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Showing posts from November, 2018

किसने कहा था? भारत के साथ व्यापार रोम के लिए अपूर्णनीय क्षति है’

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स्तूप एवं चैत्य निर्माण के निर्देश तथा इनमें स्थापित करने के लिए बुद्ध के अवशेषों को लेकर विवाद का विवरण सर्वप्रथम मिलता है? - महापरिनिब्बान सुत्त में चैत्य तथा विहार में अंतर है - - चैत्य पूजा स्थल होता है जबकि विहार निवास स्थान होता है। भूमि स्पर्श मुद्रा की सारनाथ बुद्ध प्रतिमा सम्बन्धित है? - गुप्त काल से कुछ शैलकृत गुफाओं को चैत्य कहते हैं, जबकि अन्य को विहार। दोनों में क्या अंतर है? - चैत्य पूजा स्थल होता है जबकि विहार बौद्ध भिक्षुओं का निवास स्थान होता है। बुद्ध की खड़ी प्रतिमा किस काल में बनाई गई? - कुषाणकाल में निम्नलिखित स्थलों में कहां मनुष्य रूप में बुद्ध के प्रथम अंकन का मूर्ति-साक्ष्य प्राप्त हुआ है? - मथुरा गौतम बुद्ध की पूर्व जीवन कथाओं का सर्वप्रथम अंकन कहां की कला में किया गया था? - भरहुत स्तूप कौन सा बौद्ध पवित्र स्थल निरंजना नदी पर स्थित था? - बोध गया स्तूप से सम्बन्धित सही है - अ. धर्मचक्र ब. महाभिनिष्क्रमण स. सांड द. महापरिनिर्वाण उत्तर - द शाहजी की ढेरी के स्तूप में प्राप्त पुरावशेष धातु मंजूषा में किनके साथ बुद्ध की आसनस्थ आक...

बौद्ध स्तूप

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स्तूप का शाब्दिक अ​र्थ 'किसी वस्तु का ढेर या थूहा।'  जिसका निर्माण मृतक की चिता के ऊपर अथवा मृतक की चुनी हुई अस्थियों को रखने के लिए किया जाता था। स्तूपों को मुख्यत: चार भागों में विभाजित किया जा सकता है— शारीरिक स्तूप  ये प्रधान स्तूप होते थे, जिसमें बुद्ध के शरीर, धातु, केश और दंत आदि ​को रखा जाता था।  पारिभोगिक स्तूप इस प्रकार के स्तूपों में महात्मा बुद्ध द्वारा उपयोग की गई वस्तुओं जैसे— भिक्षापात्र, चीवर, संघाटी, पादुका आदि को रखा जाता था। उद्देशिका स्तूप इस प्रकार के स्तूपों का निर्माण बुद्ध के जीवन से जुड़ी घटनाओं की स्मृति से जुड़े स्थानों पर किया गया था।  पूजार्थक स्तूप ये ऐसे स्तूप होते थे जिनका निर्माण बुद्ध की श्रद्धा से वशीभूत धनवान व्यक्ति द्वारा तीर्थ स्ािानों पर होता था। स्तूप के प्रमुख हिस्से इस प्रकार होते हैं— वेदिका (रेलिंग)  इसका निर्माण स्तूप की सुरक्षा के लिए किया जाता था। मे​धी (कुर्सी)  वह चबूतरा जिस पर स्तूप का मुख्य हिस्सा आधारित होता था। अण्ड स्तूप का अर्ध गोलाकार हिस्सा होता था। हर्मिका स्तूप के शिखर पर अस्थि की सुरक्षा के लिए।...

राजस्थान में सशस्त्र क्रांति के जनक

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राजस्थान के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी राव गोपाल सिंह खरवा जन्म: 19 अक्टूबर, 1873 ई. में मेवाड़ रियासत के खरवा (अजमेर) ठिकाने में  राजस्थान में सशस्त्र क्रांति के जनक। केसरी सिंह बारहठ के साथ मिलकर 1903 ई. में वीर भारत सभा की स्थापना की। 1915 ई. देश व्यापी क्रांति की योजना बनाईं। मार्च 1939 को निधन। उनकी मृत्यु के बाद केसरी सिंह ने कहा -‘रह्यों लाल पांचाल में, महाराष्ट्र में बाल। रांजत राजस्थान में गौरवमय गोपाल’ अर्जुनलाल सेठी जन्म: 9 सितम्बर, 1880 ई. को जयुपर में जैन परिवार में  1906 ई. में जयपुर में शिक्षा प्रचारक समिति की स्थापना की। 1907 ई. में अजमेर में जैन वर्धमान पाठशाला की स्थापना की जिसे 1908 ई. में जयपुर स्थानान्तरित कर दी। पुस्तकें - शुद मुक्ति, स्त्री मुक्ति, मदन पराजय जयपुर महाराजा ने प्रधानमंत्री की नौकरी का प्रस्ताव दिया तब सेठीजी ने कहा -‘अर्जुन नौकरी करेगा तो अंग्रेजों को भारत से बाहर कौन निकालेगा।’ विजय सिंह पथिक जन्म: 24 मार्च, 1882 ई. गुंठावली कलां गांव, बुलंदशहर (उत्तरप्रदेश) मूल नाम - भूपसिंह राजस्थान में किसान आन्दोलन के ...

समाज शास्त्र की उत्पत्ति

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18वीं शताब्दी की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और बौद्धिक पृष्ठभूमि में यूरोप ने समाजशास्त्र के उद्गम में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्लेटो (427-347 ई.पू.) की सामाजिक विचारधारा प्लेटो ने अपनी पुस्तक ‘रिपब्लिक’ में लिखा है कि मानव व्यवहार उस समाज की उपज हें जिसमें एक व्यक्ति जन्म लेता है। व्यक्ति उसी प्रकार का व्यवहार करता है, जिस प्रकार से समाज उसे व्यवहार करना सिखाता है। प्लेटो के अनुसार सामाजिक स्तरीकरण का आधार जन्म नहीं होना चाहिए। प्लेटो लिंगभेद के आधार पर असमानता के सिद्धांत को अस्वीकार करते हैं। आपके अनुसार स्त्री एवं पुरुष के गुणों तथा सामर्थ्य में विशेष अन्तर नहीं है। उनके गुणों के अनुसार उन्हें पुरुष के समान ही शिक्षा एवं प्रशिक्षण देना चाहिए। प्लेटो ने एक आदर्श समाज की स्थापना के लिए शिक्षा के महत्त्व को स्वीकार करने पर बल दिया है। बीयरस्टीड - ‘समाजशास्त्र का अतीत तो बहुत लम्बा है, परन्तु इतिहास बहुत छोटा है।’ समाजशास्त्र की उत्पत्ति एक पृथक विज्ञान के रूप् में समाजशास्त्र की चर्चा सर्वप्रथम फ्रांसिसी विचारक अगस्ट कॉम्टे ने अपनी पुस्तक ‘ Positive Philosophy ...

भारत में समाजशास्त्र का विकास

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भारत विद्या अध्ययन परिप्रेक्ष्य (इंडोलॉजी) की स्थापना हुई। जिसकी मान्यता थी कि वर्तमान भारतीय समाज एवं संस्कृति का अध्ययन परंपरागत भारतीय दर्शन एवं शास्त्रीय ग्रंथों, महाकाव्यों के अध्ययन के आधार पर संभव है। इसका सर्वप्रथम प्रयास जी.एस. घुर्ये द्वारा किया गया। यही कारण है कि घुर्ये को ‘भारत में समाजशास्त्र का जनक’ कहा जाता है। ये बंबई विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र के पहले भारतीय अध्यापक थे। भारत में समाजशास्त्र की शुरूआत 20वीं शताब्दी से प्रारम्भ मानी जा सकती है। जब 1914 में बंबई विश्वविद्यालय में स्नातक स्तर पपर ऐच्छिक विषय के रूप में अर्थशास्त्र के साथ अध्ययन प्रारंभ हुआ। किन्तु  इसकी औपचारिक शुरूआत 1919 में हुई और बंबई विश्वविद्यालय में नागरिकशास्त्र के साथ संयुक्त विभाग (समाजशास्त्र का) स्थापित किया गया। पाश्चात्य समाजशास्त्री ‘सर पैट्रिक गेडिस’ (नगरीय समाजशास्त्री) को इसका प्रथम विभागाध्यक्ष बनाया गया और इस विषय की स्नातकोत्तर स्तर पर अध्ययन प्रारंभ हुआ बाद में जी.एस. घुर्ये यहां के विभागाध्यक्ष बने। बंबई के बाद 1921 में लखनऊ विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र की पढ़ा...

वाणिज्यवाद

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इतिहासकार हेज के अनुसार ‘ वाणिज्यवाद, सरकार की आर्थिक नीति विशेष रूप से व्यापार एवं वाणिज्यवाद को नियमित करने की नीति को प्रदश्रित करता है।’ इस प्रकार राज्य द्वारा प्रवर्धित एवं निर्देशित व्यापार-वाणिज्य की विचारधारा को ‘वाणिज्यवाद’ कहा गया है। वाणिज्यवाद के अन्तर्गत देश के राजकोष में अधिक से अधिक धन (स्वर्ण, चांदी) लाने की विचारधारा होती है, राष्ट्र की जनता के स्वस्थ एवं सम्पन्न होने की भी भावना इसमें निहित होती है ताकि युद्ध के अवसर पर राष्ट्र को योग्य व्यक्तियों की सेवायें प्राप्त हो सकें। वाणिज्यवाद को फ्रांस में ‘ कोलबर्टवाद ’, जर्मनी में ‘ केमरालिनवाद ’ एवं इंग्लैण्ड में ‘व्यापारवाद’ के नाम से जाना जाता था। वाणिज्यवाद के प्रमुख उद्देश्य थे - राष्ट्रीय समृद्धि राज्य की प्रतिष्ठा राज्य को स्वावलम्बी बनाना अन्य देशों की तुलना में अपने देश का व्यापार बढ़ाना देश को सैनिक रूप से शक्तिशाली बनाना वाणिज्यवाद के लिए अभूतपूर्व सांस्कृतिक जागरण, जिसे पुनर्जारण के नाम से जाना जाता है, उत्तरदायी था। धर्म सुधार आंदोलन ने वाणिज्यवाद का पथ प्रशस्त किया था। मुद्रा के प्रचल...

कैबिनेट मिशन 1946

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फरवरी 1946 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री एटली ने भारत में एक उच्चस्तरीय शिष्टमण्डल भेजने की घोषणा की। कैबिनेट मिशन 29 मार्च, 1946 को भारत आया। इसमें पैथिक लॉरेंस (भारत सचिव), स्टैफर्ड क्रिप्स (व्यापार बोर्ड के अध्यक्ष), तथा ए.वी. एलेक्जेन्डर (नौसेना मंत्री) शामिल थे। इस मिशन का उद्देश्य भारत को शांतिपूर्ण ढंग से सत्ता हस्तांतरण के लिए उपायों तथा संभावनाओं को तलाश करना तथा भारत के लिए संविधान तैयार करने के लिए शीघ्र ही एक कार्य प्रणाली तैयार करना और अंतरिम सरकार के लिए आवश्यक प्रबंध करना था। कैबिनेट मिशन ने समझौते का प्रयास करने के लिए शिमला में एक त्रिस्तरीय सम्मेलन बुलाया, जिसमें कांग्रेस और मुस्लिम लीग के तीन-तीन सदस्य शामिल हुए। कोइ्र समाधान नहीं निकलने पर मिशन ने 16 मई, 1946 को अपने प्रस्तावों की घोषणा की।  कैबिनेट मिशन के प्रस्ताव ब्रिटिश भारत तथा भारतीय राजाओ को मिलाकर एक संघीय सरकार (भारतीय संघ) के निर्माण की सिफारिश की गयी, जिसके पास रक्षा, विदेश तथा संचार विभाग रहेंगे तथा इन विभागों के लए धन एकत्र करने का अधिकार रहेगा। शेष विषय तथा शक्तियों राज्यों के पास रहेंग...

हिन्दी का पहला समाचार पत्र

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हिन्दी का पहला समाचार पत्र ‘उदन्त मार्तन्ड’ (30 मई, 1826) प्रकाशित होता था? - कोलकाता से किसने सर्वप्रथम सेन्सरशिप लागू की थी? - वेलेजली 1830 के दशक में ‘आंग्लिकों’ और ‘प्राच्यविदों’ के बीच हुई बहस की विशेषताएं - आंग्लिक संस्कृत और अरबी ग्रंथों के मुद्रण पर खर्च होने वाली धनराशि मे कमी करना चाहते थे - प्राच्यविद, अरबी और संस्कृत के विद्यार्थियों के लिए वृत्तिका चाहते थे। स्वतंत्रतापूर्व अवधि में ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत मे आधुनिक शिक्षा के प्रसार का मुख्य उद्देश्य था - छोटे प्रशासनिक पदों पर नियुक्ति हेतु शिक्षित भारतीयों की आवश्यकता कैबिनेट मिशन के भारत आगमन के समय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष कौन था? - मौलाना अबुल कलाम आजाद निम्नलिखित में से कौन भारतीय संविधान की संविदा समिति का सदस्य नहीं था? अ. अल्लादि कृष्णास्वामी अय्यर ब. एन. गोपालस्वामी अय्यर स. के. एम. मुंशी द. एस.एन. मुखर्जी उत्तर - द किसने वायसराय की एक्जूीक्यूटिव काउन्सिल के पुनर्गठन का सुझाव दिया, जिसमे वॉर मेम्बर सहित सभी विभाग भारतीय नेताओं द्वारा धारण किए जाने थे? - कैबिनेट मिशन जवाहरलाल न...

केशवानंद बनाम केरल राज्य

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संसद और मूल अधिकार गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य, 1967 के मामले तक उच्चतमक न्यायालय का यह मत था कि संविधान का ऐसा कोई भाग नहीं है जिसका संशोधन संसद संविधान के अनुच्छेद-368 के अधीन नहीं कर सकती। किन्तु गोलकनाथ के मामले में न्यायालय ने कहा कि चूंकि मौलिक अध्ािकारों को संविधान में सर्वोच्च स्थिति दी गयी है, अतः संविधान के अधीन काम करने वाला कोई प्राधिकारी, अनुच्छेद-368 सहित मूल अधिकारों में संशोधन करने में सक्षम नहीं है। 24वें संविधान संशोधन 1971 द्वारा यह स्पष्ट किया गया कि अनुच्छेद 368 के अधीन संशोधन की शक्ति का प्रयोग करते हुए संसंद मूल अधिकारों में भी संशोधन कर सकती है। केशवानंद बनाम केरल राज्य, 1973 के विवाद में सर्वोच्च न्यायालय जहां एक ओर 24वें संशोधन अधिनियम की विधिमान्यता को स्वीकार कर गोलकनााि के अपने ऐतिहासिक निर्णय को बदल दिया वहीं दूसरी ओर यह भी स्पष्ट कर दिया कि संविधान के आधिकारिक लक्षणों में कोई संशोधन नहीं किया जा सकता। 42वें संविधान संशोधन 1976 द्वारा अनुच्छेद 368 में खंड 4 और 5 स्थापित करके यह स्पष्ट किया गया कि संविधान संशोधन करने की अनुच्छेद 368 के तहत अनन्य शक्त...

मूल अधिकारों का वर्गीकरण

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संविधान के मूल अधिकारों का सात समूहों में वर्गीकरण किया गया है। समता का अधिकार - अनुच्छेद 14 से 18 स्वतंत्रता अधिकार - अनुच्छेद 19 से 22 तक  शोषण के विरुद्ध अधिकार - अनुच्छेद 23 से 24 तक धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार - अनुच्छेद 25 से 28 तक संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार - अनुच्छेद 29 से 30 तक  संपत्ति का अधिकार - अनुच्छेद 31 (मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता सरकार ने 44वें संशोधन अधिनियम 1978 के द्वारा अनुच्छेद 19 (1) च और 31 का एक महत्त्वपूर्ण मूल अधिकार, संपत्ति अर्जन, को लोप कर दिया।) संवैधानिक उपचारों का अधिकार - अनुच्छेद 32 मूल अधिकारों की उपलब्धता के आधार पर वर्गीकरण भारत भूमि पर सभी को उपलब्धत मूल अधिकार विधि के समक्ष समता और विधि का समान संरक्षण - अनुच्छेद 14 विधि के अधीन दोष के संबंध में संरक्षण - अनु. 20 प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण - अनु. 21 शोषण के विरुद्ध अधिकार - अनु. 23 धार्मिक स्वतंत्रता - अनु. 25 किसी धर्म की अभिवृद्धि में करों में संदाय से स्वतंत्रता - अनु. 27 राज्य की शिक्षा संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा या धार्मिक उपासना में...

अफ्रीका महाद्वीप: विश्व का सबसे गर्म स्थल

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अफ्रीका महाद्वीप एशिया के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा महाद्वीप है। इस महाद्वीप में 54 देश हैं। अफ्रीका महाद्वीप को विश्व का काला/अंध महाद्वीप भी कहा जाता है। अफ्रीका का ज्वालामुखी पर्वत किलिमंजारो है। अफ्रीका महाद्वीप में अबीसीनिया का पठार व दक्षिणी अफ्रीका का पठार स्थित है। अफ्रीका की प्रमुख नदियों में नील, कांगो, नाइजर, जैम्बेजी है। अफ्रीका की प्रमुख झीलों में विक्टोरिया, एल्बर्ट, एडवर्ड, किवु, टांगानिका, न्यासा (मलावी), रुडोल्फ, वोल्टा, चाड आदि है। अफ्रीका के प्रमुख बंदरगाहों में काहिरा, सिकन्दरिया, त्रिपोली, अल्जीरियर्स, दार-ए-बीदा, डाकर, लागोस, लुआन्डा, केपटाउन, पोर्ट ऐलिजाबेथ, डरबन, मापुतो, बीरा, मोम्बासा, मोगादिशु पोर्ट सूडान, मोसावा इत्यादि है। अफ्रीका में विश्व का सबसे गर्म स्थल अल-अजीजीयाह (लीबिया) स्थित है जिसका तापमान 3 सितम्बर, 1992 को 58 डिग्री सेल्सियस अंकित किया गया था। अफ्रीका की प्रीमियर खान, प्रोटोरिया (दक्षिण अफ्रीका) में 25 जनवरी 1905 को विश्व का सबसे विशाल हीरा (3,106 कैरेट) मिला था, जिसका नाम इसके खोजने वाले सर थॉमस कुलिनान के नाम पर कुलिनान हीरा रखा...

एशिया महाद्वीप: विश्व की सबसे गहरी झील

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एशिया महाद्वीप के महत्त्वपूर्ण तथ्य एशिया विश्व का सर्वाधिक क्षेत्रफल वाला तथा सर्वाधिक जनसंख्या वाला महाद्वीप है। एशिया महाद्वीप में अति प्राचीन युग के स्थलखण्ड अंगारालैण्ड (रूस) और गोंडवानालैण्ड (दक्षिण भारत) स्थित है। एशिया में विश्व की सबसे ऊंची पर्वत शिखर एवरेस्ट 8,848 मीटर हिमालय पर्वत श्रेणियों में स्थित है। एशिया में विश्व का सबसे ऊंचा पठार ‘पामीर’ है, जिसकी औसत ऊंचाई 5,000 मीटर है। इसी कारण पामीर को ‘विश्व की छत’ कहते हैं। एशिया में विश्व की सबसे गहरी झील ‘बैकाल’ झील स्थित है। एशिया में विश्व की सबसे बड़ी झील ‘कैस्पियन’ सागर है। 1984 के सर्वेक्षण से ज्ञात हुआ है कि एशिया में विश्व की सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित खारे पानी की झील पिंच पोखरी झील है, जो हिमालय क्षेत्र में स्थित है। इसकी ऊंचाई 5,414 मीटर है। एशिया महाद्वीप में तीन प्रमुख प्रायद्वीप - अरब का प्रायद्वीप, दकन का प्रायद्वीप और इण्डोचीन का प्रायद्वीप।  अरब का प्रायद्वीप विश्व का सबसे बड़ा प्रायद्वीप है। एशिया महाद्वीप में फिलीपीन्स द्वीपसमूह के पास विश्व का सबसे गहरा सागरीय गर्त प्रशान्त महासागर में मेरिय...

नदियों के किनारे स्थित विश्व के महत्त्वपूर्ण नगर

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नगर    देश नदी कराकास वेनेजुएला ओरनीको काबुल   अफगानिस्तान काबुल   खारतूम सूडान व्हाइट तथा ब्लू नील का संगम अल कैरो (काहिरा) मिस्र    नील मैड्रिड स्पेन    मैजेनसेस सिडनी ऑस्ट्रेलिया डार्लिंग यांगून   म्यान्मार इरावदी टोकियो जापान अराकुवा वारसा पौलैण्ड विश्चुला मनाओस ब्राजील अमेजन सेण्ट लुई सं. राज्य अमेरिका मिसीसीपी बेलग्रेड यूगोस्लाविया डेन्यूब बुडापेस्ट       हंगरी डेन्यूब वियना ऑस्ट्रिया डेन्यूब बगदाद इराक टिग्रिस (दजला) रोम इटली टाइबर न्यूयार्क यूएसए हडसन लाहौर पाकिस्तान रावी कराची पाकिस्तान सिन्धु पेरिस   फ्रांस सीन ल...