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ऐनेलिडा संघ
- शरीर लंबा, पतला, द्विपार्श्व सममित तथा खंड़ों में बंटा हुआ होता है।
- देहगुहा भी खंड़ों में बंटी होती है।
- आहारनाल पूर्णतः विकसित होता है, जिसके एक सिरे पर मुख तथा दूसरे सिरे पर गुदा द्वार होता है।
- प्रचलन मुख्यत: काइटिन के बने सीटी (Setae) द्वारा होता है। श्वसन प्रायः त्वचा द्वारा तथा कुछ जंतुओं के क्लोम द्वारा होता है।
- रुधिर लाल होता है तथा रक्तवाहिनियों द्वारा शरीर के सभी अंगों में पहुंचता है।
- उत्सर्जी अंग वृक्क के रूप में होते हैं।
- तंत्रिका अंग साधारण होता है। संवेदी अंग पाये जाते हैं।
- केंचुआ में चार जोड़ी हृदय होते हैं।
- ये एकलिंगी तथा उभयलिंगी दोनों प्रकार के होते हैं।
- केंचुआ, जोंक, नेरीस इसके प्रमुख उदाहरण है।
- डार्विन के अनुसार, एक एकड़ जमीन पर पचास हजार केंचुए रह सकते हैं।
- केंचुए किसानों के मित्र हैं। ये सुरंग बनाकर मिट्टी को पोली करते हैं तथा नीचे की मिट्टी ऊपर लाते हैं। इससे पौधों की जड़ें आसानी से मिट्टी में बढ़ती है।
- केंचुओं के मल के साथ नाइट्रोजनयुक्त उत्सर्जी पदार्थ भी निकलते हैं, जो मिट्टी को अधिक उपजाऊ बनाते हैं।
- एक जोंक एक समय में अपने भार से कई गुना रक्त चूस सकती है। खून चूसते वक्त यह प्रतिस्कंदन निकालती है जो खून को जमने से रोकता है।
- नेरीस को सीपी कृमि तथा चीर कृमि भी कहते हैं।
ये वास्तविक मछलियां नहीं है -
- जेलीफिश - स्काइफोजोअन सिलेन्ट्रेटा
- सिल्वरफिश - कीट लेपिस्मा
- स्टारफिश - इकाइनोडर्मेटा संघ की जन्तु ऐस्टिरियस
- कटलफिश - सिफलोपोड मोलस्का संघ - सीपिया
- क्रेफिश - कैम्बेरस
- डेविलफिश - ऑक्टोपस
Exam Desk-
- ऐनेलिडा ग्रुप में मुख्यत: कौन-कौन जंतु आते हैं – जोंक, केंचुआ
- ऐनेलिडा में उत्सर्जन उसके किस उत्सर्जी अंग द्वारा होता हैं – नेफ्रीडिया
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