laghu_sansad_ka_sach
युवा तेरी खैर नहीं, तकनीक से मेरा बैर नहीं
- ऐसा ही कुछ बयां करती है ये पंक्तियां जिससे हम तात्पर्य लगा सकते हैं आज के दौर में मानव श्रम हासिये पर जा रहा है और तकनीक दिनोंदिन तरक्की करती जा रही है। पैसे वाला और पैसे वाला बनता जा रहा है, गरीब और गरीब होता जा रहा है। मानव श्रम घटता जा रहा है, पैसों वाले के मल्टीस्टोरों में इजाफा होता जा रहा है। युवा को रंगीन सपना दिखाते हैं और लूट रही है। कई स्टार आते हैं और हवाई फ्लाइंग किस दे कर दिवाना बना जाते हैं और उसकी ही स्टाल में हेयर कटिंग करवाते हैं। और बीयर बार में अपना पैसा बर्बाद करते हैं और फिर बेचारी दारू को बदनाम करते हैं। सब मदहोश है अपनी मस्ती में।
- पर कुछ समय बाद याद आता है ये फ्लाइंग किस बेकार है और दारू पीते समय सही कहती थी। आज वाकई हम बदनाम तो है ही साथ में बर्बाद भी। यह समझ पाते हैं तब तक देर हो चुकी होती है।
- कोई बढ़ती बेरोज़गारी और युवा में बढ़ते आपराधिक मामलों पर तकनीक के बढ़ते प्रभावों को नहीं बताता बल्कि सरकारों की नाकामी को ही दोष देता है। और आजकल सरकार तकनीक से ही हर अपराध और समस्याओं का समाधान ढ़ूंढने का प्रयत्न कर रही है, क्योंकि अब आदमी पर विश्वास नहीं रहा।
- जनता नेता पर विश्वास नहीं करती, अधिकारी जनता पर, नेता अधिकारी पर। यही कारण है युवा नकारा हो रहा है और ये लोग युवा का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं।
- एक कहता है उस जमाने में राजीव गांधी जी कहते थे ‘मैं 100 रुपये भेजता हूं और वह आमआदमी तक पहुंचते-पहुंचते 15 पैसे रह जाते हैं।’ दूसरा राजनीतिज्ञ उसे पार्टी की नाकामी और खुद का हित साधने के लिए कहता है तकनीक से हमने हजारों करोड़ों रुपये को भ्रष्टाचार एवं कालाबाजारी की भेंट चढ़ने से बचाया है।
- माना सच है किन्तु इससे पहले की प्रक्रिया का क्या जो बाबू व अधिकारी आदमी से लूट लेते हैं। आधार बनाने के 100 रुपये ले रहे है कोई राशन कार्ड में उम्र गलत कर दी तो उसके पैसे ऐंठ रहे हैं। कोई अपने माता-पिता की उम्र अभी 52 साल है उसे 55 साल और 60 साल करवा रहे हैं।
- यानि तकनीक पर आंख मीच कर विश्वास और लोगों पर अविश्वास एक दिन मानव पतन के कारण बनेंगे। माना आज के युग में तकनीक बहुत जरूरी है पर जहां आवश्यक हो वहीं तक। क्योंकि यह विश्व का दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है जहां युवा शक्ति का भंडार है यदि हमने अपनी युवा शक्ति को सही दिशा दे दी तो समझों भारत फिर से सोने की चिड़िया कहलाने लगेगा।
- हालांकि मेरी बातें तकनीक से टाइम मैग्जीन के कवर पर आने वाले लोगों को रूढिवादी जरूर लग रही होगी। लेकिन यह जमीनी हकीकत है।
- कहते है सभ्यता चंद लोगों के इर्दगिर्द घूमती है यानि कुछ लोग ही व्यवस्था को अपने हिसाब से चलाते हैं और लोग उनके पीछे अपना भविष्य खोजते हैं पर सच में उनका कोई भविष्य नहीं होता है। उनके सामने पक्षियों की तरह चुग्गा डाल देते हैं जिससे वे अपना मन बहला लेते हैं।
- राजतंत्र से कौन वाकिफ नहीं है उस समय का यदि विश्लेषण निष्पक्ष हृदय से करें तो हमारे सामने यह स्पष्ट होगा कि जो लोग उस समय ताकतवर और महत्त्वाकांक्षी थे उनके पास ही शोहरत और कामुकता (सौन्दर्याएं) पहरा देती थी। इन लोगों के चारों और मानव अपनी तरक्की देखता था। वे लोग शौर्य और युद्धों की बात करते थे। स्त्री और मातृभूमि की रक्षा की बातें करते थे।
दोस्तों
- कोई व्यवस्था बुरी नहीं होती है। बुरे लोग होते हैं और युवा अधीर होता है। वह यह नहीं समझता कि लोग मौका परस्त होते हैं।
- यह सच हो सकता है यह ब्लॉग मेरी आजीविका हो और मैं मीठी-मीठी बातों से आपको अपने ब्लॉग से बांधे रखना चाहता हूं पर यह सच है मैं लोगों को धर्म, जाति और गंदी राजनीति व मानव श्रम की हो रही उपेक्षा की ओर लोगों का ध्यान केन्द्रित करना चाहता हूं।
- हम गौवंश के इतने शुभ चिंतक हैं पर, क्या किया हमने - सिर्फ तश्करी में मानव की हत्या।
- क्या कभी सोचा आपने उस महत्त्वाकांक्षी मानव ने तकनीक के सहारे। उसने बैलों को, जिन्होंने हमारी सभ्यता को आज यहां तक पहुंचाया है, उसे ही हमारे जीवन से अलग ही नहीं लगभग समाप्त कर दिया।
- हां वो है बैल जिसके साथ किसान अपने श्रम से सभ्यता को सींच रहा था। आज वो किसान श्रम करने से कतराने लगा है और बैलों अपने अस्तित्व के लिए लड़ भी नहीं सके।
- हां अगर बौद्धिक वर्ग के दिमाग में कोई यह बात ला दे कि भारतीय किसान और उसका मित्र बैल के अतीत पर म्यूजियम बनाने से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा तो वे करोड़ों रुपये खर्च कर उसे पूरा करने में जुट जाएंगे। इसे वे सही मायनों में विकास कहेंगे और युवा को झूठे रोजगार के वादे मिलेंगे।
- अपने भविष्य के प्रति युवा जागरूक हो पर उसके लिए रोजगार के अवसर सिमटते जा रहे हैं। अगर यूं ही तकनीक का कारवां बढ़ता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब मानव संतति का संरक्षण करना पड़ेगा और मानव औद्योगिक क्रांति को अपने खून-पसीने से सींचने वाले मानव श्रम को भी सभ्यता को यहां तक लाने का हर्जाना चुकाना पड़े क्योंकि उस महत्त्वाकांक्षी ने मानव श्रम का विकल्प रोबोट यानि आर्टिफिशयल इंटेलीजेंसी के रूप में ढूंढ लिया है।
- जवां से लेकर हर उम्र के नौजवान और बुजुर्ग लगे है रंगरेलियों मनाने में शौक चढ़ा है वे ने तो उम्र में कोई भेदभाव समझते हैं।
- हां उस दिन कुछ ऐसा ही सुना जिससे प्रतीत हो रहा था हर कोई काम और कामुकता को रिझाते हैं। हां कर लो मस्ती क्योंकि चार दिन की है जिन्दगी फिर ....
- आपकी मस्ती अब ज्यादा दिनों के लिए नहीं रहने वाली है क्योंकि अब आपका मुकाबला एआइ से है और
चीन ने बनाया पहला एआइ न्यूज एंकर, जो पढ़ेगा 24 घंटे बिना थके खबरें
- एक प्रश्न उठा कौन सुनेगा 24 घंटे न्यूज?
- पर आज का दौर है ग्लोबलाइजेशन का और ये अंग्रेजी एंकर है जो लोकल भाषा के साथ-साथ अंग्रेजी में खबरे पढ़ेगा तो कोई तो सुनेगा।
- अरे भई! कोई सुने या न सुने पर न्यूज चैनल को तो 100 फीसदी फायदे का ही सौदा है। ये बात अलग है कि इससे चीन के युवा वर्ग को अभी तो तीन लोगों की भर्ती कम करने का मलाल रहेगा। पर यह चाइना मेड है तो उन देशों के लिए खतरे की घंटी बज सकती है जहां मीडिया कर्मी जी चुराते हैं अपना पूरा समय न दे पाने के कारण।
- पहली बार ऐसा करना बड़ी उपलब्धि है पर इससे दो ग्रुपों को ही सबसे ज़्यादा फायदा है एक तो न्यूज चैनल और दूसरा एआइ एंकर बनाने वाली कम्पनी को।
- न्यूज चैनल वालों के मजे ही मजे हो जाएंगे क्योंकि मानव है कि नखरे दिखाते हैं और तीन शिफ्ट में तीन अलग-अलग लोग नौकरी पर आते हैं फिर भी न्यूज चैनल वालों को यही सुनने को मिलता है क्या मशीन ही समझ लिया जो 24 घंटे से रगड़े जा रहे हो। कुछ आराम तो बनता है।
- समय बहुत हो गया। यारो अप्रेजल नहीं लगा क्या बात हैं। चलो हड़ताल करते हैं।
- बेटा, अब ये बातें पुरानी हो गई एक दिन हमें कह रहे थे जाओ रामू काका उम्र हो गई काम नहीं होता अब तो किसी युवा को मौका दो।
- और हम जब आप से कहते थे कि बेटों मालिक से गद्दारी नहीं, काम के प्रति पूरी ईमानदारी रखों लो अब, अप्रेजल नहीं डिस्पोजल मिलेगा।
- आप ऐसा कैसे बोल रहे हो, रामू काका
- बेटा मैंने तो अपनी उम्र पूरी कर ली पर पहले से कहता था ये पैसे वाले हैं इनको सिर्फ मुनाफे से मतलब है, लो रख लिया ने एआइ एंकर।
- नहीं हम ऐसा नहीं होने देंगे?
- ऐ चलो बॉस से बात करते हैं कि वे हमारे पेट पर लात न मारे हम पूरी मेहनत से काम करते आएं हैं और आगे से साथ में ही मिलजुल कर काम करेंगे।
- बॉस के पास जाते हैं, बॉस मोबाइल पर...
- हां यार आपके एआइ एंकर ने तो दिल जीत लिया हमारा, क्या बोलता है आइला, एकदम झकास माइंड कर दिया। न कोई हकलाहट, न कोई हैजिटेसन, न कोई...
- (अपनी टीम के मेम्बर को देखकर बात आधी छोड़कर)
- प्रदीप क्या कैसे आना हुआ तुम सब का एक साथ।
- वो बॉस, हमने सुना है कि आपने एआइ..
- हां, एआइ एंकर खरीदा है अभी एक ही है और ऐसा ही एक और ऑर्डर किया है।
- पर सर हमारा क्या होगा, हम भी एंकरिंग करते हैं।
- देखा नहीं तुमने कई न्यूज चैनल वालों के यहां मेहनताने को लेकर हड़ताले से उन्हें कितने करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। वे तो चले गये दूसरी जगह, काम मिला उनको, बर्बादी मिली मालिक को। तो अभी मैंने ऐसा कुछ नहीं सोचा एक विकल्प है आने वाले कल के लिए।
- सोच लो कल तुम ऐसा मत करना वरना...
- देखा दोस्तों।
- ऐसा होगा आने वाले दिनों में।
- मुझे तो डर है कोई लेखक न आ जाए नहीं तो मेरी रोजी-रोटी का क्या, सुना है एक एआइ कविता पाठ करता है।
- सुना है एक एआइ प्रोफेसर आया है जो लेक्चर देता है वो भी शानदार।
- अरे हां सुना हैं, रोबोटिक सर्जरी में भी एआइ अपना भाग्य आजमा रहा है।
- तो दोस्तों हमें लगा हमारी प्रकृति और मानव श्रम पर संकट आने वाला है तो हमने अपने मन की चिंता आपके सामने जाहिर कर दी। अच्छी लेग तो दोस्तों में शेयर करना पर इसके बारे में सोचना और अपने सुझाव कमेंट बॉक्स में जरूर लिखना।
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