तमिल ग्रंथ (संगम साहित्य)


शिलप्पदिकारम् -
  • लेखक: इलांगोआदिलगल (चेर राजा सेनगुट्टुवन का भाई)
  • इसमें ‘कोवलन’ एवं ‘कण्णगी’ की कहानी है।
  • ‘शिलप्पदिकारम्’ का अर्थ है नूपुर की कहानी।
  • इसमें चोल, चेर एवं पाण्ड्य शासकों का वर्णन है। इसमें तमिल सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था की झलक मिलती है। इसमें श्रृंगार, करुण और वीर रस का प्रयोग किया गया है।
  • यह ग्रंथ वर्णनात्मक काव्य है।

मणिमेखलै -
  • सीतलै सत्तनार (मदुरै का एक बौद्ध व्यापारी)
  • इसमें ‘शिलप्पदिकारम्’ ग्रंथ के नायक कोवलन एवं उसकी दूसरी पत्नी माधवी (वेश्या) से उत्पन्न पुत्री ‘मणिमेखलै’ की कहानी है।
  • इसमें मानवता को महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया है। यह धार्मिक ग्रंथ अधिक हे और साहित्यिक कम।



जीवक चिन्तामणि -

  • लेखक - तिरुतक्कदेवर (जैन संत)
  • इसमें ‘जीवक’ नामक राजकुमार की कहानी है। इसमें गृहस्थ जीवन का वर्णन हे।
  • इसमें मुख्य रूप से श्रृंगार रस का प्रयोग है।


तिरुकुराल या कुराल -

  • लेखक - संत तिरुवल्लुवर।
  • यह लौकिक साहित्य हे। इसमें धार्मिक, आर्थिक और सामाजिक नीतियों का वर्णन है।


मणिमेखलै वेण्बा - 

  • लेखक - भारती दासन्।
  • इसमें मणिमेखलै और माधवी नामक नायिकाओं का चरित्र चित्रण है।


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