जनसंख्या की संरचना का अध्ययन आयु और लिंग (पुरुष और स्त्री) के समूह के रूप में किया जाता है। इससे संबंधित विभिन्न मापक निम्नानुसार हैं-
जन्म दर
1 वर्ष में किसी क्षेत्र में प्रति हजार जनसंख्या पर जन्म लेने वाले शिशुओं की संख्या 'जन्म दर' कहलाती है।
मृत्यु दर
एक वर्ष में किसी क्षेत्र में प्रति हजार जनसंख्या पर मृतकों की संख्या की 'मृत्यु दर' कहलाती है।
जनसंख्या संरचना संबंधी मापक |
शिशु मृत्यु दर
प्रत्येक 1000 जन्म लेने वाले शिशुओं में एक वर्ष के भीतर मरने वाले शिशुओं की संख्या 'शिशु मृत्यु दर' कहलाती है।
जीवन प्रत्याशा
जन्म के बाद कोई व्यक्ति औसतन जिस उम्र तक जीने की क्षमता रखता है, उसे 'जीवन प्रत्याशा' कहते हैं। यहां यह ज्ञातव्य है कि यह वह सीमा नहीं है, जहां अधिकांश लोग मरते हैं। भारत में वर्तमान में जीवन प्रत्याशा पुरुषों और महिलाओं के लिए क्रमशः 62.30 तथा 65.27 वर्ष है।
लिंगानुपात
इसका तात्पर्य प्रति 1000 पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या से है। देश की जनसंख्या में पुरुषों और स्त्रियों की जनसंख्या को जानने के लिए लिंगानुपात का सहारा लिया जाता है।
शून्य जनसंख्या वृद्धि
मृत्यु दर और जन्म दर के एक समान स्तर पर होने से उसे शून्य जनसंख्या वृद्धि की संज्ञा दी जाती है।
कार्य सहभागिता दर
कार्य सहभागिता दर से तात्पर्य है कि देश की कुल जनसंख्या में जीविकोपार्जन का कार्य करने वाले लोगों की जनसंख्या से है।
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