Psychology
फ्रायड की मनोशारीरिक संयोजन की अवस्थाएं
फ्रायड ने व्यक्ति की मनोशारीरिक संयोजन की तीन अवस्थाएं बताई हैं -
ईड़ या इद्म -
- यदि एक व्यक्ति की शारीरिक इच्छाएं उसकी मानसिक स्तर पर हावी हो तो इस विशिष्ट स्थिति को ईड कहते हैं।
- यह शारीरिक व जन्मजात होती है।
- एक अपराधी व्यक्ति में एवं बचपन में अधिक होती है।
परम अह्म (सुपर इगो) -
- जब एक व्यक्ति का मानसिक स्तर उसकी शारीरिक इच्छाओं पर हावी हो अर्थात् एक व्यक्ति का मानसिक स्तर इतना ज्यादा हो कि उसकी शारीकि इच्छाओं का दमन करता हो।
- यह मानसिक तथा वृद्धावस्था में अधिक होता है।
- ऋषियों, मुनियों में अधिक।
अह्म (इगो)
- जब एक व्यक्ति की शारीरिक इच्छा और मानसिक स्तर के मध्य संतुलन की स्थिति होती है तो इस विशिष्ट मनोशारीरिक स्थिति को EGO कहते हैं।
- यह एक सामाजिक व्यक्ति में अधिक होता है।
- एक व्यस्क व्यक्ति एवं समायोजित व्यक्ति में अह्म की स्थिति अधिक होती है।
नोट: -
- यदि एक व्यक्ति का इड (ID) सुपर इगो (Super Ego) पर हावी है तो व्यक्ति अपराधी प्रवृत्ति का होगा।
- यदि व्यक्ति का सुपर इगो, इड पर हावी है तो व्यक्ति की इच्छाओं का दमन होगा।
- यदि एक व्यक्ति के इड एवं सुपर इगो के मध्य संतुलन नहीं है तो व्यक्ति कुसमायोजित होगा।
- यदि एक व्यक्ति के इड एवं सुपर इगो के मध्य संतुलन है तो वह समायोजित होगा और एक समायोजित व्यक्ति में इगो अधिक होता है।
- यह करो, यह न करो - इगो का उदाहरण है।
- यह करो और यह भी करो - इड
- यह भी न करो और यह भी न करो - सुपर इगो।
Post a Comment
0 Comments