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Showing posts from June, 2021

सम्राट अशोक से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न

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सम्राट अशोक का इतिहास जानने का प्रमुख स्रोत हैं?  - उसके अभिलेख  अशोक के शिलालेखों कितने स्थानों से प्राप्त हुए हैं? - 8 स्थानों से, जो शिलालेख 14 विभिन्न लेखों का एक समूह है। अशोक के शिलालेख किन—किन स्थानों से प्राप्त हुए? - शाहबाजगढ़ी, मानसेहरा, कालसी, गिरनार, धौली, जौगढ़, एरीगुडी और सोपारा। अशोक के अधिकांश अभिलेख की भाषा एवं लिपि है? - प्राकृत भाषा एवं ब्राह्मी लिपि  अशोक के कौन से अभिलेख खरोष्ठी लिपि में हैं? - शाहबाजगढ़ी एवं मानसेहरा की लिपि ब्राह्मी न होकर खरोष्ठी है। शरेकुना नामक स्थान से मिले अशोक का अभिलेख की लिपी है? - यूनानी तथा आरमेइक लिपियों में लिखा गया।  अरामेइक लिपि में लिखा गया अशोक का अभिलेख कहां प्राप्त हुआ है? - लघमान नामक स्थान से  अशोक के किसी अभिलेख में पशु बलि को निषेध बताया है? - प्रथम शिलालेख   "यहां कोई जीव मारकर बलि न दिया जाए और न कोई उत्सव किया जाए।" यह कथन किस शिलालेख में है? - प्रथम शिलालेख में अशोक के दूसरे शिलालेख में संगम राज्यों की जानकारी मिलती है? - चोल, पाण्ड्य, सतियपुत्त एवं केरलपुत्त सहित ताम्रपर्णी (श्रीलंका)...

छायावाद

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    समयावधि: छायावादी काव्य की समय सीमा लगभग 1918 ई. से 1936 ई. (उच्छ्वास से युगांत) तक चला। छायावाद विशेष रूप से हिन्दी साहित्य के 'रोमांटिक' उत्थान की काव्यधारा है। इस काव्यधारा में जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला', सुमित्रानंदन पंत और महादेवी वर्मा चार प्रमुख कवि शामिल हैं।   छायावादी काव्य प्रवृत्तियों से युक्त सबसे पहली रचना जयशंकर प्रसाद की 'झरना' का प्रकाशन 1918 ई. में हुआ था, इसलिए डॉ. नगेन्द्र ने इसकी काव्यधारा की समय सीमा 1918 ई. से 1936 ई. तक निर्धारित किया है।  सर्वप्रथम 1920 ई. में मुकुटधर पांडेय ने जबलपुर से प्रकाशित 'श्री शारदा' नामक पत्रिका में 'हिन्दी में छायावाद' शीर्षक चार निबंधों की एक लेख श्रृंखला में प्रकाशित करवाए थे। तब से हिन्दी में छायावाद का प्रारम्भ माना जा सकता है।    उन्होंने अपने निबन्धों में छायावाद की पांच विशेषताओं का उल्लेख किया है, जो इस प्रकार हैं— 1. वैयक्तिकता, 2. स्वातंत्र्य चेतना, 3. रहस्यवादिता, 4. शैलीगत वैशिष्ट्य और 5. अस्पष्टता आदि। श्री महावीर प्रसाद द्विवेदी ने 'सरस्वती' पत्रिका के ...

सवाई जयसिंह द्वितीय

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 ‘चाणक्य’ सवाई जयसिंह द्वितीय  जन्मः 3 सितम्बर 1688 ई., 1700-43 बिशनसिंह का ज्येष्ठ पुत्र औरंगजेब ने उसकी वीरता व वाक्पटुता देखकर उसे सवाई की उपाधि प्रदान की। 2 जून, 1707 ई. को जाजउ का युद्ध, जयसिंह ने आजम का पक्ष लिया। बहादुरशाह ने जयसिंह को पदच्युत कर विजयसिंह को आमेर का शासक घोषित किया। आमेर का नाम मोमिनाबाद रखा गया और उसका फौजदार ‘सयैद हुसैन खां’ को बनाया गया। आमेर को पुनः प्राप्त करने के लिए जयसिंह ने जोधपुर के शासक अजीतसिंह और मेवाड के महाराणा अमरसिंह द्वितीय को भी अपनी ओर मिला लिया। महाराणा ने अपनी पुत्री चंद्रकुंवरी का विवाह तीनों राज्यों की सेनाओं ने जुलाई, 1708 ई. में जोधपुर पर अधिकार कर लिया। जयसिंह की सेवाएं उपलब्ध करने के लिए सम्राट ने 11 जून, 1710 ई. उसके पद को स्वीकार किया और उसे शाही खिलअत से सम्मानित किया। जयसिंह ने चूडामन के भतीजे बदनसिंह को अपनी ओर मिला लिया। मुहम्मदशाह ने जयसिंह को ‘राज-राजेश्वर श्री राजाधिराज सवाई’ की उपाधि प्रदान कर सम्मानित किया। बदनसिंह, जिसने सवाई जयसिंह की जाटों को दबाने की सहायता की थी, जाटों का नेता स्वीकार किया और उसे ‘ब्रजराजा’ की...

प्री डी.एल.एड. परीक्षा, 2021 के लिए 10 जुलाई तक आवेदन करें

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प्रारम्भिक शिक्षा विभाग द्वारा राज्य में संचालित सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के मान्यता प्राप्त विभिन्न अध्यापक शिक्षा संस्थानों/संस्थाओं में डी.एल.एड. सामान्य/डी.एल.एड. संस्कृत पाठ्यक्रमों में प्रवेश हेतु आयोजित की जाने वाली प्री डी.एल.एड. परीक्षा, 2021 के लिए राजस्थान राज्य सरकार एवं राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् (एनसीटीई) द्वारा निर्धारित प्रावधनों एवं मानदंड़ों के अनुसार पात्र अभ्यर्थियों से निम्नांकित कार्यक्रमानुसार ऑनलाइन आवेदन पत्र आमन्त्रित किये जतो हैं।  आवेदन प्रक्रिया का विवरण एवं तिथि ऑनलाइन आवेदन प्रारंभ — 9 जून, 2021 ऑनलाइन आवेदन करने की अंतिम तिथि — 10 जुलाई, 2021 परीक्षा शुल्क जमा कराने की अंतिम तिथि — 12 जुलाई, 2021 पात्रता   शैक्षणिक योग्यता उच्च माध्यमिक परीक्षा अथवा समकक्ष परीक्षा में न्यूनतम अंक प्रतिशत निम्न अनुसार हैं— सामान्य वर्ग — 50 प्रतिशत एससी/एसटी — 45 प्रतिशत ओ.बी.सी., एम.बी.सी., ईडब्ल्यूएस — 45 प्रतिशत सामान्य वर्ग की विधवा/परित्यक्ता/तलाकशुदा महिलाएं — 45 प्रतिशत आयु सीमा आवेदक की आयु 01 जुलाई, 2021 को 28 वर्ष से अधिक नहीं हो। विधवा, तलाकशुदा...

भारत का नेपोलियन

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गुप्तकाल के महत्वपूर्ण तथ्य  गुप्त वंश से संबंधित महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न  गुप्त शासकों को शूद्र या निम्नजाति का बताने वाले इतिहासकार है ? — काशी प्रसाद जायसवाल   गुप्त शासकों को वैश्य जाति का मानने वाले इतिहासकार हैं ? — रोमिला थापर , अल्तेकर , आरएस शर्मा , एलन , एसके आयंगर आदि   गुप्त शासकों को क्षत्रिय प्रमाणित करने वाले इतिहासकार हैं ? — गौरी शंकर हीराचंद ओझा , रमेशचन्द्र मजूमदार , सुधाकर चट्टोपाध्याय , प्रो. गोयल , वासुदेव उपाध्याय गुप्त शासकों को ब्राह्मण मानने वाले इतिहासकार है ? — हेमचन्द्र राय चौधरी   गुप्त वंश का संस्थापक कौन था ? — श्रीगुप्त ( 275 से 300 ई.)   श्रीगुप्त ने कौनसी उपाधि धारण की थी ? — महाराज की उपाधि   गुप्तों की प्रारम्भिक राजधानी थी ? — अयोध्या   गुप्त वंश किनके सामंत थे ? — कुषाणों के   वह गुप्त शासक जिसने सर्वप्रथम ' महाराजाधिराज ' की उपाधि धारण की थी ? — चन्द्रगुप्त प्रथम ( 319—335 ई)   चन्द्रगुप्त प्रथम के बारें में सही कथन: — गुप्त वंश का व...