Indian History
कोणार्क का सूर्य मंदिर
उड़ीसा
- उड़ीसा के मंदिर, शुद्ध नागर शैली का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- इस काल में भुवनेश्वर में 100 मंदिर बनाये गये हैं। इसमें लिंगराज मंदिर, पूर्ण तथा विकसित नागर शैली का उदाहरण है।
लिंगराज मंदिर (भुवनेश्वर):-
- इसके मुख्य भाग में गर्भगृह तथा उससे जुड़ा हुआ भाग ‘जगमोहन’ है जो एक प्रकार का मंडप है, जहां भक्त लोग एकत्रित होते हैं। जगमोहन के सामने नृत्य मंडप और भोग मंडप है।
- लिंगराज मंदिर में ये सभी भाग एक ही धुरी पर पूर्व से पश्चिम की ओर फैले हुए हैं।
- मंदिर के शिखर की ऊंचाई 160 फुट है।
- शिखर पर ‘आमलक’ तथा ‘कलश’ है।
- सभा मंडप अथवा जगमोहन की छत पिरामिड के आकार की है।
- मंदिर के मुख्य शिखर की खड़ी धारियां प्रभावशाली हैं।
- अपने प्रचुर अलंकरण तथा उत्तम शिल्प विधि के कारण यह मंदिर निर्माण कला का सर्वोत्कृष्ट नमूना माना जाता है।
पुरी का जगन्नाथ मंदिर:-
- यह मंदिर लिंगराज मंदिर की तरह का बना हुआ है। इसके भी चार भाग हैं।
- यह आकार में काफी विशाल है किंतु इसका वास्तु विन्यास सजीव तथा प्रभावशाली नहीं है। इसमें लिंगराज जैसा संतुलन नहीं है।
कोणार्क मंदिर:-
- कोणार्क का सूर्य मंदिर पूर्वी स्थापत्य कल की महान उपलब्धि है।
- मंदिर को सात घोड़ों वाले रथ का रूप दिय गया है।
- मंदिर का आधार एक विशाल चबूतरा है।
- इसके चारों और पत्थर कके तराशे हुए बारह पहिए लगाए गये हैं।
- मंदिर के सभी अंग इस तरह से विधिवत समन्वित हैं कि वे एक ही भवन के अविच्छिन्न अंग दिखायी देते हैं।
- मंदिर के भवनों के सभी बाह्य भाग उकेरी हुई आकृतियों से सजे हुए हैं।
- अधिकांश उभरी आकृतियां स्त्री-पुरुषों की हैं, जो कामपरक हैं।
खजुराहो के मंदिर:-
- खजुराहो के मंदिर चंदेल राजाओं के समय 650-1050 ई. के बीच बनाये गये हैं।
- इसकी मुख्य विशेषता इनके शिखरों का काफी ऊंचा बनाना हैं।
- इन शिखरों पर छोटे-छोटे शिखर संलग्न हैं, जिन्हें उरूश्रृंग कहते हैं।
- वास्तुकला की दृष्टि से इस मंदिर की विशेषता यह है कि मंदिर के सभी अंग भलीभांति समन्वित है।
- गर्भगृह मंडप, अर्धमंडप आदि मंदिर में सभी अंश इमारत के अविच्छिन्न अंग दिखलायी देते हैं।
- मंदिर की अन्य विशेषता दीवारों के मध्य भाग का अलंकरण है। दीवारों के चारों ओर दो या तीन चित्र वल्लरी है जिन पर उभरी हुई आकृतियां है।
- कुछ स्त्रियों की उभरी हुई आकृतियां विशेष उल्लेखनीय हैं, जैसे- पैर से कांटा निकालती हुए एक नायिका, प्रसाधनरत नायिका, माता और पुत्र तथा मिथुन आकृतियां।
- खजुराहो के मंदिर में कंदरिया महादेव का मंदिर सर्वोत्तम है।
- इसके गर्भगृह में संगमरमर का शिवलिंग स्थापित किया गया है।
- जैन मंदिरों में पार्श्वनाथ मंदिर उल्लेखनीय है।
- इसका वास्तुविन्यास कंदरिया महादेव जैसा ही है।
पश्चिमी भारत तथा गुजरात:-
- गुजरात के अधिकांश मंदिर सोलंकी राजाओं के काल के बने हैं।
- इनमें प्रसिद्ध मंदिर मोढेरा का सूर्य मंदिर है।
- यह सुनहरे बलुआ पत्थर से बना हुआ है।
- इसमें स्तम्भों पर आधारित खुला द्वार मंडप है।
- अनुप्रस्थ ढलाई से मंदिर तीन भागों में बंटा हुआ है।
- मंदिरों के अन्य भागों में बहुत अधिक सुंदर संगतरासी का काम है।
- गुजरात के प्रमुख मंदिरों में सोमनाथ का शिव मंदिर उल्लेखनीय है।
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