Economy
बजट
बजट |
- बजट शब्द की उत्त्पति फ्रांसीसी शब्द Bougette से मानी जाती है। जिसका तात्पर्य 'चमड़े के थैले'।
- बजट सरकार की आय एवं व्यय का एक विवरण प्रपत्र है जिसमें आगामी वर्ष के लिये आय-व्यय के अनुमानित आंकड़े एवं आगामी वर्ष के सामाजिक-आर्थिक कार्यक्रम तथा आय-व्यय को घटाने-बढ़ाने के लिए प्रस्तावों का विवरण होता है।
- देश की अर्थव्यवस्था को दिशा प्रदान करना बजट का प्रमुख उद्देश्य होता है। देश की अर्थव्यवस्था सरकार के बजट से प्रभावित होती हैं। बजट के प्रमुख मुख्य उद्देश्य निम्न है- सरकारी बजट से न केवल विकास प्रभावित होता है बल्कि विकास की दिशा भी बजट से निर्धारित होती है।
- उत्पादन बढ़ानें मे भी बजट की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण होती है बजट में राहत द्वारा दिये गये करारोपण सम्बन्धी रियायतों एवं शुल्क में राहत द्वारा दिये गये प्रोत्साहन उत्पादन वृद्धि में सहायक होते हैं।
- सामान्यतया सरकार बजट के माध्यम से नये कर लगाकर और जनता से ऋण लेकर उसकी क्रय शक्ति में कमी करते हुये कीमत स्तर को नियन्त्रित करती है।
- देश के आर्थिक व सामाजिक विकास को गति देना एवं आय व धन का पुनर्वितरण करना।
- देश की उत्पादन संरचना एवं उत्पादन के स्तर को दिशा देना। बजट में करारोपण सम्बन्धी रियायतें एवं प्रोत्साहन उत्पादन वृद्धि में सहायक होता है।
- देश में प्रचलित मुद्रा स्फीति एवं अवस्फीति का उपचार बजट प्रावधानों में परिवर्तन द्वारा किया जाता है। जिससे आर्थिक स्थिरता के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
- कल्याणकारी राज्य की स्थापना का लक्ष्य बजट की सहायता से प्राप्त किया जा सकता है।
- आर्थिक असमानता पर रोक, सामाजिक सुरक्षा हेतु विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन, आर्थिक विकास हेतु योजनाओं का निर्माण बजट के प्रावधानों के माध्यम से ही किये जाते है।
- राजस्व एवं पूँजीगत बजट:-
राजस्व बजट ¼Revenue Budget½
|
पूंजीगत बजट ¼Capital Budget½
|
||
प्राप्तियों की मदें
|
व्यय की मदें
|
प्राप्तियों की मदें
|
व्यय की मदें
|
- आयकर
|
- सरकारी सेवाओं पर व्यय
|
- निवल घरेलू ऋण
|
- परिसम्पत्तियों का निर्माण
|
- लाभ व लाभांश
|
- ब्याज अदायगी
|
- निवल विदेशी ऋण
|
-
संचित कोष
|
- ब्याज आय
|
- अनुदान
|
- ऋण वापसी
|
- आकस्मिक कोष
|
- गैर कर आय
|
- सब्सिडी
|
- लोक सेवा प्राप्तियां
|
|
- सामान्य आर्थिक सेवाएं
|
|||
- सार्वजनिक निर्माण
|
- सरकार की कुल आय एवं कुल व्यय में समानता या अन्तर के आधार पर भी सरकारी बजट के प्रमुख तीन प्रकार निम्न हैं -
- वह बजट बचत का बजट कहलाता है जिसमें सरकार के व्यय की अपेक्षा आय का आधिक्य हो अर्थात सरकार की कुल आय उसके कुल व्यय की अपेक्षा अधिक हो।
- अर्थात कुल आय > कुल व्यय (धनात्मक अन्तर)
- जिस बजट दस्तावेज मे सरकारी आय व सरकारी व्यय दोनों समान हो तो वह सन्तुलित बजट कहलाता है।
- सन्तुलित बजट = कुल आय = कुल व्यय
- सरकार द्वारा प्रस्तुत बजट दस्तावेज में सरकारी व्यय की अपेक्षा सरकारी आय कम हो तो उसे घाटे का बजट कहा जाता है।
- आधुनिक युग में प्रायः सभी लोकतान्त्रिक देशों में सरकार को जनकल्याणकारी कार्यों का निर्वहन हेतु कई प्रकार के व्यय करने पड़ते हैं। आर्थिक विकास की बढती माँग, सामाजिक सुरक्षा योजनाओं पर बढ़ता व्यय, देश की माँग बढ़ने से सरकारों का सार्वजनिक व्यय तेजी से बढ़ता जा रहा है। यही कारण है कि घाटे का बजट, बजट की लोकप्रिय अवधारणा है।
- घाटे का बजट = सरकार का कुल व्यय > सरकारी की कुल आय
- सामान्यतया सरकारी बजट एक वित्तीय वर्ष की अवधि से सम्बन्धित होता है भारत में वित्तीय वर्ष 1 अप्रेल से 31 मार्च तक होता है। अर्थव्यवस्था में बदलती हुयी परिस्थितियों, बढ़ते सरकारी हस्तक्षेप के कारण बजट की प्रक्रिया एवं बजट के स्वरूप में आधुनिक युग मे परिवर्तन हुये हैं, जिन्हें निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है।
- आम बजट को पारम्परिक बजट भी कहा जा सकता है, इसका प्रमुख उद्देश्य विधायिका का कार्यपालिका पर वित्तीय नियन्त्रण स्थापित करना रहा है।
- इस प्रकार के बजट का प्रमुख उद्देश्य सरकारी खर्चों पर नियन्त्रण करना था न कि तीव्र गति से विकास को प्रेरित करना। इस बजट मे मुख्यतः वेतन, मजदूरी, उपकरण, मशीनें आदि के रूप में किये जाने वाले व्यय तथा विभिन्न मदों से होने वाली आय को प्रस्तुत किया जाता है।
- यदि बजट में स्वीकृत धनराशि 31 मार्च से पूर्व ही समाप्त हो जाये तो इस स्थिति मे सरकार संसद के सम्मुख पूरक बजट प्रस्तुत करती है और अतिरिक्त धनराशि की माँग की जाती है।
- पिछला बजट 31 मार्च को समाप्त हो जाता है जिसे बढ़ाया नहीं जा सकता, इसीलिये सरकार को 1 अप्रेल को अपने खर्चों के लिये नये बजट की आवश्यकता होती है संसद अस्थायी रूप से सरकार को व्यय के लिये अग्रिम धनराशि देती है।
- कार्य के परिणामों या निष्पादन को आधार बनाकर निर्मित किया या बजट निष्पादन बजट कहलाता है। निष्पादन बजट को व्यापक कार्यवाही का दस्तावेज माना जाता है। जो कार्यक्रमों,
- परियोजनाओं से सम्बन्धित संख्यात्मक आँकड़ो एवं क्रियान्वयन की उपलब्धियों का मापन करता है। यह बजट मूलतः लक्ष्योन्मुखी एवं उद्देश्य परक प्रणाली पर आधारित है।
- जीरोबेस (शून्य आधारीय) बजट का जनक अमरीका के पीटर. ए. पायर को माना जाता है।
- 1979 में इसे अमेरिका के राष्ट्रीय बजट में राष्ट्रपति जिमी कार्टर द्वारा अपनाया गया ।
- शून्य आधारित बजट प्रणाली व्यय पर अंकुश लगाने की एक तार्किक प्रणाली है इस प्रणाली में विगत व्ययों को आधार नहीं बनाया जाता अर्थात विगत व्ययों को भावी व्यय के लिये तर्क के रूप में स्वीकार नहीं किया जाता है। इस प्रणाली में प्रत्येक क्रियाकलाप को शून्य आधार से पुनः औचित्य निर्धारित करना पड़ता है न कि पुराने व्ययों पर नये व्ययों का प्रावधान करना। इस बजट प्रणाली को सूर्यास्त बजट प्रणाली (सनसेट सिस्टम) भी कहा जाता है।
- सामान्य बजट की तुलना मे यह एक कठिन प्रक्रिया है जसमें वित्तिय प्रावधानों को परिणामों के सन्दर्भ में देखा जाता है। बजट मे मूल्याकंन किये जा सकने वाले भौतिक लक्ष्यों का निर्धारण इस उद्देश्य से किया जाता है कि बजट के क्रियान्वयन की गुणवत्ता को परखा जाना सम्भव हो सके।
- आउटकम बजट में कार्य सम्पादन हेतु किसी भी स्तर पर देशी या रूकावट के बजाय निर्धारित धनराशि को सही समय, सही मात्रा में पहुँचाना होता है।
- जेन्डर बजटिंग के माध्यम से सरकार द्वारा महिलाओं के विकास, कल्याण और सशक्तिकरण से सम्बन्धित योजनाओं और कार्यक्रमों के लिये प्रतिवर्ष बजट में एक निर्धारित राशि की व्यवस्था सुनिश्चित करने के प्रावधान किये जाते है। बजट के प्रावधान पुरूष और स्त्री को अलग-अलग तरीके से प्रभावित करते हैं।
- संघीय एवं प्रान्तीय सरकार के बजट कार्यकारिणी द्वारा तैयार किये जाते हैं तथा कार्यकारिणी द्वारा पास करवाये जाते हैं तथा इनके क्रियान्वयन का दायित्व भी कार्यकारिणी पर रहता है। स्थानीय संस्थाओं का बजट स्वतन्त्र होता है।
- सामान्य बजट प्रायः अपेक्षाकृत स्थायी प्रकृति के कार्यों से व्यवहार करते हैं, जबकि संकटकालीन बजट असामान्य या विशेष परिस्थितियों जैसे युद्ध, मन्दी आदि से सम्बद्ध होते हैं। दोनों के उत्तरदायित्व, भागीदारी और क्षमतायें अलग-अलग होती हैं।
- महिलाओं में अधिकारों के प्रति जागरूकता का अभाव, शिक्षा के अवसरों में कमी स्वतन्त्र निर्णय न ले पाना इत्यादि परिस्थितियों के कारण जैन्डर बजटिंग का भारत जैसे विकासशील देश में पर्याप्त महत्व है।
Post a Comment
0 Comments