प्राचीन भारतीय इतिहास के साहित्यिक स्रोत
धर्म निरपेक्ष साहित्य
अर्थशास्त्र
- कौटिल्य कृत 'अर्थशास्त्र' मौर्यकाल का महत्वपूर्ण राजनीतिक ग्रंथ है।
- इसमें 15 अधिकरण है, जिसमें द्वितीय और तृतीय सर्वाधिक प्राचीन हैं। 150 अध्याय व 180 विषय और 6000 श्लोक हैं।
- भाषा - संस्कृत।
- रचनाकाल चतुर्थ शताब्दी ई.पू. है। यह एक महत्वपूर्ण विधि ग्रन्थ है। यह मौर्यकालीन समाज और अर्थतंत्र पर प्रकाश डालते है।
अर्थशास्त्र की प्रसिद्ध टीकाएं :
i. भट्ट स्वामी द्वारा रचित प्रतिपदपंचिका
ii. माधवरज्वा कृत नयन चंद्रिका
- अर्थशास्त्र में नेपाल के कम्बल व चीन के रेशम की विशेष चर्चा की गई है।
मुद्राराक्षस- विशाखदत्त
देवीचंद्रगुप्तम- विशाखदत्त
गार्गी संहिता
- युगपुराण का एक भाग, जिसमें भारत पर हुए यूनानी आक्रमण का उल्लेख है। इसी ग्रंथ का प्रसिद्ध कथन "यवन यद्यपि मलेच्छ हैं, लेकिन ज्योतिष के कारण योग्य हैं।"
हाल - गाथा सप्तशती की रचना की।
कालिदास
- शैव मतावलम्बी कालिदास गुप्त सम्राट चंद्रगुप्त II के दरबारी कवि थे। कालीदास द्वारा रचित सात पद्य और नाट्य ग्रंथों की प्रामाणिकता सिद्ध होती है।
महाकाव्य
रघुवंश:
- यह 19 सर्गों में विभक्त महाकाव्य है, जिसमें राजा दिलीप से लेकर अग्निवर्ण तक चालीस इक्ष्वाकु वंश के राजाओं का चरित्र चित्रण है।
कुमारसम्भव :
- यह 17 सर्गों में बंटा एक महाकाव्य है, जिसमें शिव-पार्वती का प्रणय, विवाह व कार्तिकेय (कुमार) के जन्म की कथा वर्णित है।
खण्डकाव्य :
ऋतुसंहार :
- कालिदास की प्रथम काव्य रचना है, जो छः सर्गो ( ऋतु ओं) का एक खंड काव्य है इन सर्गो के नाम है - ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमन्त, शिशिर एवं वसन्त।
- यह पूर्व मेघ तथा उत्तर मेघ में विभक्त एक खंडकाव्य है, जो वियोग श्रृंगार की उत्कृष्ट रचना है। इसमें उज्जैन के वैभव, महाकाल का वर्णन है।
नाटक :
मालविकाग्निमित्र :
- यह पांच अंकों में बंटी, कालिदास की प्रथम नाट्य रचना है, जिसमें शुंग राजा अग्निमित्र और मालविका के प्रणय की कथा वर्णित है।
विक्रमोर्वशीय :
- यह कालिदास का द्वितीय नाट्य ग्रंथ है, जिसमें पाँच अंकों में पुरुरवा एवं उर्वशी की प्रणय कथा का वर्णन है।
अभिज्ञान शाकुंतलम :
- यह कालिदास की सर्वोत्कृष्ट नाट्य रचना है। इसमें सात अंकों में हस्तिनापुर के राजा दुष्यन्त व कण्व ऋषि की पालिता पुत्री शकुंतला के संयोग व वियोग श्रृंगार का वर्णन है।
- क्षेमेन्द्र के ग्रंथ औचित्य विचारचर्या में कालिदास की अन्य रचना कुन्तलेश्वरदौत्य का उल्लेख मिलता है। लेकिन ग्रंथ उपलब्ध नहीं हैं।
शूद्रक:
- मृच्छकटिकम् गुप्तकालीन कृति है।
- संस्कृत में पहली बार शूद्रक ने ही अपनी रचनाओं का पात्र राज परिवार के स्थान समाज के मध्यम पर वर्ग के लोगों को बनाया।
- इसका अर्थ मिट्टी की गाड़ी या खिलौना "
भारवि :
- भारवि, महाकाव्य 18 सर्गों में विभाजित 'किरातार्जुनीयम' के रचयिता है।
- पल्लव शासक सिंहविष्णु का समकालीन
- इसमें महाभारत के महत्वपूर्ण प्रसंग अर्जुन व किरात के रूप में शिव तथा दोनों के मध्य युद्ध संबंधी कथानक विहित है।
माघ (675 ई.)
- 'शिशुपालवध' महाकाव्य
- इस महाकाल में युधिष्ठिर के राजसयू यज्ञ के अवसर पर चेदि नरेश शिशुपाल की कृष्ण द्वारा वध करने की घटना काव्यात्मक विवेचन है।
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