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आरएएस मुख्य परीक्षा राजस्थान सामान्य ज्ञान एवं कला संस्कृति
आरएएस मुख्य परीक्षा 1999
भाग अ
- समस्त 15 प्रश्नों के उत्तर दीजिये। प्रत्येक प्रश्न के लिए 2 अंक निर्धारित है। उत्तर 20 शब्दों से अधिक नहीं होना चाहिए?
- निम्नलिखित के बारे में आप क्या जानते है -
कोलायत -
- बीकानेर ज़िले में स्थित कोलायत नामक स्थान पर सांख्य दर्शन के प्रवर्तक कपिल मुनि का मेला कार्तिक शुक्ल की पूर्णिमा को भरता है।
कुरजां -
- कुरजां राजस्थान का लोक गीत एवं एक प्रवासी पक्षी है जो सर्दियों में आते हैं। वियोगिनी स्त्रियां कुरजां द्वारा संदेश भेजने हेतु विरह गीत गाती है।
गोगापीर -
- मारवाड़ के पंच पीरों में प्रमुख गोगाजी को जाहरपीर व सांपों का देवता भी कहते हैं। इनका जन्म चूरू ज़िले के ददरेवा नामक गांव में हुआ था।
लाग-बाग -
- रियासत काल में किसानों से लिया जाने वाला कर जिसमें चंवरी लाग व तलवार बंधाई लाग प्रमुख है।
राजसमंद झील -
- राजसमंद में राजा राजसिंह द्वारा 1662 ई. में गोमती नदी पर बनाई गई कृत्रिम झील है। इसके किनारे सुन्दर घाट और नौ चौकी है, जहां राजप्रशस्ति नामक शिलालेख पर मेवाड़ का इतिहास संस्कृत में लिखा है।
छप्पन मैदान -
- माही बेसिन में प्रतापगढ़ और बांसवाड़ा के बीच छप्पन नदी नालों का प्रवाह क्षेत्र ‘छप्पन का मैदान’ कहलाता है।
साथिन -
- पंचायत राजव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने हेतु प्रत्येक ग्राम पंचायत में नियुक्त महिला एवं बाल विकास विभाग की महिला कार्यकर्ता ‘साथिन’ कहलाती है।
अलगोजा -
- बांस की दो नलियों से निर्मित सुषिर वाद्ययंत्र जो मुख्य रूप से भील व कालबेलिया जाति का द्वारा बजाया जाता है।
भटनेर का किला -
- हनुमानगढ़ ज़िले में घग्घर नदी के किनारे पर भाटी राजा भूपतसिंह द्वारा बनवाया धान्वन दुर्ग जिसे राजस्थान की उत्तरी सीमा का प्रहरी कहा जाता है।
केसरी सिंह बारहठ -
- राजस्थान के स्वतंत्रता सेनानी एवं 1910 में ‘वीर भारत सभा’ की स्थापना की। 1903 ई. में ‘चेतावनी रा चूंगटिया’ लिखकर मेवाड़ महाराणा फतेहसिंह में राष्ट्रीय भावना जाग्रत की।
मीठेशाह की दरगाह -
- झालावाड़ ज़िले में स्थित गागरोण दुर्ग जो एक जल दुर्ग है, इसमें सूफी संत हमीदुद्दीन चिश्ती की समाधि बनी है जिसे मीठे साहब की दरगाह भी कहते है।
खानवा का युद्ध -
- मेवाड़ के महाराणा सांगा और मुगल बादशाह बाबर के मध्य 17 मार्च, 1527 ई. को भरतपुर ज़िले के बयाना के पास खानवा नामक स्थान पर युद्ध हुआ जिसमें सांगा की पराजय हुई।
बणी-ठणी -
- किशनगढ़ के राजा सावंतसिंह की प्रयेसी बणी-ठणी थी जिस पर निहालचंद ने किशनगढ़ शैली में चित्र बनाया, जिसे एरिक डिकिन्सन ने भारत की ‘मोनालिसा’ कहा है।
कच्छी घोड़ी नृत्य -
- शेखावाटी का प्रसिद्ध लोकनृत्य, जिसमें चार-चार व्यक्ति की पंक्ति आगे-पीछे इतनी तेजीी से होते हैं कि आठों व्यक्ति एक समय में एक ही पंक्ति में होते हैं।
भाग ब
सभी 10 प्रश्नों के उत्तर दीजिए। प्रत्येक प्रश्न के लिए 4 अंक निर्धारित है। शब्द सीमा - 50 शब्द।राजस्थान के किन्हीं पांच वन्यजीव पर टिप्पणियां लिखिये?
- राजस्थान के पांच वन्यजीव अभयारण्य निम्न प्रकार हैं-
- सीतामाता अभयारण्य, चित्तौड़गढ़ - यह दुर्लभ चौसिंगा एवं उडन गिलहरियों के लिये प्रसिद्ध है।
- गजनेर अभयारण्य, बीकानेर - यह बटबड़ पक्षी अर्थात् रेत के तीतर के लिये प्रसिद्ध है।
- बस्सी अभयारण्य, चित्तौड़गढ़ - जंगली बाघों के विचरण के लिए प्रसिद्ध
- ताल-छापर अभयारण्य, चूरू - यहां काले हिरण पाये जाते हैं व प्रवासी पक्षी कुरजां के लिए प्रसिद्ध है।
- आबू अभयारण्य, सिरोही - यह जंगली मुर्गे के लिये प्रसिद्ध है।
सागरमल गोपा
- जैसलमेर में जन्में प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी। इन्होंने जैसलमेर के तत्कालीन महारावल जवाहर सिंह के अत्याचारों का डटकर विरोध किया। इन्होंने राजनैतिक चेतना उत्पन्न करने के साथ-साथ शिक्षा के प्रसार विशेष बल दिया।
- सागरमल प्रतिबन्धित प्रजामण्डल के नेता थे। इनकी जन आक्रोश पैदा करने वाली गतिविधियों को देखकर जैसलमेर व हैदराबाद राज्य ने इनके प्रवेश पर प्रतिबन्ध लगा दिया।
- 25 मई 1941 को राजद्रोह के आरोप में इन्हें जेल में डाल दिया गया और इनके साथ अमानवीय अत्याचार किया गया। जेल में ही इनकी मृत्यु हुई।
- इन्होंने आजादी के दीवाने व जैसलमेर में गुण्डाराज पुस्तकें लिखी।
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