2nd Grade
प्रस्थिति तथा भूमिका
- अरस्तु ने अपनी पुस्तक ‘राजनीति’ (पॉलिटिक्स) में प्रस्थिति एवं भूमिका दोनों ही शब्दों का प्रयोग किया था।
- सामाजिक प्रस्थिति एवं भूमिका के बारे में महत्त्वपूर्ण विचार प्रकट करने वालों में लिण्टन, हिटलर, मर्टन, पारसन्स व डेविस प्रमुख है।
प्रस्थिति Status
- प्रस्थिति की सबसे सामान्य धारणा यह है कि यह समूह में व्यक्ति के स्थान को बताती है। एक ओर तो यह शब्द पद का विचार उत्पन्न करता है अर्थात् एक व्यक्ति का समूह में क्या स्थान है या दूसरे के सम्बन्ध में उसका क्या पद है।
- समूह में एक व्यक्ति का कार्य उसकी स्थिति का गतियुक्त रूप है।
परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण प्रश्न पढ़ें:-
परिभाषा
- राल्फ लिण्टन पहला समाज-वैज्ञानिक था जिसने अपनी पुस्तक ‘द कल्चरल बैक ग्राउण्ड ऑफ पर्सनलिटी’ में प्रस्थिति एवं भूमिका अवधारणाओं की विस्तृत व्याख्या प्रसतुत की।
मेकाइवर और पेज
- ‘प्रस्थिति वह सामाजिक पद है जोकि रखने वाले के लिए उसके व्यक्तिगत गुणों या सामाजिक सेवा के अतिरिक्त आदर, प्रतिष्ठा तथा प्रभाव की कुछ मात्रा निश्चित करती है।’
मार्टिनडेट तथा मौनेकसी -
- हम स्थिति की परिभाषा सामाजिक झुंड के स्थान से करते है, जो आदर के चिह्न पर कार्यों के प्रतीक से पहचाना जा सकता है।’
इलियट एवं मैरिल -
- ‘व्यक्ति की वह पदवी जिसे व्यक्ति किसी समूह में अपने लिंग, आयु, परिवार, वर्ग व्यवसाय, विवाह या प्रयास आदि के कारण पाता है, प्रस्थिति कहलाती है।’
किम्बालयंग -
- ‘सभी समाजों तथा समूहों में हर व्यक्ति को कुछ कार्यों को पूरा करना होता है जिनके साथ शक्ति तथा प्रतिष्ठा की कुछ मात्रा जुड़ी होती है। शक्ति तथा प्रतिष्ठा की जिस मात्रा का हम प्रयोग करते हैं, वही उसकी प्रस्थिति है।’
जॉन लेवी -
- किसी सामाजिक संरचना में व्यक्ति अथवा समूह के संस्थात्मक पदों का सम्पूर्णता ही प्रस्थिति है।
- प्रस्थिति के अनुरूप भूमिका के निर्वाह को हम ‘प्रस्थिति एवं भूमिका’ का संतुलन कहते हैं।
बीरस्टीड -
- सामान्यतः एक प्रस्थिति समाज अथवा समूह में एक पद है।
लेपियर -
- सामाजिक प्रस्थिति सामान्यतः उस पद के रूप में समझी जाती है जो एक व्यक्ति समाज में प्राप्त किए होता है।
आगबर्न तथा निमकॉफ -
- प्रस्थिति की सबसे सरल परिभाषा यह हैं कि यह समूह में व्यक्ति के पद का प्रतिनिधित्व करती है।
डेविस -
- प्रस्थिति किसी भी सामान्य संस्थात्मक व्यवस्था में किसी पद की सूचक है, ऐसा पद जो समाज द्वारा स्वीकृत है और जिसका निर्माण स्वतः ही हुआ है तथा जो जनरीतियों एवं रूढ़ियों से सम्बद्ध है।
प्रस्थिति के प्रकार - दो रूप
- राल्फ लिण्टन ने 1936 ई में अपनी पुस्तक 'Study Of Men' में लिखा।
- प्रदत्त/जन्मित प्रस्थिति - जिस स्थिति या सामाजिक पद प्रतिष्ठा के लिए व्यक्ति को कोई प्रयत्न नहीं करने पड़ते तथा जो स्थिति जन्म से प्राप्त हो जाती है, वह जन्मित स्थिति होती है।
- उदाहरण - ब्राह्मण कुल में जन्म, शूद्र वर्ग की तुलना में उसको सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त है।
प्रदत्त प्रस्थिति के निर्धारण के आधार
अर्जित/प्राप्त प्रस्थिति -
विलियम मैक्डूगल
हार्टन एवं हण्ट
प्रदत्त तथा अर्जित प्रस्थितियों में अन्तर
प्रस्थितियों के संगठन को समझने के लिए किंग्सले डेविस ने दो पक्षों का उल्लेख किया है -
व्यावहारिक पक्ष -
प्रस्थिति प्रतीक -
मुख्य प्रस्थिति Key की अवधारणा
बीरस्टीड -
प्रस्थिति संघर्ष -
- लिंग भेद, आयु भेद, नातेदारी, जाति एवं प्रजाति, जन्म, शारीरिक विशेषताएं
अर्जित/प्राप्त प्रस्थिति -
विलियम मैक्डूगल
- व्यक्तिगत योग्यता अथवा त्रुटि तथा प्रयत्न के आधार पर जो प्रस्थिति प्राप्त होती है उसे अर्जित प्रस्थिति कहते है।
हार्टन एवं हण्ट
- एक सामाजिक पद जिसे व्यक्ति अपनी इच्छा एवं प्रतिस्पर्द्धा के द्वारा प्राप्त करता है।
- सामाजिक स्थिति का यह वह रूप है, जो व्यक्ति को प्रयत्न करने पर प्राप्त होती है। इसके लिए उसे शिक्षा, व्यवसाय, परोपकार, प्रसिद्धि आदि प्राप्त करने पर मिलती कहते है।
- शारीरिक कुशलता, बौद्धिक कुशलता, कलात्मक व्यवसाय, सम्पत्ति, राजनीतिक सत्ता, शिक्षा, विवाह उपलब्धियां।
प्रदत्त तथा अर्जित प्रस्थितियों में अन्तर
- प्रदत्त प्रस्थिति स्वयं ही व्यक्ति को समाज द्वारा प्राप्त हो जाती है, उसे कोई प्रयास नहीं करना पड़ता जबकि अर्जित प्रस्थिति व्यक्ति स्वयं की क्षमता, निपुणता, प्रयास संघर्षों द्वारा प्राप्त करता है।
- प्रदत्त प्रस्थिति समाज में व्यक्ति को सामाजिक रीति-रिवाजों से मिलती है, परंतु अर्जित प्रस्थिति तो व्यक्ति स्वयं गुणों से प्राप्त करता है।
- प्रदत्त प्रस्थिति तो लिंग, जन्म, आयु, जाति, प्रजाति, नातेदारी परिवार के आधार पर स्वयं निर्धारित हो जाती है जबकि अर्जित प्रस्थिति में तो विभिान्न योग्यताओं, शारीरिक, मानसिक तथा औपचारिक परीक्षण के बाद ही प्रस्थिति निर्धारित होती है।
- प्रदत्त प्रस्थिति का आधार स्थायी होने के कारण स्थिर होती है, जबकि अर्जित प्रस्थिति परिवर्तनशील होती है।
- प्रदत्त प्रस्थिति अनिश्चित और अधिकार क्षेत्र भी स्पष्ट होती है, जबकि अर्जित अपेक्षाकृत निश्चित एवं सुस्पष्ट होती है।
- जैसे एक पिता के अधिकारों की कोई सीमा नहीं होती, लेकिन एक न्यायाधीश या राष्ट्रपति के अधिकार और कर्त्तव्य सुस्पष्ट लिखित है।
- फिचर का कहना है कि प्रदत्त प्रस्थिति तथा सम्बन्धित भूमिका में सामंजस्य होना आवश्यक नहीं है, जबकि अर्जित प्रस्थितियों में अक्सर सामंजस्य होता है।
प्रस्थितियों के संगठन को समझने के लिए किंग्सले डेविस ने दो पक्षों का उल्लेख किया है -
- सैद्धांतिक पक्ष - ऑफिस, स्थिति संकुल (हैसियत), स्तर
- ऑफिस - किसी संगठन में जानबूझकर बनाया गया पद
- स्थिति संकुल - व्यक्ति द्वारा अनेक प्रस्थितियां या ऑफिस प्राप्त किये जाते हैं इनका योग Sttation कहलाता है।
व्यावहारिक पक्ष -
- प्रतिष्ठा, सम्मान, श्रेणी
प्रस्थिति प्रतीक -
- कई बार कुछ प्रस्थितियों को उनके प्रतीकों के आधार पर पहचाना जाता है। ये प्रतीक पोशाक, बैज आदि कोई भौतिक सांस्कृतिक तत्व हो सकते हैं।
मुख्य प्रस्थिति Key की अवधारणा
- ई.टी. हिलर नामक समाजशास्त्री द्वारा दी गई
बीरस्टीड -
- ‘मुख्य प्रस्थिति वह है जो दूसरी प्रस्थितियों की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण एवं अग्रणीय होती है।’
- भारत में जाति तथा रूस में व्यक्ति की राजनीतिक स्थिति मुख्य स्थिति के निर्धारण का प्रमुख आधार है।
- प्रस्थिति सम्बन्ध जोड़े के रूप में - माता-पिता, पति-पत्नी, राजा-प्रजा
प्रस्थिति संघर्ष -
- व्यक्ति दो प्रस्थितियां धारण करता है जिनके मानदण्ड एक-दूसरे से भिन्न होते हैं और एक के पालन करने पर दूसरी के मानदण्डों की अवज्ञा होती है।
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