DivanshuGeneralStudyPoint.in
  • Home
  • Hindi
  • RPSC
  • _Economy
  • _Constitution
  • _History
  • __Indian History
  • __Right Sidebar
  • _Geography
  • __Indian Geography
  • __Raj Geo
  • Mega Menu
  • Jobs
  • Youtube
  • TET
HomeScience

आँखों के प्रमुख रोग, निकट दृष्टि दोष

byDivanshuGS -June 30, 2020
0


लेंस क्षमता का si मात्रक डाइऑप्टर

नेत्र जब सामान्य अवस्था में होता है तो अनंत दूरी पर रखी वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना पर स्पष्ट बन जाता है। जब वस्तु नेत्र के पास होती है तो नेत्र लेंस की मांसपेशियां स्वतः एक तनाव उत्पन्न करती है जिससे नेत्र लेंस बीच में से मोटा हो जाता है। इससे नेत्र लेंस की फोकस दूरी कम हो जाती है एवं पास की वस्तु का प्रतिबिंब पुनः रेटिना पर बन जाता है। लेंस की फोकस दूरी में होने वाले इस परिवर्तन की क्षमता को नेत्र की समंजन क्षमता कहा जाता है।

यदि हम बहुत निकट से किसी वस्तु को स्पष्ट देखना चाहे तो हमें स्पष्ट प्रतिबिंब देखने में कठिनाई का अनुभव होता है। वस्तु की नेत्र से वह न्यूनतम दूरी जहां से वस्तु को स्पष्ट देख सकते हैं नेत्र का निकट बिंदु कहलाता है। सामान्य व्यक्ति के लिए यह दूरी 25 सेंटीमीटर होती है। इसी प्रकार नेत्र से अधिकतम दूरी जहां तक वस्तु को स्पष्ट देखा जा सकता है नेत्र का दूर बिंदु कहलाता है।
सामान्य नेत्रों की यह दूरी अनंत होती है। निकट बिंदु से दूर बिंदु के बीच की दूरी दृष्टि परास कहलाती है।

दृष्टि दोष एवं उनका निराकरण


उम्र बढ़ने के साथ मांसपेशियों में समंजन क्षमता कम होने से, चोट लगने से, नेत्रों पर अत्यधिक तनाव आदि अनेक कारणों से नेत्रों की समंजन क्षमता में कमी आ जाती है या उनकी क्षमता खत्म हो जाती है अथवा नेत्र लेंस की पारदर्शिता खत्म हो जाती है। नेत्र में दृष्टि संबंधी निम्न दोष प्रमुखता से होते हैं।

निकट दृष्टि दोष Mayopia or Short Sightedness


निकट दृष्टि दोष में व्यक्ति को निकट की वस्तुओं तो स्पष्ट दिखाई देती है किंतु दूर की वस्तुएं धुंधली दिखाई देने लगती है। इस दृष्टि दोष का मुख्य कारण नेत्र लेंस की वक्रता का बढ़ जाना है। इस दोष से पीड़ित व्यक्ति के नेत्र में दूर रखी वस्तुओं का प्रतिबिंब रेटिना से पहले ही बन जाता है। जबकि कुछ दूरी पर रखी वस्तुओं का प्रतिबिंब रेटिना पर बनता है। एक प्रकार से उस व्यक्ति का दूर बिंदु अनंत पर न होकर पास आ जाता है।
इस दोष के निवारण के लिए उचित क्षमता का अवतल लेंस नेत्र के आगे लगाया जाता है। अवतल लेंस अनंत पर स्थित वस्तु से आने वाली समांतर किरणों को इतना अपसारित करता है ताकि वे किरणें उस बिंदु से आती हुई प्रतीत हो जो दोष युक्त नेत्रों के स्पष्ट देखने का दूर बिंदु है।
वर्तमान में लेजर तकनीक का उपयोग करके भी इस दोष का निवारण किया जाता है।

दूर दृष्टि दोष Hypermetropia or Long Sightedness

दूर दृष्टि दोष में व्यक्ति को दूर की वस्तुएं तो स्पष्ट दिखाई देती है परंतु पास की वस्तुएं स्पष्ट दिखाई नहीं देती है। इस दोष में व्यक्ति को सामान्य निकट बिंदु से वस्तुएं धुंधली दिखाएं दिखती है, लेकिन जैसे-जैसे वस्तु को 25 सेंटीमीटर से दूर ले जाते हैं वस्तु स्पष्ट होती जाती है। एक प्रकार से दूर दृष्टि दोष में व्यक्ति का निकट बिंदु दूर हो जाता है।
दूर दृष्टि दोष के निवारण के लिए उचित क्षमता का उत्तल लेंस नेत्र के आगे लगाया जाता है। यह लेंस पास की वस्तु का आभासी प्रतिबिंब उतना दूर बनाता है जितना की दृष्टि दोष युक्त नेत्र का निकट बिंदु है। इससे पुनः नेत्र को निकट की वस्तुएं स्पष्ट दिखाई देने लगती है।

जरा दूरदर्शिता Presbyopia


आयु बढ़ने के साथ नेत्र लेंस एवं मांसपेशियों का लचीलापन कम होने से नेत्र की समंजन क्षमता कम हो जाती है। इस कारण उन्हें दूर दृष्टि दोष हो जाता है एवं वे पास की वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख पाते हैं। कई बार उम्र के साथ व्यक्तियों को दूर की वस्तुएं भी धुंधली दिखाई देने लगती है। इस तरह के दोषों को में व्यक्ति को दूर व पास दोनों ही वस्तुओं को स्पष्ट देखने में दिक्कत आने लगती है। इनका निवारण करने के लिए द्वि-फोकसी (Bifocal) लेंस प्रयुक्त किए जाते हैं। इन लेंसों का ऊपरी भाग अवतल एवं नीचे का भाग उत्तल होता है।

दृष्टि वैषम्य दोष Astigmatism


दृष्टि वैषम्य दोष या अबिन्दुकता दोष कॉर्निया की गोलाई में अनियमितता के कारण होता है। इसमें व्यक्ति को समान दूरी पर रखी ऊर्ध्वाधर व क्षैतिज रेखाएं एक साथ स्पष्ट दिखाई नहीं देती है। बेलनाकार लेंस का उपयोग करके इस दोष का निवारण किया जाता है।

मोतियाबिंद


व्यक्ति की आयु बढ़ने के साथ नेत्र लेंस की पारदर्शिता खत्म होने लगती है एवं उसका लचीलापन कम होने लगता है। इस कारण यह प्रकाश का परावर्तन करने लगता है एवं वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देती है इस दोष को मोतियाबिंद कहते हैं।
इस दोष को दूर करने के लिए नेत्र लेंस को हटाना पड़ता है। पूर्व में शल्य चिकित्सा द्वारा मोतियाबिंद को निकाला जाता दिया जाता था। नेत्र लेंस को निकाल देने से व्यक्ति को मोटा व गहरे रंग का चश्मा लगाना पड़ता था।

लेंस क्षमता का si मात्रक डाइऑप्टर है।

Tags: Science
  • Facebook
  • Twitter
You may like these posts
Post a Comment (0)
Previous Post Next Post

Popular Posts

Hindi

हिंदी निबन्ध का उद्भव और विकास

मारवाड़ प्रजामण्डल

राजस्थान राज्य खनिज विकास निगम (RSMDC)

Geography

Comments

Main Tags

  • Aaj Ka Itihas
  • Bal Vikas
  • Computer
  • Earn Money

Categories

  • BSTC (2)
  • Bharat_UNESCO (1)
  • Exam Alert (27)

Tags

  • Biology
  • Haryana SSC
  • RAS Main Exam
  • RSMSSB
  • ras pre

Featured post

विश्व का सबसे बड़ा सोलर पार्क

DivanshuGS- December 14, 2025

Categories

  • 1st grade (29)
  • 2nd Grade Hindi (6)
  • 2nd Grade SST (31)
  • Bal Vikas (1)
  • Current Affairs (137)
  • JPSC (5)

आगामी परीक्षाओं का सिलेबस पढ़ें

  • 2nd Grade Teacher S St
  • राजस्थान पुलिस कॉन्स्टेबल भर्ती एवं सिलेबस
  • भूगोल के महत्वपूर्ण टॉपिक
  • RAS 2023 सिलेबस
  • संगणक COMPUTER के पदों पर सीधी भर्ती परीक्षा SYLLABUS
  • REET के महत्वपूर्ण टॉपिक और हल प्रश्नपत्र
  • 2nd Grade हिन्दी साहित्य
  • ग्राम विकास अधिकारी सीधी भर्ती 2021
  • विद्युत विभाग: Technical Helper-III सिलेबस
  • राजस्थान कृषि पर्यवेक्षक सीधी भर्ती परीक्षा-2021 का विस्तृत सिलेबस
  • इतिहास
  • अर्थशास्त्र Economy
  • विज्ञान के महत्वपूर्ण टॉपिक एवं वस्तुनिष्ठ प्रश्न
  • छत्तीसगढ़ राज्य सेवा प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा सिलेबस
DivanshuGeneralStudyPoint.in

About Us

विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भारत एवं विश्व का सामान्य अध्ययन, विभिन्न राज्यों में होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए स्थानीय इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र, करेंट अफेयर्स आदि की उपयोगी विषय वस्तु उपलब्ध करवाना ताकि परीक्षार्थी ias, ras, teacher, ctet, 1st grade अध्यापक, रेलवे, एसएससी आदि के लिए मुफ्त तैयारी कर सके।

Design by - Blogger Templates
  • Home
  • About
  • Contact Us
  • RTL Version

Our website uses cookies to improve your experience. Learn more

Ok

Contact Form