिडेन्ट, जोनाथन डंकन के प्रयत्नों से बनारस में संस्कृत कॉलेज की स्थापना की गयी। इसका उद्देश्य हिन्दू विधि एवं दर्शन का अध्ययन करना था।
- 1898 में श्रीमती एनी बेसेंट ने बनारस में सेंट्रल हिन्दू कॉलेज की स्थापना की।
- 1916 में यह कॉलेज बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के रूप में विकसित हुआ।
- 1800 ई. में लॉर्ड वेलेजली ने कंपनी के असैनिक अधिकारियों की शिक्षा के लिये ‘फोर्ट विलियम कॉलेज’ की स्थापना की। इस कालेज में अधिकारियों को विभिन्न भारतीय भाषाओं तथा भारतीय रीति-रिवाजों की शिक्षा भी दी जाती थी। (किंतु 1802 में डाइरेक्टरों के आदेश पर यह कालेज बंद कर दिया गया)
आंग्ल-प्राच्य विवाद
- लोक शिक्षा की सामान्य समिति में 10 सदस्य थे, जो शिक्षा के माध्यम को लेकर दो दलों में विभाजित थे। एक ओर प्राच्य विद्या (संस्कृत एवं अरबी के अध्ययन को प्रोत्साहन) समर्थक दल के नेता लोक शिक्षा समिति के सचिव एच.टी. प्रिंसेप थे तो दूसरी ओर पाश्चात्य शिक्षा (पाश्चात्य विज्ञान और ज्ञान का प्रसार) के समर्थकों का नेतृत्व मुनरो एवं एलफिंस्टन ने किया जिसका समर्थन कालांतर में लॉर्ड मैकाले ने भी किया।
- दोनों दलों के परस्पर विरोधी रवैये के कारण उत्पन्न गतिरोध को दूर करने केलिए तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड विलियम बेंटिक ने कार्यकारिणी परिषद के सदस्य लॉर्ड मैकाले को इसे दूर करने हेतु अधिकार प्रदान किया।
- मैकाले जिसे विप्रवेशन सिद्धांत में विश्वास था, ने 2 फरवरी, 1935 को अपना स्मणार्थ लेख प्रस्तुत किया जिसमें भारतीय भाषा और साहित्य की तीखी आलोचना की गयी थी।
- मैकाले के अनुसार ‘एक अच्छे यूरोपीय पुस्तकालय की एक अलमारी भारत तथा अरब के संपूर्ण साहित्य के बराबर मूल्यवाल है।’
- मैकाले भारतीयों में पाश्चात्य शिक्षा के प्रचार के साथ एक ऐसे समूह का निर्माण करना चाहता था, जो रंग और रक्त से तो भारतीय हों, किंतु विचारों, रूचित तथा बुद्धि से अंग्रेज हों।
- 1835 में अंग्रेजी भाषा को भारत में शिक्षा का माध्यम बनाया गया।
शिक्षा का अधोमुखी निस्यंदन सिद्धांत:-
- शिक्षा के अधोमुखी निस्यंदन सिद्धांत के अनुसार मैकाले ने यह प्रतिपादित किया कि शिक्षा समाज के उच्च वर्ग को दी जाये।
- शिक्षा के अधोमुखी निस्यंदन सिद्धांत का प्रतिपादन लॉर्ड ऑकलैंड द्वारा किया गया, परंतु इससे पहले मैकाले ने भी इस सिद्धांत पर कार्य किया था।
- 1847 में लॉर्ड हार्डिंग ने अध्यापाकों के प्रशिक्षण केलिए कलकत्ता में एक नॉर्मल स्कूल की स्थापना की।
- 1847 में थॉमसन ने रूड़की में इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की।
1854 का वुड घोषणापत्र:-
भारतीय शिक्षा का मैग्नाकार्टा |
- ब्रिटेन की अर्ल ऑफ एबरीडीन की मिली-जुली सरकार में बोर्ड ऑफ कंट्रोल के अध्यक्ष सर चार्ल्स वुड को भारत की भावी शिक्षा के लिए एक वृहद् योजना बनाने के लिए 1854 में दायित्व सौंपा गया।
- सर चार्ल्स ने इस संबंध में अपनी जो सिफारिशें प्रस्तुत की उसे भारतीय शिक्षा का मैग्नाकार्टा भी कहा जाता है।
- वुड घोषणा पत्र के आधार पर 1855 में लोक शिक्षा विभाग की स्थापना की गयी तथा 1857 में बंबई, कलकत्ता और मद्रास में एक-एक विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी।
- 1882 में तत्कालीन वायसराय लॉर्ड रिपन ने वुड घोषणापत्र में शिक्षा के क्षेत्र में हुई प्रगति की समीक्षा के लिए डब्ल्यू. हंटर की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया।
- इसका कार्यक्षेत्र प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा की समीक्षा तक सीमित था। आयोग के 8 सदस्य भारतीय थे।
- आयोग के सुझाव के बाद 1882 में पंजाब तथा 1887 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी।
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