महासागरीय नितल के उच्चावच
- महासागर प्रथम श्रेणी के उच्चावच है। यह पृथ्वी के गहरे क्षेत्रों के रूप में वर्गीकृत है तथा इसमें पृथ्वी की विशाल जलराशि संचित है। महाद्वीपों के विपरीत महासागर एक-दूसरे से स्वाभाविक रूप में इतने करीब हैं कि उनका सीमांकन करना कठिन हो जाता है। फिर भी भूगोलविदों ने पृथ्वी के महासागरीय भाग को पांच महासागरों में विभाजित किया है।
- जिनके नाम हैं - प्रशांत, अटलांटिक, हिन्द, दक्षिणी एवं आर्कटिका।
- जिस प्रकार स्थलीय भाग पर पर्वत, पठार व मैदान आदि पाए जाते हैं, उसी प्रकार महासागरीय नितल पर भी विभिन्न प्रकार की आकृतियां पाई जाती है।
महासागरीय नितल अथवा अधस्तल को चार प्रमुख भागों में बांटा जा सकता है -
- महाद्वीपीय मग्नतल
- महाद्वीपीय मग्नढाल
- गहरे समुद्री मैदान
- महासागरीय गर्त
महाद्वीपीय मग्नतट
- यह महासागर का सबसे उथला भाग होता है जिसकी औसत प्रवणता 1 डिग्री या उससे भी कम होती है।
- महाद्वीपीय मग्नतटों की चौड़ाई में एक महासागर से दूसरे महासागर के बीच भिन्नता पाई जाती है।
- यहां पर अवसादों की मोटाई भी अलग-अलग होती है।
- यहां लम्बे समय तक प्राप्त स्थूल तलछट अवसाद जीवाश्मी ईंधनों के स्रोत बनते हैं।
- समुद्र में जो भी प्राकृतिक गैसों एवं पेट्रोलियम के भंडार पाए गए हैं, उन सबका संबंध महाद्वीपीय मग्नतट से ही है।
- यह महासागरीय नितल के 8.6 प्रतिशत भाग पर फैले हैं।
महाद्वीपीय मग्नढाल
- मग्नतट तथा सागरीय मैदान के बीच तीव्र ढाल वाले मंडल को ‘महाद्वीपीय मग्नढाल’ कहते हैं।
- इसकी ढाल प्रवणता मग्नतट के मोड़ के पास से सामान्यतः 40 से अधिक होती है।
- मग्नढाल पर जल की गहराई 200 मीटर से 3000 मीटर के बीच होती है।
- मग्नढाल समस्त सागरीय क्षेत्रफल के 8.5 प्रतिशत पर फैला है।
- मग्नढालों पर सागरीय निक्षेप का अभाव पाया जाता है।
गहरे समुद्री मैदान
- गहरे समुद्री मैदान महासागरीय बेसिनों के मंद ढाल वाले क्षेत्र होते हैं।
- इनकी गहराई 3000 से 6000 मीटर तक होती है।
- समस्त महासागरीय क्षेत्रफल के 70 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र पर इनका विस्तार पाया जाता है। उल्लेखनीय है कि इनका विस्तार भिन्न-भिन्न महासागरों में भिन्न-भिन्न है।
- प्रशांत महासागर में इनका सर्वाधिक विस्तार है।
- ये मैदान महीन कणों वाले अवसादों जैसे मृत्तिका एवं गाद से ढके होते हैं।
महासागरीय गर्त
- ये महासागर के सबसे गहरे भाग होते हैं।
- ये महासागरीय नितल के लगभग 7 प्रतिशत भाग पर फैले हैं।
- आकार की दृष्टि से महासागरीय गर्तों को दो भागों में विभाजित किया जाता है।
- लंबे गर्त को ‘खाई’ जबकि कम क्षेत्रफल वाले किंतु अधिक गहरे गर्त को ‘गर्त’ कहते हैं।
- विश्व का सबसे गहरा गर्त मेरियाना गर्त (Mariana Trench) है जो प्रशांत महासागर में अवस्थित है।
विश्व की 10 सर्वाधिक गहरे गर्त
गर्त |
सागर |
अधिकतम गहराई |
मेरियाना
|
प्रशांत
|
11,033 मीटर
|
टोंगा
|
प्रशांत
|
10,882 मीटर
|
फिलीपींस
|
प्रशांत
|
10,545 मीटर
|
कुरिल-कमचटका
|
प्रशांत
|
10,542 मीटर
|
कर्माडेक
|
प्रशांत
|
10,047 मीटर
|
इजू-बोनिन
|
प्रशांत
|
9,810 मीटर
|
जापान
|
प्रशांत
|
9,504 मीटर
|
प्यूर्टो रिको
|
अटलांटिक
|
8,800 मीटर
|
दक्षिण सैंडविच
|
अटलांटिक
|
8,428 मीटर
|
अटाकामा
|
प्रशांत
|
8,065 मीटर
|
- उपर्युक्त महासागरीय नितल के प्रमुख उच्चावचों के अतिरिक्त कुछ लघु परंतु अत्यधिक महत्त्वपूर्ण आकृतियां महासागरों के विभिन्न भागों में प्रमुखता से पाई जाती है।
निम्न में से सही सुमेलित है-
अ. मेरियाना ट्रेंच - अटलांटिक
ब. प्यूर्टो रिको ट्रेंच - प्रशांत
स. अटाकामा ट्रेंच - प्रशांत
द. फिलीपींस ट्रेंच - हिंदमहासागर
उत्तर- स
सुमेलित कीजिए-
A. मेरियाना ट्रेंच i. 10,545 मीटर
B. फिलीपींस ट्रेंच ii. 10, 882 मीटर
C. प्यूर्टो रिको ट्रेंच iii. 11,033 मीटर
D. टोंगा ट्रेंच iv. 8,800 मीटर
A B C D
1. i ii iii iv
2. iii iv i ii
3. iii i iv ii
4. ii iii iv i
उत्तर- 3
मध्य महासागरीय कटक
- मध्य महासागरीय कटक नीवन बेसाल्ट चट्टानों की एक पर्वतीय श्रृंखला के समान है या फिर यह कह सकते हैं कि ये अंतर्जलीय पर्वत तंत्र के समान हैं जिसमें विविध पर्वत श्रेणियां एवं घाटियां पाई जाती है।
- मध्य अटलांटिक कटक सबसे लंबा महासागरीय कटक है जो उत्तर में आइसलैंड से दक्षिण में बोवेट द्वीप तक अंग्रेजी के ‘S’ अक्षर के आकार में विस्तारित है।
महासागर एवं उनमें अवस्थित कुछ प्रमुख कटक
- अटलांटिक महासागर - डॉल्फिन कटक, विविल थामसन कटक, टेलीग्राफ पठार, चैलेंजर उभार, रियो ग्रांडे कटक आदि।
- हिंद महासागर - एम्सटर्डम सेंटपाल कटक, चागोस कटक, सेशल्स कटक 900 पूर्वी कटक आदि।
- प्रशांत महासागर - जुआन डे फ्यूका कटक, अल्बाट्रॉस कटक, चिली कटक, न्यूजीलैंड कटक, क्वींसलैंड कटक आदि।
प्रवाल द्वीप
- ये मुख्यतः उष्ण कटिबंधीय महासागरों में पाए जाने वाले प्रवाल भित्तियों द्वारा निर्मित छोटे आकार के द्वीप होते हैं।
- ये गहरे अवनमन को चारों ओर से घेरे रहते हैं।
- भारत का लक्षद्वीप प्रवाल द्वीप का सुंदर उदाहरण हैं
समुद्री टीला
- नुकीले शिखरों वाला एक पर्वत जो समुद्री तली से ऊपर की ओर उठता है परंतु महासागरों के सतह तक नहीं पहुंचता है, समुद्री टीला कहलाता है।
- ये ज्वालामुखी क्रिया द्वारा निर्मित होते है।
- प्रशांत महासागर स्थित एम्परर समुद्री टीला जो हवाईयन द्वीप का विस्तार है, इसका एक अच्छा उदाहरण है।
अंतःसागरीय कन्दरा
- महाद्वीपीय मग्नतट तथा मग्नढाल पर संकरी गहरी तथा खड़ी दीवार वाली घाटियों को महासागर के अंदर होन के कारण ‘अंतःसागरीय कन्दरा’ अथवा ‘कैनियन’ कहते है।
- हडसन कैनियन विश्व का सबसे चर्चित अंतःसागरीय कैनियन है जबकि स्थल भाग पर सबसे चर्चित कैनियन कोलोराडो नदी द्वारा निर्मित ग्रैंड कैनियन है।
निमग्न द्वीप
- यह चपटे शिखर वाले एक प्रकार के समुद्री टीले ही होते हैं।
- इनका निर्माण भी ज्वालामुखी क्रिया के परिणामस्वरूप ही होता है।
- अधिकांश निमग्न द्वीप प्रशांत महासागर में पाए जाते हैं।
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