History
महाराष्ट्र में भक्ति आंदोलन
- ज्ञानेश्वर या ज्ञानदेव महाराष्ट्र के प्रारम्भिक भक्ति संत ज्ञानेश्वर का अभ्युदय 13वीं शताब्दी म्रें हुआ। इन्होंने मराठी भाषा में भगवतगीता पर ज्ञानेश्वरी नामक टीका लिखी, जिसकी गणना संसार की सर्वोत्तम रहस्यवादी रचनाओं में की जाती है।
नामदेव -
- जन्म दर्जी परिवार में हुआ। अपने प्रारम्भिक जीवन में ये डाकू थे।
- नामदेव पण्डरपुर के बिठोवा के परम भक्त थे। बारकरी सम्प्रदाय के रूप में प्रसिद्ध विचारधारा की गौरवशाली परम्परा की स्थापना में इनकी मुख्य भूमिका रही।
- इनके कुछ गीतात्मक प्द्य गुरुग्रंथ साहिब में संकलित है। इन्होंने कुछ भक्ति परक मराठी गीतों की रचना की, जो अभंगों के रूप में प्रसिद्ध है।
- नामदेव ने कहा था ‘एक पत्थर की पूजा होती है, तो दूसरे को पैरों तले रौंदा जाता है। यदि एक भगवान है, तो दूसरा भी भगवान है।’
रामदास -
- जन्म: 1608 ई. में हुआ।
- इन्होंने 12 वर्षों तक पूरे भारत का भ्रमण किया। ये शिवाजी के आध्यात्मिक गुरु थे। इन्होंने अपनी अति महत्त्वपूर्ण रचना दसबोध में आध्यात्मिक जीवन के समन्वयवादी सिद्धांत के साथ विविध विज्ञानों एवं कलाओं के अपने विस्तृत ज्ञान को संयुक्त रूप से प्रस्तुत किया।
तुकाराम -
- तुकाराम शुद्र जाति के थे और शिवाजी के समकालीन थे। इन्होंने शिवाजी द्वारा दिये गये विपुल उपहारों की भेंट को लेने से इन्कार कर दिया।
- इनकी शिक्षाएं अभंगों के रूप में संगृहीत हैं, जिनकी संख्या हज़ारों में थी।
- तुकाराम ने हिन्दू-मुस्लिम एकता पर बल दिया तथा बारकरी पंथ की स्थापना की।
एकनाथ -
- इनका जन्म पैठण (औरंगाबाद) में हुआ था। इन्होंने जाति एवं धर्म में कोई भेदभाव नहीं किया।
भक्तिकाल के प्रमुख संत, उनके सम्प्रदाय एवं मत
- शंकराचार्य - स्मृति सम्प्रदाय - अद्वैतवाद, 9वीं शताब्दी
- रामानुज - श्री सम्प्रदाय - विशिष्टाद्वैतवाद, 12वीं शताब्दी
- निम्बार्क - सनक सम्प्रदाय - द्वैताद्वैतवाद, 12वीं शताब्दी
- माध्वाचार्य - ब्रह्म सम्प्रदाय - द्वैतवाद, 13वीं शताब्दी
- विष्णु स्वामी या वल्लभाचार्य - रुद्र सम्प्रदाय - शुद्धाद्वैतवाद, 15वीं शताब्दी
- चैतन्य महाप्रभु - गौडीय सम्प्रदाय
- कबीर दास - कबीर पंथ - विशुद्ध द्वैतवाद,
- नानक - सिक्ख सम्प्रदाय
- दादू दयाल - दादूपंथ/ निपख सम्प्रदाय
- तुकाराम - बारकरी सम्प्रदाय
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