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सुमित्रानंदन पंत
- जन्म: 20 मई, 1900 में उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के कौसानी नामक गांव में।
- निधन: 28 दिसंबर, 1977 को
- माता का नाम: सरस्वती देवी
- पिता का नाम: गंगा दत्त पंत
- बचपन का नाम: गुसाईं दत्त
- स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण स्नातक की पढ़ाई बीच में रुक गई।
उपनाम: प्रकृति के सुकुमार कवि
- सात साल की उम्र में स्कूल में काव्य पाठ के लिए पुरस्कृत हुए।
- वर्ष 1915 में स्थायी रूप से साहित्य सृजन शुरू किया और छायावाद के प्रमुख स्तम्भ के रूप में जाने गए।
- पंत जी की आरंभिक कविताओं में प्रकृति प्रेम और रहस्यवाद झलकता है।
- बाद में वे मार्क्स और महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित हुए और
- बाद की कविताओं में अरविंद दर्शन का प्रभाव स्पष्ट नजर आता है।
- वे आजीविका के लिए उदयशंकर संस्कृति केन्द्र में जुड़ गए। बाद में आकाशवाणी के परामर्शदाता रहे।
- उन्होंने लोकायतन सांस्कृतिक संस्था की स्थापना की।
- वर्ष 1922 में उनकी पहली पुस्तक 'उच्छवास' प्रकाशित हुई।
- 1926 में उनका प्रसिद्ध काव्य संकलन 'पल्लव' प्रकाशित हुआ।
- छायावाद के प्रमुख कवियों में शामिल।
प्रमुख रचनाएं—
- काव्य — वीणा, पल्लव, ग्रंथि, गुंजन, युगांत, युगवाणी, ग्राम्या, स्वर्ण किरण, स्वर्ण धूलि, युगपथ, उत्तरा, चिदम्बरा, लोकायतन (महाकाव्य), पतझर, गिरजे का घंटा, उच्छवास, कला और बूढ़ा चांद
- छायावादी रचनाएं— वीणा, ग्रंथि, पल्लव और गुंजन
- प्रगतिवादी रचनाएं — युगान्त, युगवाणी, ग्राम्या
- उपन्यास— हार
- कहानी संग्रह — पांच कहानियां
प्रमुख कृतियों को मिले सम्मान व पुरस्कार
- वर्ष 1960 ई. में 'कला और बूढ़ा चांद' के लिए 'साहित्य अकादमी पुरस्कार' मिला था।
- वर्ष 1968 में पंत को 'चिदम्बरा' के लिए 'भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। यह हिन्दी साहित्य का प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार है।
- महादेवी वर्मा हिन्दी की पहली कवयित्री हैं, जिन्हें वर्ष 1982 में ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ था।
- उन्हें वर्ष 1961 में भारत सरकार द्वारा इन्हें 'पद्मभूषण' की उपाधि से अलंकृत किया गया।
- सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार से भी उन्हें सम्मानित किया गया।
ज्ञानपीठ पुरस्कृत पंतजी की कृति है—
अ. पल्लव
ब. चिदम्बरा
स. ग्राम्या
द. ग्रंथि
उत्तर— ब
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