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Showing posts from August, 2018

'बंगाल का आतंक' किसे कहा जाता है?

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भारत में सर्वाधिक व्यापक और सर्वाधिक उपजाऊ मृदा कौन सी है? जलोढ़ मृदा 'बंगाल का आतंक' किसे कहा जाता है? जलकुम्भी बांगर तथा खादर नामक जलोढ़ मृदा में सबसे उपजाऊ कौन-सी मृदा होती है? खादर शुष्क खेती के लिए सर्वाधिक उपयुक्त मृदा कौन-सी होती है? काली मृदा चोपेन किस मृदा को कहा जाता है? लवणीय व क्षारीय मृदा को केन्द्रीय मृदा संरक्षण बोर्ड का गठन कब किया गया था? 1953 ई. में भारत में कुल भौगोलिक क्षेत्र का कितना प्रतिशत मानवाकृत अपरदन से प्रभावित है? 57.1 प्रतिशत भारतीय वन नीति के अनुसार हिमालय पर्वत, दक्षिणी पठार एवं पहाड़ी क्षेत्रों में कुल भूमि के कितने प्रतिशत भाग पर वन होना चाहिए? 60 प्रतिशत भारत में प्राकृतिक वनस्पति पर प्रभाव डालने वाले कारकों में प्रमुख कौन है? क्रमशः वर्षा एवं तापमान सर्वाधिक मृदा अपरदन से प्रभावित राज्य कौन-सा है? राजस्थान भारत में सर्वाधिक सूखा ग्रस्त क्षेत्र किस प्रदेश में पाया जाता है? राजस्थान में सर्वाधिक लवणीय मृदा किस प्रदेश में पायी जाती है? गुजरात में क्षेत्रफल की दृष्टि से देश में सर्वाधिक बंजर भूमि किस प्रदेश में पाया जाता है? राजस्था...

ऊतक

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जन्तु ऊतक समान उत्पत्ति, संरचना एवं कार्यों वाली कोशिकाओं के समूह को ऊतक कहते हैं।  जन्तुओं के शरीर में निम्नलिखित प्रकार के ऊतक पाये जाते हैं -  एपीथीलियम ऊतक (उपकला ऊतक)  पेशी ऊतक  संयोजी ऊतक  तंत्रिका ऊतक  तरल या संवहनीय ऊतक। एपीथीलियम ऊतक जन्तुओं के शरीर के विभिन्न बाहरी तथा भीतरी अंगों की सतह का आवरा बनाते हैं। एपीथीलियम ऊतक दो प्रकार के होते हैं - सरल तथा संयुक्त। सरल एपीथीलियम निम्न प्रकार के होते हैं - शल्की, स्तंभी, घनाकार, रोमाभि, ग्रंथिल, संवेदी और जनन। शल्की उपकला की कोशिकाएं पतली, चौड़ी, चपटी तथा षट्कोणीय होती है। कोशिकाओं की दीवारें एक-दूसरे से सटी रहती है। प्रत्येक कोशिका में एक पतला केन्द्रक होता है। यह ऊतक त्वचा की बाहरी सतह, रक्तवाहिनियों, कान के लेविरिन्थ, फेफड़ों वायुकोष्ठिकाओं और वृक्क के वोमेन सम्पुटों पर पाया जाता है। स्तंभी उपकला आहारनाल के विभिन्न अंगों तथा ज्ञानेन्द्रियों व उनकी वाहिनियों की भीतरी सतहों पर पायी जाती है तथा स्राव व अवशोषण में सहायक होती है।  घनाकार उपकला की कोशिकाएं घनाकार होती हैं तथा प्...

मौर्ययुगीन स्तम्भ कला

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मौर्ययुगीन कला को दो भागों में बांटा जा सकता है- दरबारी अथवा राजकीय कला जिसमें राजप्रासाद, स्तम्भ, गुहा-विहार, स्तूप लोककला जिसमें स्वतंत्र कलाकारों द्वारा लोकरूचि की वस्तुओं का निर्माण किया गया, जैसे- यक्ष-यक्षिणी, प्रतिमाएं, मिट्टी की मूर्तियां आदि। स्तम्भ कला स्तम्भ मौर्ययुगीन वास्तुकला के सबसे अच्छे उदाहरण है। सर जॉन मार्शल, पर्सीब्राउन, स्टेला कैम्रिश जैसे विद्वानों इन्हें ईरानी स्तम्भों की अनुकृति बताते हैं। इन स्तम्भों में मूलभूत अंतर है - अशोक के स्तम्भ एकाश्मक अर्थात् एक ही पत्थर से तराशकर बनाये गये हैं। जबकि ईरानी स्तम्भों को कई मण्डलाकार टुकड़ों को जोड़कर बनाया गया। अशोक के स्तम्भ बिना चौकी या आधार के भूमि पर टिकाये गये हैं जबकि ईरानी स्तम्भों को चौकी पर टिकाया गया है। ईरानी स्तम्भ विशाल भवनों में लगाये गये हैं जबकि अशोक के स्तम्भ स्वतंत्र रूप से विकसित हुए हैं। अशोक के स्तम्भों के शीर्ष पर पशुओं की आकृतियां है, जबकि ईरानी स्तम्भों पर मानव आकृतियां हैं। ईरानी स्तम्भ गड़ारीदार है किन्तु अशोक के स्तम्भ सपाट है। अशोक के स्तम्भों के शीर्ष पर लगी पशु मूर्ति...

पूर्व सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग को अमेरिका का 'लीजन ऑफ मेरिट' सम्मान

डॉ. जी. सतीश रेड्डी केंद्र सरकार ने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के वैज्ञानिक सलाहकार डॉक्टर जी. सतीश रेड्डी को डीआरडीओ का नया अध्यक्ष और रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग का सचिव नियुक्त किया। पूर्व सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग को अमेरिका का 'लीजन ऑफ मेरिट' सम्मान पूर्व सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह को 17 अगस्त 2018 को अमेरिका के 'लीजन ऑफ मेरिट' सम्मान से सम्मानित किया गया है। सेना ने ट्वीट किया कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने जनरल दलबीर सिंह (सेवानिवृत्त) को 'लीजन ऑफ मेरिट' सम्मान दिया है। दलबीर सिंह को यह पुरस्कार अगस्त 2014 से दिसंबर 2016 तक सेना प्रमुख के रूप में असाधारण और उत्कृष्ट सेवाओं के लिए दिया गया है। यह उपाधि भारतीय सेना में बेहतरीन कार्य करने के कारण प्राप्त हुई है। यह उपाधि पूर्व सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग को 17 अगस्त 2018 को पेंटागन वाशिंगटन डीसी में दी गई। इमरान खान पाकिस्तान के 22वें प्रधानमंत्री पूर्व क्रिकेटर और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (पीटीआई) के नेता इमरान खान ने 18 अगस्त 2018 को पाकिस्तान के 22वें प्रधानमंत्री के तौर...

प्रायद्वीपीय पठारी प्रदेश का संक्षिप्त वर्णन करते हुए इसके महत्त्व पर प्रकाश डालिए?

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प्रायद्वीपीय पठार 16 लाख वर्ग किमी. में फैला भारत का सबसे प्राचीन भू-भाग है। त्रिभुजाकार आकृति वाला यह प्रदेश उत्तर में गंगा-सतलज के मैदान तथा शेष दिशाओं में समुद्र से घिरा है। प्रायद्वीपीय पठारी प्रदेश गोंडवाना भूमि का एक अंग है। इस पठार की समुद्र तल से ऊंचाई लगभग 600 मीटर है। प्राकृतिक दृष्टि से इसकी उत्तरी सीमा अरावली, कैमूर तथा राजमहल पहाड़ियों द्वारा निर्मित होती है। पूरब में पूर्वी घाट तथा पश्चिम में पश्चिमी घाट इसकी सीमा है। कन्याकुमारी दक्षिण में इसका अंतिम सिरा है। यह पठार इसमें बहने वाली कई नदियों के कारण कई छोटे-छोटे पठारों में बंटा हुआ है जो निम्नलिखित हैं - मालवा का पठार - यह लावा से बना काली मिट्टी का मैदान है, जिसकी ढाल गंगा की ओर है। इस पर बेतवा, काली सिंध, चंबल, माही आदि नदियां प्रवाहित होती है, जो आगे चलकर यमुना नदी में मिल जाती है। इन नदियों का मध्यवर्ती भाग काली मिट्टी के जमाव के कारण काफी उपजाऊ है। बुंदेलखंड का पठार - मालवा पठार के उत्तरी व उत्तर-पूर्वी भाग को बुंदेलखंड का पठार कहते हैं। यह पठार उत्तर में यमुना के मैदान के निकट समाप्त हो जाता है।...

राजस्थान के प्रथम राज्यपाल बनाए गए

राजस्थान में क्रान्ति की शुरूआत कहाँ से हुई ? (अ) नसीराबाद (ब) नीमच (स) मेवाड़ (द) मारवाड आऊवा का संबंध किससे है ? (अ) रामसिंह (ब) खुशाल सिंह (स) लक्ष्मणसिंह (द) जोरावर सिंह बिजौलिया किसान आन्दोलन के नेतृत्व कर्ता थे? (अ) नयनूराम शर्मा (ब) हरिभाऊ उपाध्याय (स) विजयसिंह पथिक (घ) जमनालाल 'चेतावनी रा चूगटयॉ' सोरठा किसने लिखा ? (अ) प्रतापसिंह बारहठ (ब) जोरावरसिंह बारहठ (स) भारतसिंह बारहठ (द) केसरीसिंह बारहठ राजस्थान के एकीकरण में प्रथम चरण में किसका निर्माण हुआ? (अ) मत्स्य संघ (ब) राजस्थान संघ (स) वृहत्तर राजस्थाऩ (द) मेवाड संघ महाभारत कालीन क्षेत्र से सम्बन्धित था - (अ) वृहत राजस्थान (ब) संयुक्त राजस्थान (स) सिरोही (द) मत्स्य संघ वृहत् राजस्थान की राजधानी थी - (अ) उदयपुर (ब) जयपुर (स) जोधपुर (द) कोटा ‘‘सिरोही के विलय’’ को लेकर हुए आन्दोलन का नेतृत्व किया- (अ) गोकुल भाई भट्ट ( ब) माणिक्य लाल वर्मा (स) जय नारायण व्यास (द) हरिभाऊ उपाध्याय राजस्थान के प्रथम राज्यपाल बनाए गए- (अ) एन.वी. गाड़गिल (ब) हीरालाल शास्त्री (स) गुरूमुख निहाल सिंह (द) माणिक्य लाल व...

गुप्त काल में आर्थिक उन्नति

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आर्थिक जीवन:- गुप्त काल में आर्थिक जीवन समृद्ध हुआ। विस्तृत साम्राज्य एवं सुयोग्य प्रशासन के कारण आर्थिक जीवन के सभी पक्षों-कृषि, पशुपालन, उद्योग एवं शिल्प तथा व्यापार-वाणिज्य में अभूतपूर्व उन्नति हुई।  अ. कृषि -  स्मृतियों, बृहत्संहिता, अमरकोश आदि से गुप्तकालीन कृषि के बारे में जानकारी मिलती है। हल में लोहे के फाल का प्रयोग किया जाता था। बृहत्संहिता में बीजों की गुणवत्ता बढ़ाने एवं धरती की उर्वरा शक्ति में वृद्धि करने के तरीकों का उल्लेख किया गया है। कृषक अधिकांशतः वर्षा पर निर्भर होते थे, लेकिन गुप्त सम्राटों की ओर से प्रजा को सिंचाई की सुविधाएँ प्रदान करने का प्रयास किया गया।  स्कन्दगुप्त के जूनागढ़ अभिलेख ने अनुसार उसने गिरिनार पर्वत पर स्थित सुदर्शन झील का पुनरुद्धार करवाया। यह कार्य उसके सौराष्ट्र के गवर्नर पर्णदत्त के पुत्र चक्रपालित ने करवाया था।  सिंचाई में रहट या घटी यंत्र का प्रयोग होता था।  अमरकोष में उपज की विभिन्न वस्तुओं के नाम मिलते हैं- गेहूँ, धान, ज्वार, ईख, बाजरा, मटर, दाल, तिल, सरसों, अलसी, अदरक, कालीमिर्च आदि। बृहत्संहिता में तीन फ...

एशियाई खेलों में भारत को रोइंग में स्वर्ण पदक दिलाने वाली टीम में राजस्थान के ओमप्रकाश भी शामिल

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भारत की अनुभवी निशानेबाज हीना सिद्धू ने निशानेबाजी में महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में कांस्य पदक जीता। राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता हीना ने फाइनल में 219.2 अंकों के साथ तीसरा स्थान हासिल किया। भारतीय टेनिस खिलाड़ी रोहन बोपन्ना और दिविज शरन की जोड़ी ने 18वें एशियाई खेलों में 24 अगस्त 2018 को भारत को स्वर्ण पदक दिलाया। भारत को छठे दिन मिलने वाला यह दूसरा गोल्ड मेडल है। टेनिस में मिलने वाल यह दूसरा पदक है। तेजिंदरपाल सिंह  18वें एशियन गेम्स के सातवें दिन भारत के खिलाड़ी तेजिंदरपाल सिंह तूर ने पुरुषों की शॉट पुट स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीता। उन्होंने 20.75 मीटर गोला फेंक भारत के लिए सातवां गोल्ड मेडल जीता। हिमा दास भारतीय धावक हिमा दास ने 18वें एशियन गेम्स में महिलाओं की 400 मीटर रेस में अपना ही नैशनल रिकॉर्ड तोड़कर रजत पदक जीता। भारतीय धावक मोहम्मद अनस याहिया ने 26 अगस्त 2018 को 18वें एशियन गेम्स में 45.69 सेकेंड में पुरुषों की 400 मीटर रेस पूरी कर रजत पदक जीत लिया। फवाद मिर्जा फवाद मिर्जा एशियाई खेलों की घुड़सवारी प्रतियोगिता में 19...

चीनी यात्री फाह्यान का यात्रा विवरण

फाह्यान का भारत वर्णन - चीनी यात्री फाह्यान ने 399 ई. से 414 ई. तक भारत का भ्रमण किया था। उसने भारत की आर्थिक, धार्मिक, राजनीतिक व सामाजिक स्थिति का वर्णन किया है। तत्कालीन समाज में शाकाहार का प्रचलन था, सामान्यतयः जनता लहसुन प्याज का सेवन नहीं करती थी। अस्पृश्यता विद्यमान थी, परन्तु आम जनता का जीवन सादा व अहिंसक था। बौर्द्ध धर्म सीमावर्ती राज्यों में उन्नति था जबकि अपने प्रमुख स्थानों में अपनी महत्ता खो रहा था। समाज में धार्मिक समानता विद्यमान थी। ब्राह्मण धर्म भी उन्नत अवस्था में था। प्रजा दान-धर्म, पाप-पुण्य, लोक-परलोक, पुनर्जन्म में विश्वास करती थी। प्रजा सुखी थी। करों का बोझ अधिक नहीं था। दण्ड व्यवस्था कठोर नहीं थी, अपराध नगण्य थे। चोरों व डाकुओं का भय नहीं था। राज्य प्रजा के निजी विषयों में हस्तक्षेप नहीं करता था। प्रसिद्ध नगर श्रावस्ती, वैशाली, कौशम्बी उजड़ने लगे तथा उनके स्थान पर व्यापारिक नगर उज्जैन, कन्नौज आदि समृद्ध हो गए एवं व्यापार उन्नत था। कौड़ियां एवं वस्तुएँ विनियम का आधार थी।  पाटलिपुत्र के निवासी सम्पन्न थे। दान देने व जनहित कार्य के लिए तैयार रहते थ...

ह्वेनसांग का यात्रा विवरण

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ह्वेनसांग चीनी बौद्ध यात्री था, जो हर्ष के समय भारत आया। वह बौद्ध स्थलों के दर्शन एवं बौद्ध ग्रंथों के अध्ययन करने के उद्देश्य से भारत आया था। उसने भारत के सम्बन्ध में निम्नलिखित विवरण दिया- सामाजिक स्थिति - तत्कालीन समाज ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य व शूद्र वर्णों में विभाजित था। प्रथम तीन वर्ण समृद्ध थे। वे स्वच्छता, रहन-सहन पर ज्यादा ध्यान देते थे। शूद्र खेती व परिचर्या का कार्य करते थे।  समाज में शुद्ध भोजन तथा नैतिक चरित्र पर बल था। प्याज, लहसुन एवं मांस खाने वालों का निवास शहर से बाहर था। अन्तर्जातीय विवाह प्रतिबंधित थे। आर्थिक स्थिति - भूमि उर्वरा थी तथा लोग समृद्धशाली थे। सोने-चांदी के सिक्कों एवं सामान्यतः कौड़ियों का मुद्रा के रूप में प्रचलन था।  वस्त्रोद्योग का व्यवसाय उन्नत था। समाज में श्रेणी व्यवस्था प्रचलित थी। ताम्रलिप्ति, भड़ौंच, पाटलीपुत्र आदि शहर व्यापारिक केन्द्र थे।  चीन, मध्य एशिया, पश्चिम से भारत के व्यापारिक संबंध थे। कपड़ा, मसाले, निर्यात एवं घोड़े, सोना-चांदी आयात की प्रमुख वस्तुएँ थी। कृषि कर उपज का 1/6 भाग होता था। धार्मिक ज...

मौर्य प्रशासन

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मौर्य प्रशासन:- उपधा परिक्षण मौर्य साम्राज्य के प्रशासन की विस्तृत जानकारी इण्डिका, अर्थशास्त्र आदि ग्रंथों एवं तत्कालिक अभिलेखों से प्राप्त होती है। मौर्य प्रशासन के अन्तर्गत भारत में प्रथम बार राजनीतिक एकता देखने को मिली तथा सत्ता का केन्द्रीकरण हुआ।  साम्राज्य में प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्तियों से पूर्व उनकी योग्यता एवं चरित्र को परखा जाता था, जिसे 'उपधा परिक्षण' कहते थे। मौर्य साम्राज्य के प्रशासन का ढांचा निम्नलिखित था -  केन्द्रीय प्रशासन -  राजा शासन प्रणाली का केन्द्र बिन्दु था, महत्त्वपूर्ण एवं नीति संबंधी निर्णय राजा स्वयं लेता था। व्यवस्थापिका, न्यायपालिका व कार्यपालिका की समस्त शक्तियाँं उसमें निहित थी।  मंत्रिपरिषद् -   राजा को परामर्श देने के लिए मन्त्रिपरिषद् थी, जिनकी नियुक्ति वंश व योग्यता के आधार पर राजा करता था। अन्तिम निर्णय का अधिकार राजा का था। एक आन्तरिक परिषद् होती थी, जिसे मन्त्रिण् कहा जाता था। जिसके 3-4 सदस्य होते थे। महत्त्वपूर्ण विषयों पर राजा मन्त्रियों से परामर्श करता था।  अधिकारी -  शीर्षस्थ...

एशियाई खेलों में भारत क़ो महिला कुश्ती वर्ग मे पहला गोल्ड🎖मेडल दिलाकर विनेश फोगट ने रचा इतिहास

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इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में 18वें एशियाई खेलों (एशियन गेम्स) का आयोजन 18 अगस्त शुरू से होकर 02 सितंबर 2018 तक चलेंगे।  उद्घाटन समारोह में भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने भारतीय दल की अगुवाई की।  जकार्ता के जीबीके स्टेडियम में होने वाले उद्घाटन समारोह से खेलों का औपचारिक तौर पर आगाज हुआ। एशियाई खेल-2018 इंडोनेशिया के जकार्ता और पालेमबांग में आयोजन हो रहा है।  18वें एशियाई खेलों के शुभंकर :- 18वें एशियाई खेलों के तीन शुभंकर भिन-भिन, अतुंग और काका है। भिन-भिन स्वर्ग की चिड़िया, अतुंग एक हिरण और काका एक गेंडा है। इन तीन शुभंकरों ने एक शुभंकर द्रावा की जगह ली है। ये तीनों देश के पूर्वी, पश्चिमी और मध्य क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।  पहली बार दो शहर साझा :- एशियाई खेलों के इतिहास में यह पहली बार दो शहर साझा रूप से मेजबानी कर रहे हैं। जकार्ता और पालेमबांग शहर में इन खेलों की विभिन्न स्पर्धाओं का आयोजन चल रहा है।  जकार्ता जहां देश की राजधानी है वहीं पालेमबांग दक्षिणी सुमात्रा प्रोविंस की राजधानी है।   जकार्ता में इससे पहले वर्ष 19...

मार्टिन लूथर का धर्म सुधार आन्दोलन

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मार्टिन लूथर 1483-1546  लूथर का जन्म 10 नवंबर, 1483 ई. को जर्मनी के एक निर्धन किसान परिवार में हुआ।  लूथर प्रारम्भ में पोप का विरोधी नही था परन्तु 1517 ई. में टेटजेल को सेन्ट पीटर गिरजाघर के निर्माण हेतु, क्षमा-पत्र बेचकर धन इकट्ठा करने की पोप की आज्ञा ने, लूथर को चर्च विरोधी बना दिया। इसके विरोध में विटनबर्ग के कैसल गिरजाघर के प्रवेशद्वारा पर 31 अक्टूबर 1517 को अपना विरोध-पत्र ‘द नाइन्टी फाईव थीसिस’ लटका दिया। इन 95 स्थापनाओं अथवा कथनों में चर्च द्वारा सभी उपायों से धन एकत्र करने की आलोचना की गयी थी। पहले लैटिन भाषा में बाद में जर्मन में अनुवाद। जॉन हस के विचारों को अपनाने को कहा। उसने तीन लघु पुस्तिकाएं ‘पेम्फलेट’ प्रकाशित किये।इन पुस्तिकाओं में उन मूलभूत सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया गया, जिन्हें आगे चलकर ‘प्रोटेस्टेन्टवाद’ के नाम से अभिहित किया।  ‘एन एडृेस टु नोबिलटि ऑफ द जर्मन नेशन’ जर्मन राष्ट्र के सामंतवर्ग के प्रति एक अपील में उसने चर्च की अपार सम्पत्ति का वर्णन करते हुए जर्मन शासकों को विदेशी प्रभाव से मुक्त होने के लिए प्रेरित किया।  द बेबीलोनिय...

भारत में राष्ट्रवाद का उदय एवं विकास

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उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में राष्ट्रीय भावना के विकास के परिणामस्वरूप राजनीतिक आंदोलन का सूत्रपात हुआ। भारतीयों ने राजनीतिक आंदोलन के माध्यम से अंग्रेजी सत्ता से मुक्ति प्राप्त करने के लिए एक लंबा संघर्ष किया। अंग्रेजी शासन काल में भारतीयों में राष्ट्रीयता की भावना के उदय के निम्न कारण थे  शोषणकारी आर्थिक नीति- आधुनिक भारतीय राष्ट्रवाद का उदय विदेशी प्रभुत्व को चुनौती देने के रूप में हुआ। अंग्रेजी शोषणकारी आर्थिक नीतियों से भारतीय कृषि, परंपरागत उद्योग एवं हस्तशिल्प नष्ट होने लगे। भारतीय समाज के आर्थिक ढांचे में परिवर्तन आने लगा। सर्वप्रथम यह परिवर्तन भूमि एवं कृषि व्यवस्था में आया।  गाँवों की आत्मनिर्भरता को समाप्त किया गया। भूमि कर या लगान की राशि अधिक थी। कृषि का वाणिज्यीकरण किया गया। अब किसानों पर विशेष प्रकार की फसलें रुई, जूट आदि उत्पादित करने के लिए दबाव डाला जाने लगा। जंगल कानून अधिकार पारित कर चारागाहों एवं जंगल की भूमि के उपयोग करने के अधिकार छीन लिए गए।  ब्रिटेन के व्यापारियों के हित में भारतीय उद्योग धंधों को नष्ट किया जाने लगा। ब्रिटि...

राजस्थान एस आई प्री एग्जाम सिलेबस

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प्रिय एस आई प्रतियोगी परीक्षार्थियों , हम आपके लिए प्री एग्जाम के लिए परीक्षा पूर्व उपयोगी विषयवस्तु उपलब्ध करवा रहे हैं। Hindi Syllabus  शब्द रचना: सन्धि एवं सन्धि विच्छेद, समास, उपसर्ग, प्रत्यय शब्द प्रकार: (क) तत्सम, अर्द्धतत्सम, तद्भव, देशज, विदेशी (ख) संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, अव्यय (क्रिया विशेषण, सम्बन्ध सूचक, विस्मयबोधक निपात) शब्द ज्ञान: पर्यायवाची, विलोम, शब्द युग्मों का अर्थ भेद, वाक्यांश के लिए सार्थक शब्द, समश्रुत भिन्नार्थक शब्द, समानार्थी शब्दों का विवेक, उपयुक्त शब्द चयन, सम्बन्धवाची शब्दावली, शब्द शुद्धि व्याकरणिक कोटियाँ: परसर्ग, लिंग, वचन, पुरूष, काल, वृत्ति  (mood),  पक्ष  (Aspect),  वाच्य  (Voice) वाक्य रचना वाक्य शुद्धि विराम चिह्नों का प्रयोग मुहावरे / लोकोक्तियोँ । पारिभाषिक शब्दावली: प्रशासनिक, विधिक (विशेषतः) Pattern of Question Paper:  1. Maximum Marks – 200  2. Duration of Paper – 2 (Two) Hours  3. There will be 100 questions of multiple choice (Objective Type), carrying equal mar...

वे गलतियां जो अक्सर परीक्षार्थी करते है... आप ऐसे बच सकते हैं इन गलतियों से

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प्रिय प्रतियोगी परीक्षार्थियों, हम आपके लिए प्री एग्जाम के लिए परीक्षा पूर्व उपयोगी विषयवस्तु उपलब्ध करवा रहे हैं। सर्वप्रथम मैं आपको बताना चाहूंगा कि प्रश्नपत्र हल करते समय कुछ महत्त्वपूर्ण बातों को आप याद रखना - सबसे पहले आप अपनी ओएमआर शीट को ध्यानपूर्वक भरें। जब आप प्रश्नपत्र हल करें तो प्रश्न के मैन बिन्दु को अंडरलाइन करें व बार-बार पढ़ें कि प्रश्न क्या पूछा जा रहा है। दोस्तों कई बार हम प्रश्न के शुरूआती शब्दों के पढ़कर वस्तुनिष्ठ ऑब्जेक्ट पढ़ने लग जाते हैं और हमारा आंसर पहला ही ऑब्जेक्टिव सही होता है। क्योंकि एग्जामिनर आपके धैर्य की परीक्षा लेता है और वह शुरूआती शब्दों के अनुसार पहला ऑब्जेक्ट वही रखता है।  प्रिय परीक्षार्थियों आप यह गलती न दोहराए, प्रश्न पूरा पढ़े क्योंकि प्रश्न के अंत में सही है या कौनसा कथन गलत है। इस प्रकार के शब्द आते हैं जिन्हें हम अनदेखा करके आंसर दे देते है। प्रश्नपत्र को हम दो राउण्डों में हल करें ताकि पहली बार में हमारा स्कोर क्या रहा है। कितने प्रश्न हमें बिल्कुल सही आ रहे हैं। यदि औसत अच्छा है तो हम फिर दूसरे राउण्ड में केवल उन ...