2nd Grade
समाज के प्रकार
समाज के प्रमुख 3 प्रकार माने जाते हैं -
- जनजातीय
- कृषक
- औद्योगिक समाज
- एक जनजाति वह क्षेत्रीय मानव समूह है जो भू-भाग भाषा, सामाजिक नियम और आर्थिक कार्य आदि विषयों में एक सामान्यता के सूत्र में बंधा होता है।
- डॉ. रिवर्स ने जनजाति को ऐसे सरल प्रकार का सामाजिक समूह बताया है जिसके सदस्य एक सामान्य भाषा का प्रयोग करते हो तथा युद्ध आदि सामान्य उद्देश्यों के लिए सम्मिलित रूप से कार्य करते हो।
- रिवर्स के अनुसार - ‘जनजातियां प्रायः घुमन्तु या खानाबदोश होती है।’
- गिलिन और गिलिन के अनुसार: स्थानीय आदिम समूहों के किसी भी संग्रह को, जो एक सामान्य क्षेत्र में रहता हो, एक सामान्य भाषा बोलता हो और एक सामान्य संस्कृति का अनुसरण करता हो, एक जनजाति कहते हैं।
- डॉ. डी.एन. मजूमदार - ‘रेसेज एण्ड कल्चर ऑफ इण्डिया’ में
- ‘एक जनजाति परिवारों या परिवारों के समूह का संकलन होता है जिसका एक सामान्य नाम होता है, जिसके सदस्य एक निश्चित भू-भाग में रहते हैं, सामान्य भाषा बोलते हैं और विवाह, व्यवसाय या उद्योग के विषय में निश्चित निषेधात्मक नियमों का पालन करते हैं और पारस्परिक कर्त्तव्यों की एक सुविकसित व्यवस्था को मानते हैं।
- इम्पीरियल गजेटियर ऑफ इण्डिया - ‘ एक जनजाति परिवारों का एक संग्रह है जिसका एक नाम होता है जो एक बोली बोलती है, एक सामान्य भू-भाग पर अधिकार रखती हैं, जो प्रायः अन्तर्विवाह नहीं करती है।’
- रॉल्फ पिडिंग्टन - हम जनजाति की व्याख्या व्यक्तियों के एक समूह के रूप में कर सकते हैं, जोकि एक भाषा बोलता हो, एक भू-भाग में निवास करता हो तथा जिसकी संस्कृति में एक रूपता हो।
- हॉबल, हरस्कोबिट्स तथा क्रोबर ने जनजातियों की कुछ विशेषताओं का उल्लेख किया है जो निम्न है -
- सामान्य भू-भाग
- सामान्य भाषा
- सामान्य संस्कृति
- एक विशिष्ट नाम
- अन्तर्विवाह
- आर्थिक आत्मनिर्भरता
- सामान्य धर्म
- सामान्य निषेध
भारतीय जनजातियों के कुछ विशेष लक्षण पाए जाते हैं जो निम्न है -
- भाषा में लिपि का अभाव (बोडो तथा खासी को छोड़कर)
- बहुदेववाद
- युवागृह की मान्यता
- स्त्रियों एवं पुरूषों में आभूषण प्रेम
- स्त्रियों में गुदना अनिवार्य (अपवाद - बेड्डा)
- भित्ति चित्रों की परम्पराएं
- काला जादू
- झूम खेती
- आदिम जातियों के लिए जनजाति तथा कृषक का नामकरण आन्द्रेवित्तई ने किया है।
- खण्डीय सिद्धांतों के आधार पर जनजातियों का चित्रांकन बेली (भारतीय क्षेत्र में कार्य करने वाला एक मात्र मानवशास्त्री) ने किया।
- टी.बी. नायक, 1960 ने जनजातीय जीवन की कसौटियों तथा सूचकांकों की बात विशिष्ट रूप से भारतीय संदर्भ में की है।
- डॉ. रिचर्स जनजाति के लिए एक निश्चित भू-भाग को आवश्यक नहीं मानते हैं।
जनजातियों के नाम -
- जनजाति किसने कहा?
- पिछड़े हिन्दू जी.एस. घुरिये
- आदिवासी ठक्कर बापा, जयपाल सिंह
- आदिम जाति वारियर एल्विन
- गिरिजन एल.पी. विद्यार्थी
- जाति-जनजाति निरंतरता एफ.जी. बैली, सुरजीत सिंह
- भारत में कुल जनजातियां 573 हैं।
- मेघालय, नागालैण्ड, मिजोरम और लक्ष्यद्वीप की कुल आबादी का 80 प्रतिशत जनसंख्या जनजातियों का है।
- सबसे अधिक लम्बाई पेन्टागोनियन माओरी (न्यूजीलैण्ड) की होती है जो लगभग 6 फीट से अधिक होती है।
- सबसे छोटे बुशमैन 4.5 फीट से भी कम के होते हैं।
- भारत में गुजरात में भील सबसे लम्बे तथा मेघालय के लुशाई सबसे छोटे होते हैं।
- भारत में मध्यप्रदेश में जनजातियों की संख्या सर्वाधिक 1,53,99,039 हैं।
- जनजाति अपने सामाजिक जीवन की अभिव्यक्ति टोटम, युवागृह, जादू-टोने तथा धर्म द्वारा करती है।
- बी.एस.गुहा - भारतीय जनजातियों को प्रजातीय रचना की दृष्टि से तीन भागों में बांटा है -
- प्रोटो ऑस्ट्रेलॉइड
- मंगोलाइड़
- नीग्रेटो
भाषा के आधार पर -
- द्रविड़
- आस्ट्रिक
- तिब्बती-चीनी
युवागृह -
- वह स्थान जहां किसी योग्य व्यक्ति के निर्देशन में युवक-युवतियां भविष्य में आने वाली भूमिकाओं का समाजीकरण करते हैं।
- डॉरमेटरी - जनजातियों में ‘युवा संगठन’
असिस्टेंट प्रोफेसर का हल प्रश्न Solved Paper
जनजाति युवागृह
- भूइंया धनगरबासा
- भोटिया रंगबंग
- मुंडा तथा हो गिटियोरा
- मेमिस इखुची
- मूरिया, गोंड घोटूल
- नागा मोरंग
- ओरांव जोंकरेपा
- कोन्यक नागा बान
- ट्रोबि एंड द्विपवासी बुकुमाटुला
राज्य प्रमुख अनुसूचित जनजाति
- मध्यप्रदेश गौंड, भूरिया, बैगा, सहरिया, मारया
- राजस्थान भील, मीणा, सहरिया, डामोर
- मेघालय जयंतिया, खासी, गारो
- ओडिशा बोड़ो, खरिया, जुआंग, खोंड
- आंध्रप्रदेश चेंचू
- अडमान ओंगे
जनजातियों की समस्याओं से निपटने के उपाय -
वेरियर एल्विन तथा हाईमन डोर्फ - इनके द्वारा पृथक्करण की जनजाति नीति प्रतिपादित की गई जिसमें:
जनजातियों को हिन्दू समाज से पृथक बताया गया तथा ट्रिबल पार्क या नेशनल पार्क की अवधारणा प्रस्तुत की गई।
वेरियर एल्विन ने भारत में जनजातियों के विकास के लिए सरकार को ‘राष्ट्रीय उपवन’ का सुझाव दिया।
ठक्कर बापा तथा जी.एस. घुरिये - आत्मसातीकरण की नीति प्रतिपादित की।
एकीकरण की नीति - नेहरूजी
जनजातियों को हिन्दू समाज से पृथक बताया गया तथा ट्रिबल पार्क या नेशनल पार्क की अवधारणा प्रस्तुत की गई।
वेरियर एल्विन ने भारत में जनजातियों के विकास के लिए सरकार को ‘राष्ट्रीय उपवन’ का सुझाव दिया।
ठक्कर बापा तथा जी.एस. घुरिये - आत्मसातीकरण की नीति प्रतिपादित की।
एकीकरण की नीति - नेहरूजी
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