तटस्थता वक्र विश्लेषण
उपयोगिता को मापने की दो प्रमुख विचारधाराएँ है।
पहली गणनावाचक विचारधारा है, जिसका श्रेय प्रो. मार्शल को दिया जाता है एवं दूसरी क्रमवाचक विचारधारा कही जाती है जिसे प्रो. हिक्स एवं एलेन ने लोकप्रिय बनाया है।
तटस्थता वक्र विश्लेषण को मार्शल के उपयोगिता विश्लेषण पर एक महत्वपूर्ण सुधार माना जाता है।
प्रो. एजवर्थ ने तटस्थता वक्रों का सबसे पहले उपयोग किया था, बाद में पेरेटो ने 1906 में इस विश्लेषण को विकसित किया। लेकिन हिक्स एवं एलेन ने तटस्थता वक्र विश्लेषण का व्यापक हो रूप से प्रयोग किया एवं इसे लोकप्रिय बनाया
इस विश्लेषण के अनुसार वस्तुओं से प्राप्त उपयोगिता के आधार पर उन्हें क्रम प्रदान किये जाते हैं, किन्तु उन्हें मापा नहीं जाता है। उपभोक्ता यह बताने में समर्थ होता है कि उसे दो वस्तुओं के किस संयोग से अधिक व किससे कम संतुष्टि प्राप्त होती है। प्राप्त संतुष्टि को न तो मापा जा सकता है और न मापने की आवश्यकता होती है क्योंकि इस विचारधारा की रूचि केवल इस बात में है कि दो वस्तुओं के विभिन्न संयोगों में हैं उपभोक्ता किस संयोग को सर्वाधिक पंसद करता है एवं किन संयोगों के प्रति वह तटस्थ रहता है। इसके बाद संतुष्टि स्तर के आधार पर संयोगों को क्रम प्रदान किया जा सकता है।
क्रमवाचक विचारधारा के अनुसार उपयोगिता को बगैर मापे दो वस्तुओं के विभिन्न संयोगों से प्राप्त संतुष्टि के स्तर को क्रम प्रदान किये जा सकते हैं।
तटस्थता वक्र का अर्थ
तटस्थता वक्र को उदासीनता वक्र या अनधिमान वक्र भी कहते हैं। इसी वक्र को समसंतुष्टि वक्र भी कहा जाता है। इस वक्र के प्रत्येक बिन्दु पर उपभोक्ता को समान संतुष्टि प्राप्त होती है तथा प्रत्येक बिन्दु दो वस्तुओं के विभिन्न संयोगों से बना होता है। किसी तटस्थता वक्र के प्रत्येक बिन्दु से समान संतुष्टि मिलने के कारण उपभोक्ता इन बिन्दुओं या संयोगों के प्रति तटस्थ या उदासीन हो जाता है। उपभोक्ता की रूचि दोनों वस्तुओं की अधिक मात्रा के उपभोग में है। लेकिन एक तटस्थता वक्र की बनावट इस प्रकार की होती है कि यदि वह एक वस्तु का उपभोग बढ़ाता है तो यहां दूसरी वस्तु की मात्रा पहले से कम हो जाती है। इस प्रकार एक तटस्थता वक्र के सभी बिन्दुओं पर संतुष्टि का स्तर समान रहता है, लेकिन भिन्न-भिन्न तटस्थता वक्रों पर संतुष्टि का स्तर भिन्न-भिन्न होता है।
प्रो. बोल्डिंग के अनुसार-
समान क्रम को दर्शाने वाला वक्र तटस्थता वक्र कहा जाता है क्योंकि यह वक्र दो वस्तुओं के ऐसे संयोगों को बताता है जो एक-दूसरे से न तो अच्छे होते हैं और न बुरे। इस प्रकार एक तटस्थता वक्र दो वस्तुओं के विभिन्न संयोगों का ऐसा बिन्दु पथ है जिसका प्रत्येक बिन्दु उपभोक्ता को समान संतुष्टि प्रदान करता है। यद्यपि इस विचारधारा के अनुसार संतुष्टि के स्तर को मापा नहीं जा सकता लेकिन प्रत्येक संयोग से प्राप्त होने वाली वस्तुओं की मात्राओं के आधार पर उपभोक्ता अपनी पसंद के बारें में निर्णय लेने में समर्थ होता है।
तटस्थता तालिका
यह दो वस्तुओं की विभिन्न मात्राओं से निर्मित संयोगों की एक तालिका है। इस तालिका के प्रत्येक संयोग से उपभोक्ता को समान संतुष्टि प्राप्त होती है। इस प्रकार प्रत्येक संयोग के प्रति उपभोक्ता की पसंद समान रहती है और वह इनमें से किसी एक संयोग का चयन करने में तटस्थ रहता है।
माना कि उपभोक्ता किन्हीं दो वस्तुओं x तथा Y का उपभोग करता है। ये वस्तुएं उसके उपभोग में आने वाली जैसे रोटी, कपड़ा, चाय, बिस्किट, संतरा आदि कुछ भी हो सकती है।
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