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वसुधैव कुटुम्बकम्, क्या आप मेरा साथ दोगे
दिवांशु: सभ्यता निर्माता
- दोस्तों जैसा कि नाम से स्पष्ट है सूर्य बिना किसी भेदभाव के समस्त प्राणियों के लिए अपनी ऊर्जा बिखेरता है। वहीं विभिन्न प्राणी अपनी उपयोगिता के अनुसार उससे ऊर्जा ग्रहण कर जीवनयापन करते हैं।
- दोस्तों, भारत विविधताओं वाला देश है। फिर भी एकता में अनेकता देखने को मिलती है और हमें गर्व भी महसूस होता है।
- पर कोई तो कमी रही हमारे अतीत में, जो हमें आज फिर कई बार हमें बांट देती है।
- इस ग्रुप का मकसद किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचना नहीं है बल्कि हमें मानव होने का आभास करना है।
- क्योंकि कोई भी व्यक्ति कमजोर नहीं होता, सामाजिक जीवन में सबकी उपयोगिता बराबर है।
- कोई व्यवस्था बुरी नहीं है। बुरी है केवल मानव में जाग्रत नकारात्मक महत्त्वाकांक्षा। जो हर किसी वस्तु को अपना बना लेना चाहती है।
- दोस्तों, हम पुराने जमाने को दोष देकर अब कुछ सिद्ध नहीं कर सकते हैं क्योंकि हम वर्तमान में जीते हैं और भविष्य के उज्ज्वल स्वप्न बुनते हैं। हम नहीं जानते किसमें कितनी और किसके प्रति नफरत है और क्यूं?
- पर हम इतना जानते हैं बढ़ती आर्थिक महत्त्वाकांक्षा व तकनीक ने मानव श्रम को उपेक्षित कर दिया है। जोकि किसी भी मायने में मानव हित में नहीं है।
- अगर हम किसी व्यवस्था को तहस-नहस करते हैं तो स्पष्ट है जो उस व्यवस्था को मानता है वे उसे त्यागने में बहुत दुःख महसूस करते हैं।
- हमें यदि बदलाव लाना है तो पुरानी व्यवस्था पर एक साथ आघात न करके उसमें धीरे-धीरे बदलाव लाना शुरू करना चाहिए ताकि लोगों की मानसिकता बदल सके। हमें मध्यम मार्ग अपनाना चाहिए।
- ताकि लोग एक-दूसरे को समझे व कमजोर और पिछड़ों को मौका मिल सके।
- हर एक व्यक्ति को अच्छा जीवनयापन करने का हक है।
- हमने कई ऐसे किस्से देखें हैं जो धर्म, जाति को लेकर होते हैं। जोकि सर्वथा अनुचित है।
- दोस्तों यह ग्रुप केवल नैतिक गुणों व जीवन को अच्छे से जीने के लिए बनाया है। हम नहीं चाहते हैं कि लोगों में एक-दूजे के प्रति नफरत घोलें।
- क्योंकि ये काम तो कई समाचार पत्र व मीडिया पुरोहित कर रहे हैं और उसका फायदा नकारात्मक महत्त्वाकांक्षा वाले लोगों को मिल जाती है।
- हम मानव है और हमारा ध्येय यही होना चाहिए ‘जियो और जीने दो’।
- सोच ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की होनी चाहिए।
- नया साल, और लो नया संकल्प दिवांशु: सभ्यता निर्माता के साथ।
- दोस्तों हम आपके विचारों का सम्मान करते हैं यदि किसी को कोई सुझाव देना है तो हमें लिखें व भेजें।
- अगर आपकी कोई कहानी या कविता है तो हमें लिखें हम उसे ब्लॉग पर प्रकाशित करेंगे आपके नाम से ही।
- क्या आप मेरा साथ दोगे।
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