Indian Constitution
भारत की संचित निधि क्या है?
राज्य की संचित निधि और भारत की संचित निधि क्या है?
उत्तर -
- अनुच्छेद 266 के अनुसार भारत की एक संचित निधि तथा राज्य में एक संचित निधि होगी। ‘भारत की संचित निधि’ आकस्मिकता निधि से संबंधित अनुच्छेद 267 के उपबंधों के अधीन तथा कुछ करों और शुल्कों के शुद्ध आगम पूर्णतः या भागतः राज्यों को सौंप दिये जाने के संबंध में इस अध्याय (वित्त) के उपबंधों के अधीन रहते हुए, भारत सरकार को प्राप्त सभी राजस्व उस सरकार द्वारा राज्य हुंडियां निर्गमित करके, उधार द्वारा या अर्थोपाय अग्रिमों द्वारा लिये गये सभी उधार और उधारों के प्रतिसंदाय से उस सरकार को प्राप्त सभी धनराशियों की एक संचित निधि होती है।
- किसी राज्य को प्राप्त सभी राजस्व, उस सरकार द्वारा राज हुंडियां निर्गमित करके, उधार द्वारा या अर्थोपाय अग्रिमों द्वारा लिये गये सभी उधार और उधारों के प्रतिसंदाय में उस सरकार को प्राप्त सभी धनराशियों की एक संचित निधि बनेगी, जो ‘राज्य की संचित निधि’ कहलायेगी।
भारत की संचित निधि पर अनुच्छेद 112(3) के अनुसार निम्नलिखित व्यय भारित होंगे -
- राष्ट्रपति की उपलब्धियां और भत्ते तथा उसके पद से संबंधित अन्य व्यय,
- राज्यसभा के सभापति और उपसभापति के तथा लोकसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के वेतन व भत्ते,
- ऐसे ऋण भार जिनका उत्तरदायित्व भारत सरकार पर है,
- उच्चतम न्यायालय, फेडरल न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन, भत्ते, पेंशन आदि, उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की पेंशन;
- भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक के वेतन, भत्ते, पेंशन आदि;
- किसी न्यायालय के निर्णय की तुष्टि के लिए अपेक्षित राशियां;
- कोई अन्य व्यय जो इस संविधान द्वारा या संसद द्वारा, इस प्रकार भारित घोषित किया जाता है।
- अनुच्छेद 267(3) के अनुसार भारत की संचित निधि या राज्य की संचित निधि में से कोई धनराशि विधि के अनुसार तथा संविधान में उपबंधित प्रयोजनों के लिए और प्रक्रिया से ही विनियोजित की जायेगी, अन्यथा नहीं।
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