चीन में साम्यवादी क्रांति की प्रमुख विशेषताएं
- चीन में हुई साम्यवादी क्रांति मार्च के समाजवादी दर्शन पर आधारित थी।
- चीन के साम्यवादी नेता माओत्से तुंग इस क्रांति के जनक थे।
- साम्यवादियों का महाप्रस्थान एक महान सफलता थी।
- साम्यवादियों ने जापान के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए मिलजुल कर सामना करने का निश्चय किया। 1936 में साम्यवादी सरकार ने तीन उद्देश्य घोषित किए —
- अ. विदेशी आक्रांता का मिलकर मुकाबला करना
- ब. जनता को शासन संबंधी अधिकार प्रदान करना
- स. देश की आर्थिक उन्नति करना
- च्यांग काईशेक की अल्पकालीन गिरफ्तारी (दिसंबर, 1936) के पश्चात साम्यवादियों एवं च्यांग के बीच समझौता हुआ। जिसके अनुसार—
- अ. उत्तर-पश्चिम चीन पर साम्यवादियों का शासन बना रहेगा।
- ब. साम्यवादी सेना चीन की राष्ट्रीय सेना का ही एक अंग मान ली गई जिसे 'राष्ट्रीय सेना' की आठवीं बटालियन कहा गया।
- चीन के इतिहास में यह समझौता विशेष स्थान रखता है। इस प्रकार नानकिंग व येयान सरकारों में सह अस्तित्व कायम हुआ।
- 1937 में चीन जापान युद्ध हुआ, जिसमें चीन पराजित हुआ। चीन के कुछ प्रदेशों पर जापानी प्रभाव में मंचूकाओ की चीनी सरकार बनी। इस प्रकार की स्थिति जटिल हो गई।
- द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात जापान के आत्मसमर्पण के पश्चात प्रश्न खड़ा हुआ कि जापानी अधिकृत चीनी भू—भाग का क्या किया जावे?
- 10 जनवरी, 1946 को सभी पक्षों में समझौता हुआ। यह तय हुआ कि दोनों पक्षों की सेनाएं युद्ध बंद कर दें। चीन का जो भाग जिसे चीन सेना के अधिकार में है, वह उसी सेना के अधिकार में बना रहे। परंतु कुओमिनतांग एवं चीनी साम्यवादी दल में परस्पर संदेह और अविश्वास बना रहा।
- समझौते के बावजूद दोनों के बीच गृह युद्ध छिड़ गया, जिसमें 1949 में साम्यवादी सफल हुए।
- च्यांग चीन छोड़कर फारमोसा भाग गया। 1 अक्टूबर, 1949 को माओत्से तुंग के नेतृत्व में साम्यवादियों ने चीन में जनवादी गणतंत्र सरकार की स्थापना की।
इस प्रकार चीन में लंबे संघर्ष और गृह युद्ध के बाद चीनी जनता ने स्वयं जनता का राज्य साम्यवादी कायम किया। एक नया सवेरा हुआ और आर्थिक रूप से बदहाल चीन विकास और समृद्धि की ओर कदम बढ़ाने लगा। श्रम का महत्व स्थापित हुआ। स्त्रियों को प्रगति के अवसर प्राप्त हुए। शीघ्र ही चीन एक विश्व शक्ति के रूप में उभरा।
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