लोक प्रशासन का क्षेत्र
(Scope of Public Administration)
- लोक प्रशासन के अध्ययन क्षेत्र के विषय में दो शर्तों का ध्यान रखते हैं- प्रथम एक गतिविधि के रूप में तथा दूसरा शैक्षिक विषय के रूप में।
- गतिविधि के रूप में लोक प्रशासन उतना ही पुराना है जितना स्वयं समाज तथा राज्य।
- एक शैक्षिक विषय के रूप में लोक प्रशासन अभी हाल में पैदा हुआ विषय है।
- लोक प्रशासन एक शैक्षिक विषय के रूप में वर्ष 1887 में पैदा हुआ।
- इसका जनक वुडरो विल्सन को माना जाता है। विल्सन के एक लेख 'प्रशासन का अध्ययन' से लोक प्रशासन का प्रारम्भ माना जाता है।
लोक प्रशासन में पुन: दो दृष्टिकोण पाए जाते हैं—
1. पोस्डकॉर्ब POSDCORB या संकुचित दृष्टिकोण एवं 2. विषयवस्तु या व्यापक दृष्टिकोण।
POSDCORB दृष्टिकोण या उपागम
- पोस्डकॉर्ब को प्रबन्धकीय, इंजीनियरी या अभियांत्रिकी, तकनीकी या सीमित दृष्टिकोण भी कहा जाता है। इसमें लोक प्रशासन की गृह प्रबन्धात्मक या प्रक्रियात्मक गतिविधियां शामिल की जाती है।
- लोक प्रशासन के क्षेत्र से संबंधित इस उपागम की वकालत लूथर गुलिक ने की थी। वे मानते थे कि प्रशासन सात तत्वों से बनता है। उन्होंने इन तत्वों को अंग्रेजी के सात शब्दों के प्रथम अक्षर से नया शब्द 'POSDCORB' बनाकर अभिव्यक्त किया है।
- लूथर गुलिक प्रशासन के इन सात तत्वों (या मुख्य कार्यपालिका के कार्यों) की निम्न रूप से व्याख्या करते हैं
1. योजना बनाना (P-Planning)
- किसी भी कार्य को करने या संगठन को बनाने से पहले एक मोटी रूपरेखा तैयार कर ली जाती है।
2. संगठित करना (O-Organising)
- इसमें प्राधिकार के औपचारिक ढांचे की स्थापना करना। इसमें अधिकारी एवं अधीनस्थ वर्गों का एक संगठन तैयार किया जाता है तथा उसके लक्ष्यों में विभाजित किया जाता है। यानी
3. कर्मचारियों की व्यवस्था (S-Staffing)
- संगठन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उसमें लोक सेवकों की नियुक्ति, प्रशिक्षण, वित्त आदि की व्यवस्था की जाती है।
4. निर्देशन (D-Directing)
- इसका संबंध प्रशासनिक निर्णय लेने और उन निर्णयों का विशिष्ट एवं सामान्य आदेशों और निर्देशों में समायोजित करने का निरंतर कार्य और उपक्रम क नेता की भूमिका का निर्वाह करना।
5. समन्वयन (Co-Ordinating)
- इसके द्वारा संगठन के विभिन्न भागों, क्रियाओं एवं गतिविधियों में तालमेल बिठाया जाता है।
6. प्रतिवेदन तैयार करना (R- Reporting)
- इसमें प्रशासनिक अधिकारी अपने उच्चाधिकारियों को अपने कार्यों के संबंध में प्रतिवेदन देते रहते हैं। इसका उद्देश्य जांच, अनुसंधान, निरीक्षण आदि होता है।
7. बजट बनाना (B-Budgeting)
- इसके अन्तर्गत आगामी समय के लिए प्रशासनिक कार्यों के लिये आय-व्यय का ब्यौरा तैयार किया जाता है। प्रत्येक लोकनीति को कार्यान्वित करने के लिए वित्त की आवश्यकता होती है।
पोस्डकोर्ब विचारधारा प्रशासन के ''कैसे'' (how) से संबंध रखती है। इसका समर्थन हेनरी फेयोल, उर्विक, मूने, रिले, विलोबी आदि के विचारों में भी पाया जाता है।
पर्सी मैक्वीन ने भी प्रशासन को "मनुष्य, सामग्री एवं पद्धति का अधिकतम उपयोग बताया है।
यह प्रबन्धात्मक दृष्टिकोण है जिसका उद्देश्य 'कार्य कराने' से है।
विलोबी अपने विचारों को प्रशासन के सिद्धांत या नियम कहता है। वह प्रशासन में निम्नलिखित बातें शामिल करता है।
1. सामान्य या गृह प्रबन्धात्मक प्रशासन
2. संगठन
3. सेवीवर्ग प्रबंध
4. सामग्री प्रदाय तथा
5. वित्त प्रबंध
पोस्डकॉर्ब की आलोचना
- लेविस मेरियम - 'प्रशासन का जिन विषयों से संबंध होता है, उनका पूर्ण ज्ञान प्रशासन की वास्तविकता को समझने के लिए आवश्यक होता है, जबकि लूथर गुलिक ने विषय के ज्ञान के बारे में कुछ नहीं कहा है।'
- प्रशासन दो फलकों वाली कैंची के समान है। एक फलक, पोस्डकॉर्ब द्वारा बताया जाने वाला ज्ञान हो सकता है किंतु दूसरा फलक उस विषय-सामग्री का ज्ञान है जिस पर इन प्राविधियों का उपयोग किया जाता है।
- लूथर गुलिक का विचार सैद्धांतिक अधिक है। विषय सामग्री के ज्ञान के बिना सफलता की अधिक आशा नहीं की जा सकती।
- प्रशासन में मानवीय तत्व का भी बड़ा महत्व है।
- सन् 1927 से 1932 के मध्य किए हॉथोर्न प्रयोगों का यही परिणा था। उत्पादकता पर तकनीकों के बजाय सामाजिक पर्यावरण, परिवर्तनों तथा नेतृत्व का अधिक प्रभाव पड़ता है।
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