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नार्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (NATO)
NATO
सोवियत संघ द्वारा साम्यवादी प्रसार -
संयुक्त राष्ट्र संघ की कार्यक्षमता पर अविश्वास -
- नार्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन ‘नाटो’)
- संस्थापक सदस्य देश (1949 ई.)
- बेल्जियम, कनाड़ा, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, यूनाइटेड किंगडम (इंगलैण्ड), संयुक्त राज्य अमेरिका।
- जनरल लॉर्ड इस्मे 1952-57
- पॉल-हेनरी स्पाक 1957-61
- नाटो के वर्तमान महासचिव जेन्स स्टोल्टेनबर्ग (Jens Stoltenberg) है।
- नाटो का गठन 4 अप्रैल, 1949 को अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन में किया गया।
- यहां 12 पश्चिमी देशों - बेल्जियम, कनाड़ा, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, यूनाइटेड किंगडम (इंगलैण्ड), संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रतिनिधियों ने नाटो संधि पर हस्ताक्षर किये।
- 18 फरवरी, 1952 को सम्मिलित देश -
तुर्की, एवं ग्रीस - नाटो 9 मई, 1955 ई. को सम्मिलित देश -
जर्मनी - 30 मई, 1982 को सम्मिलित देश -
स्पेन - 17 मार्च, 1999 को सम्मिलित देश -
चेक गणराज्य, हंगरी, पोलैण्ड - 29 मार्च, 2004 को सम्मिलित देश -
बुल्गारिया, एस्टोनिया, लाटविया, लिथुआनिया, रोमानिया, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया। - 2009 को को सम्मिलित देश -
अल्बानिया और क्रोएशिया। - वर्तमान में नाटो में कुल 28 सदस्य देश हैं।
- नाटो संधि को मूल रूप से 20 वर्षों के लिए बनाया गया था, किंतु 1969 में इसकी अवधि 20 वर्षों के लिए बढ़ा दी गयी। प्रत्येक 10 वर्ष बाद संधि पर पुनर्विचार किया जाता है।
- नाटो में सम्मिलित सदस्य देश यूरोप के विभिन्न क्षेत्रों से हैं। भू-भाग, जनसंख्या, प्राकृतिक संपदा, औद्योगिक संपदा, ऐतिहासिक अनुभवों तथा राजनीतिक परंपराओं की दृष्टि से उनमें भिन्नता है।
- फिर भी वे अमेरिका के नेतृत्व में एक सैनिक गठजोड़ के एकता सूत्र में बंध गये।
- नाटो के निर्माण के पीछे प्रमुख रूप से निम्न कारक एवं उद्देश्य थे -
- द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाटो के समस्त सदस्य देशों ने भौतिक, आर्थिक, राजनीतिक तथा भावनात्मक रूप से अनेक नुकसान उठाये।
- दूसरी तरफ सोवियत संघ द्वारा उन पर वर्चस्व स्थापित करने का खतरा मौजूद था। ऐसी स्थिति में शक्तिशाली अमेरिका ही उनके लिए आशा की एकमात्र किरण था, जो उनके आर्थिक पुनर्निर्माण की सबसे बड़ी आवश्यकता को पूरा करने में सक्षम था।
सोवियत संघ द्वारा साम्यवादी प्रसार -
- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ ने पूर्वी यूरोप से अपनी सेनाएं हटाने से इंकार कर दिया। उसने वहां साम्यवादी सरकार स्थापित करने के प्रयत्न किये। अमेरिका ने इसका लाभ उठाकर साम्यवाद विरोधी नारा दिया। फलस्वरूप यूरोपीय देश नाटो में सम्मिलित हो गये।
संयुक्त राष्ट्र संघ की कार्यक्षमता पर अविश्वास -
- संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना विश्व शांति एवं सुरक्षा स्थापित करने के उद्देश्य के साथ 1945 में हुई। परंतु पश्चिमी देशों ने महसूस किया कि यह अंतर्राष्ट्रीय संगठन आक्रमणकारी राष्ट्र से उनकी सुरक्षा नहीं कर पायेगा। इसी ने उन्हें नाटो सदस्य बनने के लिए प्रेरित किया।
- वर्तमान में नाटो एक मजबूत संगठन है। पहलेे इसका मुख्यालय फ्रांस की राजधानी पेरिस में था, किंतु वर्ष 1966 में फ्रांस द्वारा नाटो की सदस्यता त्यागने के बाद, अब यह ब्रूसेल्स, बेल्जियम में है।
- नाटो विशेषकर सोवियत खेमे तथा गुट निरपेक्ष देशों की आलोचना का शिकार रहा है। जहां एक ओर साम्यवादी देश इसे अपने खिलाफ समझते थे, वहीं गुट निरपेक्ष देश किसी भी सैनिक गुटबाजी में बंधकर अपनी विदेश नीति की स्वतंत्रता नहीं खोना चाहते थे।
- इसके बावजूद नाटो आज भी कायम है, क्योंकि सदस्य राष्ट्र अभी भी उसे अपनी सुरक्षा व विकास के लिए उपयोगी मानते हैं। किंतु अब इस संगठन के देशों में पहले जितनी एकता नहीं दिखायी देती।
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