Indian History
बौद्ध स्तूप
स्तूप का शाब्दिक अर्थ 'किसी वस्तु का ढेर या थूहा।'
जिसका निर्माण मृतक की चिता के ऊपर अथवा मृतक की चुनी हुई अस्थियों को रखने के लिए किया जाता था।
स्तूपों को मुख्यत: चार भागों में विभाजित किया जा सकता है—
शारीरिक स्तूप
ये प्रधान स्तूप होते थे, जिसमें बुद्ध के शरीर, धातु, केश और दंत आदि को रखा जाता था।
पारिभोगिक स्तूप
इस प्रकार के स्तूपों में महात्मा बुद्ध द्वारा उपयोग की गई वस्तुओं जैसे— भिक्षापात्र, चीवर, संघाटी, पादुका आदि को रखा जाता था।
उद्देशिका स्तूप
इस प्रकार के स्तूपों का निर्माण बुद्ध के जीवन से जुड़ी घटनाओं की स्मृति से जुड़े स्थानों पर किया गया था।
पूजार्थक स्तूप
ये ऐसे स्तूप होते थे जिनका निर्माण बुद्ध की श्रद्धा से वशीभूत धनवान व्यक्ति द्वारा तीर्थ स्ािानों पर होता था।
स्तूप के प्रमुख हिस्से इस प्रकार होते हैं—
वेदिका (रेलिंग)
इसका निर्माण स्तूप की सुरक्षा के लिए किया जाता था।
मेधी (कुर्सी)
वह चबूतरा जिस पर स्तूप का मुख्य हिस्सा आधारित होता था।
अण्ड
स्तूप का अर्ध गोलाकार हिस्सा होता था।
हर्मिका
स्तूप के शिखर पर अस्थि की सुरक्षा के लिए।
छत्र
धार्मिक चिह्न का प्रतीक
यष्टि
छत्र को सहारा देने के लिए होता था।
सोपान
मेधी पर चढ़ने व उतरने के लिए सीढ़ी का निर्माण।
सांची का स्तूप
- विदिशा (मध्य प्रदेश) में स्थित यह स्तूप भारत का सबसे महत्त्वपूर्ण स्तूप है। इसका निर्माण अशोक के काल में हुआ था।
- शुंग वंश के शासन काल में इसका आकार दुगुना कर दिया गया।
- सातवाहन शासक शातकर्णि ने भी यहां कु निर्माण कार्य करवाये थे।
- इसकी चौखट पर बुद्ध के जीवन की चार प्रमुख घटनाएं - जन्म, ज्ञान प्राप्ति, धर्मचक्र प्रवर्तन तथा मृत्यु के चित्र अंकित है।
भरहुत स्तूप
- सतना (मध्य प्रदेश) में स्थित इस स्तूप का मुख्य भाग मिट चुका है।
- इसकी रेलिंगों पर यक्ष-यक्षिणियों एवं जातक कथाओं के चित्र अंकित है।
अमरावती स्तूप
- अमरावती स्तूप का प्राचीन नाम 'धान्यकटक' था।
- यह स्तूप गुण्टूर (आंध्रप्रदेश) में कृष्णानदी के पर स्थित है।
- इसका निर्माण लगभग द्वितीय शताब्दी ईसा पूर्व करवाया गया था।
- यह स्तूप प्राप्त सभी स्तूपों में सबसे बड़ा एवं भव्य है।
- अमरावती में थेरवाद बौद्ध धर्म के सांकेतिक चित्रण-अभिलक्षण के स्थान पर बुद्ध को उनके मानवरोपी प्रारूप में चित्रित किया जाने का अंतरण देखा जा सकता है।
- यह स्तूप सफेद संगमरमर से बनवाया गया। इसके निर्माण में धनिकों एव श्रेणी प्रमुखों ने अनुदान दिया था।
- स्तूप के प्रवेश द्वारों पर चार शेरों को चित्रांकित किया गया है।
नागार्जुनकोंडा स्तूप
- यह स्तूप उत्तर भारत के स्तूपों से थोड़ा भिन्न है।
- इस स्तूप का निर्माण संभवतः इक्ष्वाकु वंश के शासकों के समय किया गया था।
- इसके गुंबद नक्काशीदार संगमरमर के पत्थरों से निर्मित है।
- इसकी रेलिंग पर सफेद हाथी के रूप में गर्भ में बुद्ध के प्रवेश का चित्र अंकित है।
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