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बायोस्फीयर रिजर्व एवं कन्वेंशन ऑन बायोडायवर्सिटी
जीवमंडल प्रारक्षण एवं कन्वेंशन ऑन बायोडायवर्सिटी
- वर्तमान में वैज्ञानिक और असंतुलित विकास के युग में तीव्र गति से जैव विविधता का क्षरण हो रहा है। अतः इसके संरक्षण की बड़ी आवश्यकता है।
- सर्वप्रथम 1971 में यूनेस्को के मनुष्य तथा जीव मण्डल कार्यक्रम के अन्तर्गत जीवमंडल प्रारक्षण की संकल्पना का उद्भव हुआ तथा प्रथम जीवमंडल प्रारक्षण की स्थापना 1976 में की गई।
- 1976 के बाद से (Man and Biosphere Programe) MAB द्वारा अभिनिर्धारित जीवमंडल प्रारक्षियों की संख्या में निरंतर वृद्धि होती गई तथा मई 2002 तक 94 देशों में कुल 408 बायोस्फीयर रिजर्व की पहचान की गई थी।
- जीवमंडल प्रारक्षण की भूमिकाओं तथा प्रमुख उद्देश्यों को यूनेस्को एवं UNEP (United Nations Environmental Programe) द्वारा गठित टास्क फोर्स द्वारा तीन प्रमुख वर्गों में विभाजित किया गया है। जैसे संरक्षणात्मक भूमिका, लाजिस्टिक भूमिका तथा विकासीय भूमिका।
- इस प्रकार जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र स्थापित करने का प्रमुख उद्देश्य जैव विविधता व पारिस्थितिकीय तंत्र को दीर्घकालीन संरक्षण प्रदान करना, जैव संसाधनों का उचित प्रबंधन करना, जैव विविधता के क्षेत्र में शिक्षण प्रशिक्षण को प्रोत्साहित करना तथा इस क्षेत्र में अन्तरराष्ट्रीय सहयोग प्राप्त करना है।
- बायोस्फीयर रिजर्व (बीआरएस) प्राकृतिक और सांस्कृतिक परिदृश्य के प्रतिनिधि हिस्से हैं जो स्थलीय या तटीय / समुद्री पारिस्थितिक तंत्र के बड़े क्षेत्र या इसके संयोजन और जैव-भौगोलिक क्षेत्रों / प्रांतों के प्रतिनिधि उदाहरणों के विस्तार हैं।
टास्क फोर्स ने बायोस्फीयर रिजर्व के लिए आरक्षित क्षेत्र को तीन मंडलों में विभाजित किया है -
कोर क्षेत्र -
- यह जैवमंडल क्षेत्र का सबसे महत्त्वपूर्ण भाग होता है। इसमें किसी भी प्रकार की मानवीय गतिविधियों को छूट नहीं रहती अथवा पर्यावरणीय दशाओं के पर्यवेक्षण एवं नियमित मानीटरिंग को।
मध्यवर्ती क्षेत्र -
- यह जैवमंडल का ऐसा क्षेत्र है जिसका सीमांकन तो अच्छी तरह किया जाता है परन्तु उपयोग ऐसे कार्यों के लिए किया जा सकता है जो पूर्णतया नियंत्रित एवं अविध्वंसक हो। शोध कार्य पर्यावरण शिक्षा तथा प्रशिक्षण, पर्यटन या प्रबन्धन से संबंधित कार्य इस क्षेत्र में किए जा सकते हैं।
आवान्तर क्षेत्र -
- इस मंडल की सीमा सुरक्षित नहीं होती है। इस मण्डल का मुख्य कार्य विकासीय योजनाओं से संबंधित होता है अर्थात् आवान्तर मण्डल की प्रमुख भूमिका विकास कार्य से संबंधित होता है।
- जैवमंडल प्रारक्षण की संकल्पना के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए भारतीय संसद ने विधान द्वारा जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र स्थापित किए हैं।
- पहला जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र भारत में यूनेस्को के सहयोग से 1986 में नीलगिरी क्षेत्र में स्थापित किया गया। अब तक देश में कुल 18 जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र घोषित किए जा चुके हैं जिनमें से 9 को यूनेस्को जैवमंडलीय आरक्षित क्षेत्र के विश्व नेटवर्क पर मान्यता प्रदान की गई है।
- कोल्ड डेजर्ट, हिमाचल प्रदेश
- नंदा देवी, उत्तराखंड
- कंचनजंगा, सिक्किम
- देहांग-देबांग, अरुणाचल प्रदेश
- मानस, असम
- डिब्रू-साइखोवा, असम
- नोकरेक, मेघालय
- पन्ना, मध्य प्रदेश
- पचमढ़ी, मध्य प्रदेश
- अचनकमार-अमरकंटक, मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़
- कच्छ, गुजरात
- सिमिलीपाल, ओडिशा
- सुंदर बन, पश्चिम बंगाल
- शेषाचलम, आंध्र प्रदेश
- अगस्त्यमाला, कर्नाटक-तमिलनाडु-केरल
- नीलगिरी, तमिलनाडु-केरल
- मन्नार की खाड़ी, तमिलनाडु
- ग्रेट निकोबार, अंडमान और निकोबार द्वीप
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