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प्राकृतिक ईंधन तथा नोदक
ईंधन तथा नोदक
- ऐसे पदार्थ जो जलने पर ऊष्मा व प्रकाश उत्पन्न करते हैं, ईंधन कहलाते हैं।
गैस ईंधन के प्रकार:-
प्राकृतिक ईंधन -
- तेलकूपों से पेट्रोलियम के साथ स्वतः निकलने वाली प्राकृतिक गैस विभिन्न हाइड्रोकार्बनों का मिश्रण होती है।
- प्राकृतिक गैस में मिथेन, एथेन, प्रोपेन और ब्यूटेन जैसे हाइड्रोकार्बन तथा नाइट्रोजन, हाइड्रोजन सल्फाइड और कार्बन डाइऑक्साइड जैसी गैसें होती हैं।
- इसमें मिथेन की प्रतिशतता सबसे अधिक (45.85) होती है।
- प्राकृतिक गैस का उपयोग ईंधन के रूप में तथा गैसोलीन, हाइड्रोजन आदि के निर्माण में होता है।
- पेट्रोलियम अर्थात् चट्टानों का तेल पृथ्वी की गहराई में चट्टानों के नीचे लवण जल की सतह के ऊपर प्लवित होता रहता है और उसके ऊपर प्राकृतिक गैस की परत रहती है।
- प्राकृतिक गैस में सर्वाधिक 80 प्रतिशत मिथेन गैस, 10 प्रतिशत एथेन और 10 प्रतिशत उच्चतर गैसीय हाइड्रोकार्बन के मिश्रण होते हैं।
- कच्चे तेल के हाइड्रोकार्बन में पैराफीन, नैफ्थलीन, ओलिफिन और ऐरोमैटिक यौगिक भी अलग-अलग अनुपात में होते हैं।
- कच्चा तेल उपस्थित मुख्य अवयव की प्रकृति के आधार पर निम्न तीन वर्गों में विभाजित होता है -
- पैराफीन श्रेणी के हाइड्रोकार्बन से बने पेट्रोलियम:
- इनके आसवन के पश्चात् ठोस मोम प्राप्त होता है।
- पैराफीन मोम का उपयोग मोमबत्ती, जूते की पॉलिश, फर्श की पॉलिश, मोमिया कागज आदि बनाने में किया जाता है।
- वैसलीन भी पैराफीन मोम ही होता है।
ऐस्फाल्ट आधारित पेट्रोलियम:
- इसमें गैर-पैराफीन हाइड्रोकार्बन जैसे ऐरोमैटिक और नैफ्थीनीय यौगिक भरपूर होते हैं।
- इसके आसवन से ऐस्फाल्ट या बिटूमेन प्राप्त होता है।
मिश्रित आधार:
- इस पेट्रोलियम का संघटन ऊपर की दोनों श्रेणियों के बीच का होता है।
- पेट्रोलियम प्रभाजी के द्वारा प्राप्त किया जाने वाला प्रत्येक रसायन पेट्रोरसायन कहलाता है। उच्च क्वथनांक वाले प्रभाजी को उपयोगी गैसोलीन में परिवर्तित करने का दूसरा तरीका भंजन है, जिससे छोटे हाइड्रोकार्बन बनते हैं।
- पेट्रोल की गुणवत्ता उसके आघातरोधी गुणों से जानी जाती है, जिसकी माप ऑक्टेन क्रमांक से करते हैं। ऑक्टेन क्रमांक बढ़ाने के लिए पेट्रोल में टेट्रोइथाइल लेड मिलाया जाता है।
- भाप अंगार गैस हाइड्रोजन और कार्बन मोनो ऑक्साइड गैसों का मिश्रण होती है।
- भाप को लाल तप्त कोक पर प्रवाहित करने पर हाइड्रोजन व कार्बन मोनोऑक्साइड गैसों का मिश्रण प्राप्त होता है, जिसे भाप अंगार गैस या वाटर गैस कहते हैं।
- इसका प्रयोग अपचायक के रूप में एल्कोहल, हाइड्रोजन आदि के औद्योगिक निर्माण में होता है।
प्रोड्यूसर गैस:
- प्रोड्यूसर गैस मुख्यतः नाइट्रोजन व कार्बन मोनोऑक्साइड गैसों का मिश्रण है।
- इसमें 60 प्रतिशत नाइट्रोजन, 30 प्रतिशत कार्बन मोनो ऑक्साइड व शेष कार्बन डाइऑक्साइड व मिथेन गैसें होती हैं।
- इसका कैलोरी मान अन्य गैसीय ईंधनों की तुलना में सबसे कम होता है। इसका प्रयोग कांच व इस्पात बनाने में किया जाता है।
कोल गैस:
- कोल गैस हाइड्रोजन, कार्बन मोनोऑक्साइड, मिथेन और अन्य गैसीय हाइड्रोकार्बनों का मिश्रण होती है। यह कोयले के भंजक आसवन के द्वारा बनायी जाती है।
- यह वायु के साथ विस्फोटक मिश्रण बनाती है।
- केल गैस ईंधन एवं प्रदीपक के रूप में प्रयुक्त होती है। इसे जलाने पर गैसीय हाइड्रोकार्बनों और कार्बन मोनोऑक्साइड से ऊष्मा उत्पन्न होती है तथा गैसीय हाइड्रोकार्बनों से प्रकाश उत्पन्न होता है।
पेट्रोल गैस:
- पेट्रोल की वाष्प और वायु के मिश्रण को पेट्रोल गैस कहते हैं। इस गैस का उपयोग रासायनिक प्रयोगशालाओं में बर्नरों को जलाने के लिए किया जाता है।
- पेट्रोल के भंजक आसवन से पेट्रोल गैस प्राप्त की जाती है।
एलपीजी:
- प्राकृतिक गैस से प्रोपेन और ब्यूटेन को पृथक् कर उन्हें उच्चदाब पर द्रवित करते हैं और द्रव मिश्रण को इस्पात के सिलेण्डरों में रखते हैं। यही द्रव मिश्रण तरलीकृत पेट्रोलियम गैस कहलाता है, जिसका उपयोग घरों व होटलों में ईंधन के रूप में करते हैं।
सीएनजी:
- संपीड़ित प्राकृतिक गैस (सीएनजी) प्राकृतिक गैस का ही संपीड़ित रूप हैं। सीएनजी से चलने वाला वाहन ईंधन का दहन पेट्रोलियम से चलने वाले वाहनों की अपेक्षा अधिक कुशलता से करता है।
- इटली, जापान तथा यूएसए की तरह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की सड़क परिवहन व्यवस्था में भी सीएनजी का व्यापक प्रयोग किया गया।
- नोदक एक प्रकार का विस्फोटक होता है, जिसका प्रयोग रॉकेट के प्रक्षेपण में ईंधन के रूप में किया जाता है। यह ऑक्सीकारक पदार्थ (द्रव ऑक्सीजन, द्रव फ्लोरीन, हाइड्रोजन पेरॉक्साइड या नाइट्रिक अम्ल) तथा ईंधन का संयोजन है, जो जलने पर भारी मात्रा में तप्त गैस उत्पन्न करता है।
नोदक की भौतिक अवस्था के आधार पर निम्नलिखित तीन वर्गों में विभाजित किया जाता है -
ठोस नोदक:
- ऐक्रिलिक अम्ल एवं पॉलीब्यूटाइन जैसे ठोस ईंधन को एल्युमीनियम परक्लोरेट नाइट्रेट जैसे ऑक्सीकारकों के साथ काम में लाया जाता है।
- मैग्नीशियम एंव एल्युमीनियम का उपयोग ठोस नोदक के जलाने के लिए प्रयुक्त किया जाता है, क्योंकि इनका दहन ताप अधिक होता है। नाइट्रोग्लिसरीन तथा नाइट्रोसेल्युलोज एक अन्य प्रकार का ठोस नोदक है, जिसे ‘द्विगुण मूल नोदक’ भी कहते हैं।
- द्रव नोदक के रूप में एल्कोहल, द्रव हाइड्रोजन, द्रव अमोनिया, मिट्टी का तेल, हाइड्रैजीन तथा बोरॉन के हाइड्राइड प्रयुक्त होते हैं।
- इसके साथ ही मेथिल नाइट्रेट, नाइट्रो मिथेन, हाइड्रोजन पेरॉक्साइड आदि भी द्रव नोदक के रूप में प्रयोग किये जाते हैं।
- ठोस नोदक की अपेक्षा द्रव नोदक से अधिक प्रणोद पैदा होता है तथा इनके प्रणोद को नोदक के प्रवाह को मॉनीटर करके नियंत्रित किया जा सकता है।
- संकर नोदक ठोस ईंधन और द्रवीय ऑक्सीकारकों का मिश्रण है। इसका मुख्य संघटन N2O4 का ऐक्रिलिक रबर होता है।
- भारतीय रॉकेट SLP- 3 एवं ASLV में ठोस नोदक को प्रयोग किया गया था।
- भारतीय PSLV रॉकेट के प्रथम एवं तृतीय चरणों में ठोस नोदक तथा द्वितीय और चतुर्थ चरण में द्रव नोदक काम में लाया जाता है, जिसमें N2H4 और डाइमेथिल हाइड्रैजीन (DMH) तथा मोनोमेथिल हाइड्रैजीन (MMH) होता है।
निम्न में से कौन-सा पदार्थ रॉकेट के प्रणोदकों में ऑक्सीकारक के रूप में प्रयुक्त नहीं किया जाता है?
अ. द्रवित ऑक्सीजन ब. द्रवित फ्लोरीन
स. द्रवित क्लोरीन द. हाइड्रोजन पेरॉक्साइड
उत्तर - स
सुमेलित है -
- सीएनजी - मिथेन, इथेन
- कोयला गैस - हाइड्रोजन, कार्बन मोनोऑक्साइड, मिथेन
- एलपीजी - प्रोपेन, ब्यूटेन
- भाप अंगार गैस - हाइड्रोजन, कार्बन मोनोऑक्साइड
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