बीकानेर के राठौड़ राजवंश


राव बीका (1465-1504 ई.)

  • राव बीका मारवाड़ के राव जोधा के 5वें पुत्र थे। राव बीका ने करणी माता (बीकानेर के राठौड़ों की कुल देवी) के आशीर्वाद से 1456 ई. में जांगल प्रदेश को जीतकर बीकानेर में राठौड़ वंश की स्थापना की। 
  • 1468 ई. में राव बीका ने बीकानेर नगर बसाया। 
राव लूणकरण 1505-1526 ई.

  • बीठू सूजा द्वारा रचित ‘राव जैतसी रो छन्द’ में रावलूणकरण को 'कलियुग का कर्ण' कहा है।
  • ‘कर्मचंद्र वंशोत्कीर्तनक काव्यम्’ में उसकी दानशीलता की तुलना कर्ण से की गई है।
  • 1526 ई. में इसने नारनौल के नवाब पर आक्रमण कर दिया परंतु द्यौसा नामक स्थान पर हुए युद्ध में लूणकरण वीरगति को प्राप्त हुआ।
  • बीकानेर में लूणकरणसर झील का निर्माण करवाया।

राव जैतसी 1526-1542 ई.

  • राव जैतसी के समय लाहौर शासक कामरान ने भटनेर दुर्ग (हनुमानगढ़) पर आक्रमण कर उस पर अधिकार करके राव जैतसी को अधीनता स्वीकार करने के लिए कहा परंतु उसने अपनी बड़ी सेना के साथ 26 अक्टूबर, 1534 को अचानक कामरान पर आक्रमण कर दिया और उसे गढ़ छोड़ने के लिए बाध्य कर दिया।
  • 1527 ई. में खानवा के युद्ध में राव ने अपने पुत्र कुँवर कल्याण मल को भेजा। 
  • युद्ध का वर्णन - बीठू सूजा द्वारा रचित ‘राव जैतसी रो छन्द’ में किया गया।


पाहेबा-साहेबा का युद्ध -1541 ई. में 

  • राव जैतसी और मालदेव के बीच, जिसमें मालदेव की विजय हुई। 
  • जैतसी युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुआ।
  • इस युद्ध के बाद राव जैतसी का पुत्र कल्याणमल शेरशाह सूरी की शरण में चला गया।

कल्याणमल 1544-1574 ई.

गिरी-सुमेल का युद्ध 1544 ई.

  • जनवरी 1544 में शेरशाह सूरी और मालदेव के बीच हुआ जिसमें शेरशाह विजयी हुआ।
  • कल्याणमल ने शेरशाह सूरी का साथ दिया जिससे पुनः बीकानेर का शासन उसे मिला।
  • नागौर दरबार (1570ई.) में अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली और अपनी पुत्री विवाह अकबर से किया।
  • इसके दो पुत्र थे - रायसिंह राठौड़ (अकबर ने 1572 ई. मे रायसिंह को जोधपुर की देखरेख हेतु उसे प्रतिनिधि बनाकर भेज दिया) और पृथ्वीराज राठौड़


पृथ्वीराज राठौड़ - 
  • उच्चकोटि का कवि था। 
  • अकबर ने उसको गागरोन का किला जागीर में दिया था।
  • इन्होंने ‘बेलि क्रिसन रूकमणी री’ रचना की।
  • कवि आढ़ ने इस रचना को पांचवा वेद एवं 19वां पुराण कहा है।
  • इतालवी कवि डॉ. तेस्सितोरी ने कवि पृथ्वीराज राठौड़ को ‘डिंगल का होरेस’ कहा है।


महाराजा रायसिंह 1574- 1612 ई.
  • आमेर रियासत के बाद मुगलों से सबसे अच्छे सम्बन्ध थे।
  • 1570 ई. में नागौर दरबार में अकबर ने जोधपुर का शासक नियुक्त किया।
  • तीन मुगल शासकों की सेवा की - अकबर, जहांगीर और शाहजहां
  • काठोली की लड़ाई - 1572 ई.
  • रायसिंह और हुसैन कुली मिर्जा के बीच। जिसमें रायसिंह विजयी हुआ।
  • 1574 ई. में राव चन्द्रसेन पर आक्रमण किया।
  • 1576 ई. में ताज खां को पराजित किया।
  • अकबर ने इसे 4000 हजार की मनसब प्रदान की थी।
  • जहांगीर 1065 ई. में मुगल सम्राट बना तो उसे 5000 मनसब प्रदान की।
  • मुंशी देवी प्रसाद ने रायसिंह को ‘राजपूताने का कर्ण’ कहा।
  • रायसिंह ने अपने मंत्री कर्मचन्द की देखरेख में बीकानेर में जूनागढ़ दुर्ग का निर्माण करवाया तथा दुर्ग में रायसिंह प्रशस्ति उत्कीर्ण करवाई।
  • कर्मचन्द वंशोत्कीर्तन काव्यम में रायसिंह को 'राजेन्द्र' कहा।
  • दक्षिणी अभियान पर उनकी 1612 ई. में बुरहानपुर में मृत्यु हो गई।

कर्णसिंह 1631-1669 ई.
  • मुगल शासकों द्वारा जांगलधर बादशाह की उपाधि प्रदान की गई।
  • बीकानेर में अपनी कुल देवी करणी माता के मंदिर का निर्माण करवाया।
  • दरबारी कवि गंगानंद मैथिली द्वारा साहित्य कल्पद्रुम की रचना की गई।

मतीरे की राड़ युद्ध 1644 ई. में
  • कर्णसिंह और अमरसिंह राठौड़ (नागौर) के बीच। जिसमें अमरसिंह राठौड़ की विजय हुई।

अनूपसिंह 1669-1698 ई.
  • बीकानेर चित्रशैली का स्वर्ण काल
  • अनूपसिंह के समय आनंदराम ने गीता का राजस्थानी में अनुवाद किया था।
  • दरबारी कवि भावभद्र की सहायता से बीकानेर में अनूपविलास पुस्तकालय का निर्माण किया।
  • औरंगजेब द्वारा अनूपसिंह को महाराजा व महाभरातिव की उपाधि प्रदान की।

सरदार सिंह
  • 1857 ई. की क्रांति के समय बीकानेर के शासक था। राजस्थान का एकमात्र शासक जिसने रियासत से बाहर जाकर अंग्रेजों का साथ दिया।

गंगासिंह 1887-1943 ई.
  • आधुनिक भारत का भागीरथ व राजपूताने का भागीरथ कहा जाता है।
  • बीकानेर में गंगासिंह विश्वविद्यालय का निर्माण करवाया।
  • प्रथम विश्वयुद्ध में गंगा रिसाला सेना के साथ भाग लिया।
  • वर्साय शांति सम्मेलन में भाग लिया।
  • 1921 में इनके प्रयत्नों से नरेन्द्र मण्डल की स्थापना तथा प्रथम चासंलर बने।
  • 1927 ई. में गंगनहर का निर्माण करवाया।
  • रियासतों के प्रतिनिधित्व के रूप तीनो गोलमेज (प्रथम 1930, द्वितीय 1931 और तृतीय 1931 ई. लन्दन में) सम्मेलनों में भाग लिया।

शार्दुल विक्रमसिंह 1943-1949 ई.
  • राजस्थान के एकीकरण के समय बीकानेर के शासक थे।

किशनगढ़ रियासत
  • स्थापना - 1609 ई. को जोधपुर शासक मोटा राजा उदयसिंह के पुत्र किशनसिंह ने की।
  • जहांगीर द्वारा यहां के शासक को महाराज का खिताब दिया गया।
  • प्रसिद्ध राजा सावंतसिंह था जिसने राजपाठ छोड़ वृंदावन चले गये और नागरीदास के नाम से प्रसिद्ध हुए।
  • अपनी प्रेयसी की याद में निहालचंद द्वारा बणी-ठणी चित्र बनाया। इसे एरिक डिक्सन ने भारत की मोनालिसा कहा था।

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