समुद्री जल की लवणता


  • समुद्र का जल खारा होता है।
  • 1,000 ग्राम (1 किलोग्राम) समुद्री जल में घुले हुए नमक (ग्राम में) की मात्रा के द्वारा किया जाता है। इसे प्रति 1,000 भाग (0/00) या PPT के रूप में व्यक्त किया जाता है।
  • लवणता समुद्री जल का महत्त्वपूर्ण गुण है।
  • 24.7 0/00 की लवणता को खारे जल को सीमांकित करने की उच्च सीमा माना गया है।
  • समुद्री जल की लवणता लगभग 35 प्रति हजार है।
  • अर्थात् समुद्र के एक हजार ग्राम जल में लगभग 35 ग्राम लवण होता है।
  • डिटमार महोदय के अनुसार समुद्र के जल में 47 विभिन्न प्रकार के लवण हैं। 
  • क्लोरीन 18.97
  • सोडियम 10.47
  • सल्फेट 2.65
  • मैग्नेशियम 1.28
  • कैल्शियम 0.41
  • पोटैशियम 0.38
  • बाइकार्बोनेट 0.14
  • ब्रोमीन 0.06
  • बोरेट 0.02
  • स्ट्रॉन्शिम 0.01

लवणता को प्रभवित करने वाले कारक
  • विभिन्न स्थानों पर विभिन्न मात्रा में लवणता पाई जाती है। 
इसको प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं:
  • स्वच्छ जल की पूर्ति - 
  • बर्फ के पिघलने से स्वच्छ जल लगातार प्राप्त होता है, जिससे लवणता की मात्रा पर काफी प्रभाव पड़ता है। 
  • जिस समुद्र में स्वच्छ जल की लगातार पूर्ति होती रहेगी, वहां पर लवणता की मात्रा कम होगी। यही कारण है कि नदियों के मुहानों पर लवणता की मात्रा कम पाई जाती है।
वाष्पीकरण की मात्रा -
  • लवणता का वाष्पीकरण की क्रिया से सीधा सम्बन्ध है। वाष्पीकरण की क्रिया तापमान, वायु की शुष्कता और बादलों पर निर्भर करती है। जहां पर वाष्पीकरण की मात्रा अधिक होगी, वहां पर लवणता की मात्रा में वृद्धि होगी। यही कारण है कि उष्ण मरुस्थलों के समीप समुद्री जल में लवणता अधिक है।
सागरीय धाराएं -
  • सागरीय धाराएं भी लवणता को प्रभावित करती हैं। भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर चलने वाली धाराएं अधिक लवणता वाला जल ले जाती हैं और ध्रुवों से भूमध्य रेखा की ओर चलने वाली धाराएं अपने साथ कम लवणता वाला जल ले जाती हैं।

लवणता का क्षैतिज वितरण:-
क. खुले सागरों की लवणता
  • कर्क तथा मकर रेखा पर लवणता की मात्रा सबसे अधिक है। इसका कारण यह है कि यहां पर वर्षा की कमी के कारण नदियों की संख्या कम है जो कम मात्रा में मीठा पानी समुद्र में गिराती हैं। इससे भी बड़ा कारण यह है कि यहां पर आकाश साफ रहता है और वायु शुष्क होने के फलस्वरूप सागरीय जल का वाष्पीकरण अधिक मात्रा में होता है। 
  • वाष्पीकरण अधिक होने से लवणता बढ़ती है। इन क्षेत्रों में लवणता 37 प्रति हजार के लगभग है।

हिन्द महासागर - 
  • हिन्द महासागर की औसत लवणता 35 प्रति हजार है। बंगाल की खाड़ी में गंगा नदी के जल के मिलने से लवणता की प्रवृत्ति कम पाई जाती है। इसके विपरीत, अरब सागर की लवणता उच्च वाष्पीकरण एवं ताजे जल की कम प्राप्ति के कारण अधिक है।
  • भूमध्य रेखा के निकट लवणता की मात्रा कम होती है। यहां पर भारी वर्षा के कारण अमेजन तथा जायरे जैसी विशाल नदियां बड़ी मात्रा में स्वच्छ जल समुद्र में गिराती है।
  • दूसरे, यहां पर वायु में आर्द्रता अधिक होने के कारण वाष्पाीकरण भी कम होता है। अतः यहां पर लवण की मात्रा केवल 35 प्रति हजार है।
  • ध्रुवों के समीप लवणता की मात्रा कम होती है। यहां पर 20 से 30 प्रति हजार लवणता होती है, क्योंकि यहां पर तापमान की कमी के कारण वाष्पीकरण कम होता है। इसके अतिरिक्त हिम के पिघलने से ताजा पानी समुद्रों को मिलता रहता है।

ख. आंशिक रूप से घिरे समुद्रों की लवणता -
  • भूमध्य सागर, लाल सागर तथा फारस की खाड़ी में लवणता की मात्रा बहुत अधिक है। इन क्षेत्रों में 37 से 41 प्रति हजार लवणता पाई जाती है। इसका कारण यहां पर ग्रीष्म ऋतु में शुष्क वायु के प्रभाव से अधिक वाष्पीकरण का होना है। इसके अतिरिक्त यहां कोई बड़ी नदियां भी नहीं हैं जो मीठा पानी इन समुद्रों में गिरा दें।
  • काले सागर में लवणता की मात्रा अपेक्षाकृत कम है। यहां पर 18 प्रति हज़ार लवणता मिलती है। यहां पर कम तापमान के कारण वाष्पीकरण कम होता है। इसके अतिरिक्त डेन्यूब, नीपर, डॉन आदि बड़ी-बड़ी नदियां बड़ी मात्रा में मीठा पानी इस सागर में गिराती है।
  • बाल्टिक सागर में लवणता बहुत ही कम है। यहां स्वीडन के तट के निकट 11 प्रति हजार तथा बोधोनियां की खाड़ी के मुहाने के निकट केवल 2 प्रति हजार लवणता पाई जाती है। 
  • यहां तापमान कम होने के कारण वाष्पीकरण कम है। इसके अतिरिक्त हिम पिघलने तथा स्कैण्डिनेविया के पहाड़ों से अनेक छोटी-छोटी नदियों के बाल्टिक सागर में गिरने से पर्याप्त मात्रा में मीठा जल एकत्रित हो जाता है।

लवणता का ऊर्ध्वाधर वितरण:-
  • गहराई के साथ लवणता में काफी परिवर्तन आता है। यह परिवर्तन समुद्र की स्थिति पर निर्भर करता है।
  • समुद्री सतह पर लवणता जल के बर्फ अथवा वाष्प के रूप में परिवर्तित होने से बढ़ जाती है। इसके विपरीत यह नदियों या वर्षा से ताजे जल में वृद्धि होने पर घट जाती है।


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