ग्रीन पीस इंटरनेशनल

ग्रीन पीस इंटरनेशनल

  • ग्रीन पीस इंटरनेशनल पर्यावरण चेतना का एक विश्वव्यापी आंदोलन है जिसका अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय नीदरलैण्ड के एमस्टर्डम में स्थित है।
  • इसकी नींव वर्ष 1968 में कनाडा के वैंकूवर में तब पड़ी जब अमेरिका ने अलास्का में नाभिकीय परीक्षण करने की घोषणा की। 
  • इस परीक्षण के विरोध करने के उद्देश्य से फीलिस कॉरमेक, डोरोथी स्टोव, जिम बोहलेन, बॉब हंटर सहित करीब दर्जन भर व्यक्तियों ने ‘डोंट मेक ए वेव’ कमिटी के बैनर तले अलास्का के एमचिटका द्वीप तक ‘ग्रीन पीस’ नामक नाव से यात्रा करने का निश्चय किया। 
  • 1971 ई. में जब नाव जाने को तैयार हुई तो अमेरिकी सैनिकों ने सभी को गिरफ्तार कर लिया। वह नाव उक्त द्वीप तक तो नहीं जा सकी, लेकिन इसने विरोध का जो वातावरण तैयार किया उससे अमेरिका को अपना परीक्षण रोकना पड़ा। 
  • मई 1972 ई. में इस संस्था का नाम आधिकारिक रूप से बदलकर ग्रीन पीस कर दिया गया।
  • इस संस्था को अंतर्राष्ट्रीय पहचान तब मिली जब इसके नाव ‘रेनबो वारियर’ को फ्रांसीसी खुफिया एजेंसी ने बम गिराकर नष्ट कर दिया। 
  • वास्तव में, व्हेल के शिकार और जहरीले कचरे के फैलाव के विरोध में ग्रीन पीस ने कई देशों में आंदोलन चलाया, जिसकी वजह से फ्रांस को काफी नुकसान हुआ। 
  • आज ग्रीन पीस एक अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण संगठन के रूप में सरकारों तथा लोगों के बीच पर्यावरण की रक्षा के लिए जागरूकता पैदा करने की कोशिश करता है। विश्व के 40 देशों में इसके लगभग 20 लाख 80 हजार सदस्य कार्यरत है।
  • इसका मानना है कि पृथ्वी के संसाधनों का दोहन विवेकपूर्ण ढंग से किया जाये। ग्रीन पीस अहिंसा, राजनीतिक स्वतंत्रता व अंतर्राष्ट्रीयता जैसे महत्त्वपूर्ण सिद्धांतों के आधार पर अपने कार्यों को विश्व भर में अंजाम देता है। यह संगठन अपनी स्वायत्तता व स्वतंत्रता को सर्वोच्च मानता है, इस कारण यह किसी सरकारी सहायता को स्वीकार नहीं करता है। 

यह संगठन निम्नलिखित कार्यों पर विशेष जोर देता है -
  • जलवायु परिवर्तन के चलते धरती को होने वाले नुकसान की समीक्षा
  • मात्स्यिकी व हानिकारक वस्तुओं से समुद्र को होने वाले नुकसान को समाप्त करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय अभियान,
  • जंगलों, जानवरों आदि की विश्व भर में सुरक्षा,
  • परमाणु हथियारों की समाप्ति तथा निरस्त्रीकरण हेतु अभियान,
  • पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार हेतु कृषि को बढ़ावा।


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