मैडम भीकाजी कामा


  • 1907 ई. में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में भारत का झण्डा फहराने वाला और कोई नहीं, मैडम भीकाजी कामा थी। उनका जन्म मुम्बई के पारसी परिवार में हुआ था। युवा होने पर उनका विवाह वकील रुस्तम के.आर. कामा के साथ हुआ, जो अंग्रेजी शासन को भारत के लिए वरदान मानते थे। कुछ समय बाद पति की विचारधारा का उन्हें पता चला तो उससे सम्बन्ध विच्छेद करना पड़ा।
  • प्रिजनों ने उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए उसे इंग्लैण्ड भेजा, किन्तु वहां पढ़ाई में मन नहीं लगा और भारत की स्वतंत्रता के लिए श्यामजी कृष्ण वर्मा, वीर सावरकर जैसे लोगों के साथ काम करना शुरु किया।
  • 18 अगस्त, 1907 को जर्मनी के स्टुटगार्ट में आयोजित विश्व समाजवादी देशों के सम्मेलन में मैडम कामा ने भाग लिया। भारत का झण्डा फहराते हुए कहा था, ‘‘भारत, जहां मानव जाति का पांचवां हिस्सा रहता है, को गुलामी से मुक्त होने में सहयोग दें, क्योंकि आदर्श सामाजिक अवस्था का तकाजा यह है कि कोई भी जाति किसी तानाशाही या अत्याचारी सरकार के अधीन न रहे।’’
  • उल्लेखनीय है कि आवश्यक परिवर्तन के बाद 22 जुलाई, 1947 को तिरंगा झण्डा, स्वतंत्र भारत के झण्डे के रूप में स्वीकार किया गया था।
  • उन्होंने लाला हरदयाल के साथ मिलकर ‘वन्दे मातरम्’ समाचार पत्र एवं ‘मदन की तलवार’ नामक पत्रिका निकाली।
  • 1908 ई. में सावरकर की पुस्तिका ‘स्वतन्त्रता के प्रथम भारतीय संग्राम 1857’ का प्रकाशन करवाया।
  • अंग्रेजी एवं फ्रेंच में अनुवाद करवाया। चार वर्ष की घोर यातना भी उन्हें अपने लक्ष्य से भटका नहीं सकी। 1934 ई. में भारत लौटी तथा आजादी के लिए काम करती रही।
  • 1936 ई. में उनका निध हो गया।


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