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Showing posts from January, 2021

भारतेंदु हरिश्चंद्र

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  भारतेंदु जी का जन्म 9 सितंबर, 1850 को हुआ और निधन 6 जनवरी, 1885 ई. को हुआ था। आधुनिक हिंदी के जनक के नाम से विख्यात भारतेंदु हरिश्चंद्र बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। कवि होने के साथ-साथ नाटककार, निबंधकार और व्यंग्यकार भी थे।  उन्होंने ब्रज भाषा और खड़ी बोली, दोनों ही में उत्कृष्ट लेखन कार्य के साथ-साथ हिंदी भाषा तथा हिंदी साहित्य के माध्यम से जनजागरण के लिए उल्लेखनीय कार्य किया।  ‘भारत दुर्दशा’ आपकी महत्वपूर्ण कृति है।  विविध विधाओं में लेखन कार्य के अलावा उन्होंने अनेक समाचार-पत्रों का संपादन भी किया जिनमें से ‘कवि वचन सुधा’, ‘हरिश्चंद्र मैगजीन’, ‘हरिश्चंद्र चंद्रिका’ ने हिंदी के प्रचार-प्रसार तथा जन-जागरण में उल्लेखनीय भूमिका निभाई।  सही अर्थों में वे ही ‘भारतीय नव जागरण के अग्रदूत’ थे। प्रमुख रचनाएंः  भारत दुर्दशा, अंधेर नगरी चौपट राजा, सत्य हरिश्चंद्र (नाटक), प्रेम माधुरी, प्रेम तरंग, कृष्णा चरित्र, वेणुगीत (काव्य), दिल्ली दरबार दर्पण, कश्मीर कुसुम (इतिहास) तथा अनेक स्फुट रचनाएं।

मांग की लोच

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  Elasticity of Demand किसी वस्तु की कीमत में परिवर्तन के कारण उसकी मांगी जाने वाली मात्राओं में जो परिवर्तन होता हैं उसकी माप को मांग की लोच कहते हैं। इस प्रकार मांग की लोच वस्तु की कीमत में परिवर्तन के फलस्वरूप उसकी मांगी जाने वाली मात्रा के मध्य परिवर्तन के मात्रात्मक संबंध का माप है। किसी वस्तु की कीमत में 1% परिवर्तन होने के परिणामस्वरूप उस वस्तु की मांग में जो 1% परिवर्तन होता है, वह मांग की लोच कहलाती है - प्रो. बोल्डिंग मांग की लोच ed= मांग मात्रा में आनुपातिक परिवर्तन/ कीमत में आनुपातिक परिवर्तन मांग की लोच के प्रकार किसी वस्तु की मांग की लोच तीन प्रकार की होती हैं- 1. मांग की कीमत लोच- किसी वस्तु की कीमत में परिवर्तन होने से उसकी मांगी गई मात्रा में होने वाले आनुपातिक परिवर्तन को मांग की लोच अथवा मांग की कीमत लोच कहते है। मांग की कीमत लोच ऋणात्मक होती है। प्रो. मार्शल '' बाजार में मांग की लोच अधिक या कम कही जायेगी जब कीमत में ए​क निश्चित कीम होने पर वस्तु की मांग में अधिक या कम वृद्धि होगी तथा कीमत में एक निश्चित वृद्धि होने पर मांग में अधिक या कम कमी होगी।" ...

राधाकमल मुखर्जी

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  प्रथम भारतीय जो समाजशास्त्र के विभागाध्यक्ष बने। लखनऊ में समाजशास्त्र के विभागाध्यक्ष रहे।  'प्रवासिता का सिध्दान्त' प्रस्तुत किया। सामाजिक संरचना में 'सामाजिक मूल्यों' का अध्ययन करने वाले प्रथम भारतीय विद्वान थे। मूल्य 'सामान्य' व 'वस्तुनिष्ठ' होते हैं । अर्थशास्त्र में 'संस्थागत सिध्दान्त' प्रतिपादित किया। "सामाजिक पारिस्थितिकी' का सिद्धांत दिया । 'श्रमिक वर्ग' का विश्लेषण किया। 'भारतीय कला' सदैव 'धर्म' से जुड़ी रहती हैं । सार्वभौम सभ्यता (संस्कृति) की धारणा की चर्चा की। प्रसिद्ध पुस्तकें: The Rural Economy of India (1926). The social Structure of Values (1949). The Dynamics of morals (1951). The Dimensions of Human values (1964). The foundation of Indian Economics (1964). The symbolic life of Man.

राजस्थान में ऊर्जा संसाधन टॉपिक से विभिन्न परीक्षाओं में आए महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न

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राजस्थान का प्राकृतिक गैस पर आधारित विद्युतगृह कहाँ है ? ( अ) बरसिंगपुर (ब) पलाना ( स) अन्ता (द) फलौदी उत्तर — स   बाड़मेर जिले के किस क्षेत्र से कच्चा खनिज तेल निकाला जा रहा है। ( अ) बयातू (ब) बोलोत्तरा ( स) गुढ़ामलानी (द) रामगढ़ उत्तर — स   राजस्थान में परमाणु ऊर्जा केन्द्र कहां स्थित है ? ( अ) सूरतगढ़ (ब) रावतभाटा ( स) छबड़ा (द) बरसिंहपुर उत्तर — ब   राजस्थान सरकार द्वारा पहली बार सौर ऊर्जा नीति घोषित कब की गई? अ. वर्ष 2011 में ब. वर्ष 2010 में स. वर्ष 2009 में द. वर्ष 2008 में उत्तर— अ राज्य में गैर-परम्परागत किस ऊर्जा स्रोत के विकास की सर्वाधिक सम्भावना है ? ( अ) बायो गैस (ब) सौर-ऊर्जा ( स) पवन ऊर्जा (द) भू-तापीय ऊजा उत्तर — ब   राजस्थान राज्य में पवन ऊर्जा प्रोत्साहन नीति कब घोषित की गई - अ. 1998 ब. 1999 स. 2000 द. 2002 उत्तर — स   राजस्थान ऊर्जा विकास अभिकरण की स्थापना कब की गई ? अ. जनवरी , 1982 को ब. मार्च , 1983 को स. जनवरी , 1985 को द. जून , 1988 को उत्तर — स राजस्थान में सुपर क्रिटिकल तापीय विद्युत गृह स्थित है? अ. माही डेम व जवाहर डेप पर ब. रावतभाटा व...