Rajasthan GK
राजस्थान के पशु मेले
- पशुपालकों को अपने पशुओं को बचने-खरीदने के लिए बेहतर पशु विपणन सुविधा उपलब्ध करवाना।
- पशुधन को अधिक समृद्ध एवं उन्नतिशील बनाने की ओर पशुपालकों का ध्यान आकृष्ट करना।
- पशु प्रतियोगिताओं के आयोजन द्वारा पशुपालकों को समृद्ध एवं उन्नत नस्ल के पशु रखने की ओर प्रेरित करना एवं उस दिशा में पशुपालकों का उत्साहवर्धन करना।
- राजस्थान के हर साल पशु मेलों का आयोजन किया जाता है जो लोकदेवता के नाम पर या किसी धार्मिक उत्सव पर आयोजित होते हैं। इन पशु मेलों में भारतीय संस्कृति की झलक देखने को मिलती है।
- समय: फरवरी महीने में (माघ)
- सम्पूर्ण भारत में विख्यात नागौरी नस्ल के बैल इस पशु में आते हैं। यह मेला नागौर ज़िला मुख्यालय पर प्रतिवर्ष माघ शुक्ल एकम से पूर्णिमा तक आयोजित किया जाता है। यह अपनी लोक परम्पराओं के प्रसिद्ध है।
- फरवरी महीने में।
- सप्ताह भर चलने वाले इस मेले में शामिल होने के लिए राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश एवं मध्यप्रदेश से भी पशुपालक आते हैं।
- मार्च- अप्रैल महीने (चैत्र एकादशी)
- वीर योद्धा रावल मल्लीनाथ जी की याद में आयोजित पशु मेले का आयोजन प्रतिवर्ष चैत्र कृष्ण एकादशी से चैत्र शुक्ल एकादशी तक किया जाता है।
- इस पशु मेले में कांकरेज नस्ल के बैल, मालानी नस्ल के घोड़े और ऊंटों की बिक्री जोर-शोर से की जाती है।
- प्रतिवर्ष लोकप्रिय किसान नेता श्री बलदेव राम मिर्धा की याद में यह मेला हर साल चैत्र शुक्ल एकम् से चैत्र शुक्ल पूर्णिमा तक आयोजित किया जाता है।
- कृषि कार्यों के और गौरक्षक देवता के रूप में लोकदेवता वीर तेजाजी की याद में परबतसर में उत्तर भारत का प्रसिद्ध पशु मेला आयोजित किया जाता है।
- यह मेला प्रतिवर्ष श्रावण शुक्ल पूर्णिमा से भाद्रपद अमावस्या तक लगता है।
- प्रतिवर्ष श्रावण शुक्ल पूर्णिमा से भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा (अगस्त-सितम्बर) तक।
- प्रसिद्ध गोगामेड़ी नोहर तहसील में पड़ता है जहा भारी तादाद में ऊंटों की खरीद फरोख्त होती है।
- अक्टूबर में।
- प्रतिवर्ष आश्विन शुक्ल पंचमी से आश्विन शुक्ल चर्तुदशी तक आयोजित किया जाता है।
- उत्तरप्रदेश से सटा भतरपुर बृजलोक की संस्कृति और साहित्य के उत्थान में भी अपना अमूल्य योगदान देता रहा है।
- मेले में खेलकूद प्रतियोगिताएं एवं विशाल कुश्ती दंगल के साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों के तहत नौटंकी, कव्वाली एवं कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया जाता है।
- ब्रह्मा जी ने पुष्कर में कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूर्णिमा तक यज्ञ किया था, जिनकी स्मृति में अनादिकाल से यहां कार्तिक मेला लगता आ रहा है।
- प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ल एकादशी से मार्गशीर्ष कृष्ण पंचमी तक झालावाड़ ज़िले के झालरापाटन नामक नगर से गुजरने वाली चन्द्रभागा नदी के किनारे पर श्री चन्द्रभागा पशु मेला आयोजित होता है।
- यहां देशी-विदेशी पर्यटक, पशुपालक और किसान आते हैं।
- मालवी नस्ल के बैल इस मेले का प्रमुख आकर्षण हैं।
Post a Comment
0 Comments